इस सरकारी स्कूल में हैं स्मार्ट क्लासरूम, न्यूज कॉर्नर जैसी सुविधाएं; साथ ही चलती है जूडो क्लास

साल 2016 में जहां इस स्कूल में सिर्फ 44 बच्चे थे, आज इस स्कूल में 218 बच्चों का नामांकन है। रविकांत द्विवेदी, जिन्होंने इस स्कूल में एक शिक्षक के रुप में शुरुआत की और आज यहां के प्रधानाध्यापक हैं के प्रयासों से यहां बदलाव आ पाया है।
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भगेसर (मिर्जापुर), उत्तर प्रदेश। कल्पना चावला, सचिन तेंदुलकर, मदर टेरेसा और भगत सिंह जैसे नाम अब भगेसर गाँव के आदिवासी बच्चों में जाने-पहचाने नाम हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में गाँव के स्कूल सरकारी प्राथमिक विद्यालय में उनके स्टूडेंट्स ग्रुप्स का नाम इन्हीं महान हस्तियों के नाम पर रखा गया है।

ग्रुप बनाना और उन्हें भारतीय इतिहास के इन नायकों के नाम देना स्कूल के प्रिंसिपल रविकांत द्विवेदी का आईडिया था।

“हमने बच्चो का एक ग्रुप बना दिया। अगर कक्षा एक में 40 बच्चे है, हमने 8-8 बच्चो के पांच ग्रुप बना दिए, उन ग्रुपों के लीडर बना दिए। और एक असिस्टेंट लीडर बना दिए। यही ग्रुप लीडर ही टीचर से बात करते हैं, “रविकांत द्विवेदी ने गाँव कनेक्शन को बताया।

“इन ग्रुप से लीडर प्रधानाचार्य को बताते थे कि आज कौन बच्चा हमारे ग्रुप से नहीं आया है, जिसके बाद मैं फोन के माध्यम से अभिभावकों से संपर्क करता था जानकारी लेता था। बच्चो के घर जाता था। विद्यालय आने के लिए प्रेरित करता था। इसी वजह से हमारे विद्यालय में बच्चो की उपस्थिति बढ़ी थी, ”द्विवेदी ने आगे समझाया।

स्कूल अपने बच्चों को तकनीक की मदद से बेहतर शिक्षा दी जा रही है। स्कूल में आठ कक्षाओं में से पांच प्रोजेक्टर, एलईडी स्क्रीन और कंप्यूटर के साथ स्मार्ट क्लासरूम हैं।

“हमारे पास छात्र संसद हैं, हमारे पास एक सक्रिय क्रिकेट टीम है और एक बहुत सक्रिय जूडो और ताइक्वांडो टीम भी है। स्कूल ने पिछले महीने मार्च में हाल ही में आयोजित राज्य स्तरीय जूडो प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता था।

जूडो में कांस्य पदक 11 वर्षीय छात्र शिवाजी प्रजापति ने जीता। “11 मार्च को मैंने लखनऊ में आयोजित राज्य स्तरीय जूडो प्रतियोगिता में भाग लिया। मैंने पहला राउंड आसानी से जीत लिया, लेकिन फाइनल राउंड में मैं नहीं जीत सकी, “शिवानी ने गाँव कनेक्शन को बताया। उन्होंने कहा कि वह फिर भी पदक से खुश हैं।

एक बदलाव की कहानी

जब द्विवेदी को स्कूल में शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था तब से अब चीजें बहुत अलग हैं। “मैं अक्टूबर 2016 में इस प्राथमिक विद्यालय में आया था और कक्षा एक से पांच तक नामांकित 44 छात्रों में से केवल 20 बच्चों को कक्षा में आते देखकर दुखी हुआ। मैंने फैसला किया कि मुझे इसे बदलने के लिए कुछ करना होगा, “उन्होंने याद किया।

विद्यालय में टीचर ने बच्चो के लिए बनाया न्यूज कार्नर

विद्यालय में टीचर ने बच्चो के लिए बनाया न्यूज कार्नर

“मैंने बच्चों के माता-पिता से मुलाकात की, कम उपस्थिति के मामले को ग्राम प्रधान के ध्यान में लाया और स्कूल प्रबंधन समिति के साथ इस समस्या पर विस्तार से चर्चा की। बदलाव लाने में हमें [स्कूल के छह शिक्षकों] को दो महीने लग गए,” उन्होंने कहा।

राज्य सरकार द्वारा 2019 में शुरू किए गए ऑपरेशन कायाकल्प ने स्कूल को उत्कृष्टता केंद्र में बदलने में मदद की।

“हम अपने स्कूल को उत्कृष्टता का केंद्र बनाना चाहते थे। आज, 2016 में जहां 44 बच्चे थे आज वहीं 218 छात्र-छात्राएं स्कूल में पढ़ रहे हैं और उनमें से 95 प्रतिशत नियमित रूप से स्कूल जाते हैं, ”द्विवेदी ने कहा।

स्कूल के शिक्षक शिक्षण को प्रभावी ढंग से प्रदान करने के लिए टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मटेरियल) का उपयोग करते हैं। स्कूल में एक पुस्तकालय भी है। गाँव के स्कूल का सबसे आकर्षक कोना ‘समाचार कोना’ है जहाँ समाचार पत्र प्रदर्शित होते हैं और बच्चे उन्हें नियमित रूप से पढ़ते हैं।

35 वर्षीय शिक्षक ने उत्तर प्रदेश राज्य शिक्षक पुरस्कार, 2022 जीता। उनके स्कूल, भागेसर गाँव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय को 2018 में उत्कृष्ट विद्यालय घोषित किया गया था, और शिक्षा में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पुरस्कार के लिए चुना गया था।

नई ऊंचाइयों तक पहुंच रहा स्कूल

जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (डायट) कई मापदंडों के आधार पर प्रत्येक ब्लॉक से दो स्कूलों का चयन करता है, जिसमें स्कूल भवन, सुविधाएं, शिक्षण परिणाम, नामांकन, उपस्थिति आदि शामिल हैं। राज्य भर के 150 स्कूलों की सूची से, राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद 100 स्कूलों का चयन करती है और उन्हें रैंक करती है।

“राज्य सरकार द्वारा चुने गए 100 स्कूलों में, हमारा स्कूल 2018 में पांचवें स्थान पर था। हम किसी भी निजी स्कूल से कम नहीं हैं। द्विवेदी ने कहा, हम अपने बच्चों को सर्वोत्तम संभव शिक्षा और अन्य सुविधाएं देते हैं और आश्वस्त हैं कि वे अच्छा प्रदर्शन करेंगे।

बच्चों के अभिभावक भी आज खुश हैं। ऐसी ही एक अभिभावक सविता देवी ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मेरी बेटियां, सनी जो पांचवीं कक्षा में है और परी जो तीसरी कक्षा में है, दोनों को स्कूल में अच्छा लगता हैं।” वह विशेष रूप से खुश थी कि स्कूल में वृक्षारोपण अभियान चलाया गया था जिससे स्कूल का वातावरण सुंदर हो गया था।

सुनीता देवी ने कहा, “मैं उन शिक्षकों की आभारी हूं, जो बच्चों पर इतना ध्यान देते हैं, अगर बच्चे स्कूल नहीं आते हैं तो उनकी जानकारी लेने के लिए टीचर घर आते हैं, “सविता ने मुस्कुराते हुए कहा।

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