मेवाती गीतों से जागरूकता की अलख जगाते टीचर की कहानी

भरतपुर, राजस्थान के एक गाँव में सरकारी स्कूल के एक प्रिंसिपल, अनोखे तरीके से जागरूकता अभियान चला रहे हैं। मेवाती भाषा में कविता और गीत के ज़रिए लोक धुन में तैयार उनका सन्देश लोगों को काफी पसंद आ रहा है। उनका मकसद समाज में फैली कुरीतियों को दूर कर आपसी भाईचारे को बढ़ाना भी है।
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भरतपुर, राजस्थान। सरकारी स्कूल के शिक्षक नानक चंद शर्मा नवीन अब अपने क्षेत्र में परिचय के मोहताज नहीं हैं। वह न केवल एक लेखक, कवि और संगीतकार हैं, बल्कि इस हुनर के ज़रिए अपने स्कूल के बच्चों को भी होनहार बना रहे हैं।

1986 से अध्यापन करा रहे नानक चंद मेवाती भाषा में गीतों और कविताओं की रचना करते रहे हैं। उनका मकसद अपनी धुनों और छंदों के माध्यम से आम लोगों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देना है।

“जब मैं नौवीं कक्षा में था तब से पद्य पढ़ और लिख रहा हूँ। यह भगवान का दिया हुआ तोहफा है, “हाल ही में 60 की उम्र पूरा करने वाले नानक चंद ने गाँव कनेक्शन को बताया। वह भरतपुर की पहाड़ी तहसील के कैथवाड़ा गाँव में पले-बढ़े। उन्होंने भरतपुर से ही एमए और बीएड भी पूरा किया।

उन्होंने कहा, “मेरे पिता गोपाल प्रसाद शर्मा भी एक शिक्षक थे और संगीत के बहुत शौकीन थे। उन्हीं से मैंने इसे इतना प्यार करना सीखा।”

नानक चंद भरतपुर जिले के पीपलखेड़ा में राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य हैं। वह अपनी कविता और गीत के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और समसामयिक मुद्दों के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

नानक चंद के पिता ने गाँव में रामलीला की परंपरा शुरू की थी और शिक्षक-कवि नानक चंद अब वही कर रहे हैं। नानक चंद ढोलक, ढोल, हारमोनियम और बांसुरी भी बजाने में पारंगत हैं।

मेवात क्षेत्र राजस्थान और हरियाणा दोनों को जोड़ता है। लेकिन भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और ऑनलइन फ्रॉड से बदनाम इस क्षेत्र को सम्मान दिलाने को शिक्षक नानक चंद ने एक चुनौती की तरह लिया है।

वे कहते हैं कि इस क्षेत्र की ख़राब इमेज को ठीक करने में भले थोड़ा समय लग सकता है, मेवाती भाषा में अपने रचित गीतों और कविताओं की मदद से वे खोई प्रतिष्ठा को वापस लाने की मुहीम बंद नहीं करेंगे।

पिछले साल, राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेलों में नानक चंद के गीत उनके स्कूल की 11वीं और 12वीं कक्षा की छात्राओं राखी यादव और क्षमा यादव ने गाए थे। राजस्थान के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने भी इन गीतों का प्रचार किया।

राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेलों में नानक चंद के गीत उनके स्कूल की 11वीं और 12वीं कक्षा की छात्राओं राखी यादव और क्षमा यादव ने गाए थे।

राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक खेलों में नानक चंद के गीत उनके स्कूल की 11वीं और 12वीं कक्षा की छात्राओं राखी यादव और क्षमा यादव ने गाए थे।

नानक चंद ने हिंदी में कविता संग्रह, मेवाती भाषा में 1,000 दोहों पर एक किताब और ग़ज़लों के संग्रह सहित पाँच पुस्तकें लिखी और प्रकाशित की हैं।

प्रधानाध्यापक ने अपने ही स्कूल में प्रतिभाओं को खोजने और चमकाने के लिए कड़ी मेहनत की है। 2018 में, जब वह पिपरौली के हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षक थे, तब उनकी दो छात्राओं शबाना और मुस्कान ने मेवाती भाषा में उनका गाना गाया था जो बेहद लोकप्रिय हुआ । यह गीत, “बूथ पे मैं अकेली चली जाऊंगी…”भारत निर्वाचन आयोग की मतदाता शिक्षा पहल के लिए उन्होंने लिखा था।

इस गीत का वीडियो संदेश नायक, तत्कालीन जिलाधिकारी अशोक कुमार सिंह धाकरे की तरफ से दिखाया गया था। जो उस समय सर्व शिक्षा अभियान के अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक और भरतपुर में स्वीप कार्यक्रम के प्रभारी थे।

कलेक्टर ने इस गाने को अपने फेसबुक पर शेयर किया और यह वायरल हो गया। इस गाने को नेशनल टेलीविज़न पर कई बार प्रसारित किया गया था।

2020 में, COVID-19 महामारी के दौरान, नानक चंद ने इस पर भी एक गीत बनाया। नाम दिया, “बता दे माई सांची सांची, बैरी कोरोना सु कैसे पड़े पार”,पीपलखेड़ा स्कूल की छात्रा क्षमा, राखी और पिपरौली स्कूल की शबाना और मुस्कान ने इसे एक साथ गाया।

छात्रों में से एक क्षमा ने गाँव कनेक्शन को बताया, “हमें गर्व है कि हमारी मेवाती भाषा का गाना इतना लोकप्रिय हुआ और हमें इसके लिए इतनी सराहना मिली।”

26 जनवरी, 2019 को भरतपुर जिला प्रशासन ने नानक चंद को उनकी सेवाओं के लिए और उनकी शिष्याओं शबाना और मुस्कान को सम्मानित किया। फिर इस साल की शुरुआत में 26 जनवरी, 2023 को उन्हें और उनकी छात्रा क्षमा और राखी को जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित किया गया।

“नानक चंद नवीन और उनके छात्रों ने सरकार और शिक्षा विभाग की योजनाओं के बारे में जागरूकता लाने के लिए बहुत काम किया है। विभाग की ओर से हम उनके योगदान को प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे,” भरतपुर में शिक्षा विभाग के उप निदेशक प्रेम सिंह कुंतल ने गाँव कनेक्शन को बताया।

नानक चंद के स्कूल की छात्राओं के माता-पिता भी फूले नहीं समा रहे हैं। पीपलखेड़ा गाँव के क्षमा यादव के पिता मोरध्वज यादव गाँव कनेक्शन को बताते हैं।

“हमारी बेटियों ने जब से अच्छा प्रदर्शन किया है, तब से हमारी प्रतिष्ठा बढ़ी है। माता-पिता के लिए गर्व की बात होती है जब उनके बच्चे अच्छा करते हैं, “राखी यादव के पिता रंजीत सिंह ने कहा।

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