लखनऊ। पैरालंपिक एथलीट देवेंद्र झाझरिया और हॉकी नेशनल टीम के पूर्व कप्तान सरदार सिंह का नाम राजीव गांधी खेलरत्न अवॉर्ड के लिए प्रस्तावित किया गया है। सेवानिवृत्त जज सीके ठक्कर की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने खेल रत्न के साथ अर्जुन पुरस्कारों के लिए 17 खिलाड़ियों के नाम भी सुझाए हैं हालांकि, अब खेल मंत्रालय को तय करना है कि यह पुरस्कार दोनों को संयुक्त रूप से दिया जाएगा या किसी एक को।
यदि देवेंद्र झाझरिया को खेल रत्न मिलता है तो वे ये अवॉर्ड पाने वाले पहले पैरा एथलीट होंगे।
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एक नजर देवेंद्र झाझरिया के बारे में-
राजस्थान स्थित चुरू के एक गांव में रहने वाले देवेंद्र झाझरिया भारत के पैरालम्पिक जेवलिन थ्रोअर (भाला फेंक) हैं। वो एकमात्र ऐसे एथलीट हैं, जिन्होंने पैरालंपिक्स में दो गोल्ड मेडल जीते हैं। झाझारिया ने एथेंस में 2004 समर पैरालंपिक्स में पहला मेडल और फिर 2016 समर पैरालंपिक्स में रियो में दूसरा गोल्ड मेडल जीता।
इन दोनों मौकों पर उन्होंने नया वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया था। फिलहाल, जेवेलिन थ्रो (भाला फेंक) की वैश्विक रैंकिंग में वे तीसरे पायदान पर हैं।
रियो डे जेनेरियो में जैवलिन थ्रो के एफ 46 इवेंट में 63.97 मीटर जैवलिन फेंककर एथेंस ओलंपिक में 62.15 मीटर के 2004 के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ते हुए देवेंद्र ने गोल्ड मेडल जीता था।
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देवेंद्र झाझरिया के इंटरव्यू के कुछ अंश
द हिंदू-
मैं उस वक्त नौ साल का था जब मुझे करंट लगा था। मैं अपने गांव (राजस्थान के चुरू जिले स्थित) में एक पेड़ पर चढ़ रहा था जब मेरा बायां हाथ केबिल तार की चपेट में आ गया था जिसमें करीब 11,000 वोल्ट का करंट दौड़ रहा था। नतीजा मेरा बायां हाथ काटना पड़ा। हालांकि उस वक्त मेरे बारे में किसी उम्मीद नहीं थी कि मैं कभी इस जख्म से उबर पाऊंगा।
पैरालंपिक्सडॉटओआरजी –
मैं जब अपने आस-पास लोगों को देखता था जिनके पास उनके हाथ-पैर भी नहीं होते थे तो मैं खुद को भाग्यशाली समझता था कि कम से कम मेरे पास दायां हाथ तो है। मुझे हमेशा से खेलों में लगाव रहा है और मुझे इससे काफी प्रोत्साहन मिला।
लाइव मिंट
जब मैं कभी प्रतियोगिता में जाता था तो लोग मुझे देखते थे और फिर आपस में बात करते हुए कहते कि जरूर किसी ने मेरे लिए सिफारिश की होगी इसलिए मैं यहां हूं लेकिन जब वे मुझे भाला फेंकते हुए देखते तो मेरे पास आकर बोलते कि माफी हमने आपके लिए ऐसा कहा। आप वाकई चैंपियन हैं।