राजस्थान का ‘खेल गाँव’, जहाँ से निकले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सैकड़ों वॉलीबॉल खिलाड़ी

चार दशकों से एक वॉलीबॉल कोच राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में हजारों खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। उनमें से सैकड़ों खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत चुके हैं। कोच बसंत सिंह मान का पैतृक गाँव सिलवाला खुर्द ‘खेल गाँव’ के नाम से मशहूर है।
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हनुमानगढ़, राजस्थान। बारिश हो, सर्दी हो या चिलचिलाती धूप, 69 साल के बसंत सिंह मान सुबह पाँच बजे ही खेल के मैदान में पहुंच जाते हैं। प्रशिक्षण के लिए आने वाले खिलाड़ियों से लगभग आधा घंटे पहले वह हमेशा मैदान में मौजूद़ रहते हैं।

मान से ट्रेनिंग ले रहे वॉलीबॉल खिलाड़ी अजीत सिंह सेखों ने गाँव कनेक्शन को बताया, “हो सकता है हमें कभी-कभार देर-सवेर हो जाए। लेकिन मैंने कभी कोच मान को अभ्यास के लिए देर से आते नहीं देखा।”

अजीत सिंह सेखों हनुमानगढ़ जिले के सैकड़ों वॉलीबॉल खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्होंने कोच मान के तहत प्रशिक्षण लिया है। उन्होंने बताया, “जब मैं कक्षा छह में था, तब से मैं उनसे प्रशिक्षण लेता आया हूँ। और अब मेरा ग्रेजुएशन का दूसरा साल है। मैंने राजस्थान के लिए अनगिनत बार खेला है, सात बार राष्ट्रीय स्तर पर और तीन बार राष्ट्रीय टीम के लिए चुना गया हूँ।” सेखों ‘सिलवाला खुर्द’ गाँव के रहने वाले हैं।

मान की कोचिंग से राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के ग्रामीण इलाकों से वॉलीबॉल खिलाड़ियों की जमात उभरी है। कोच के अब तक 1,300 प्रशिक्षु खिलाड़ी राष्ट्रीय पदक विजेता रहे हैं। उनमें से कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट भी खेले हैं, जिनमें से सात ने कई पदक जीते हैं। कोच ने कहा कि वह गिनती भूल गए हैं कि उन्होंने कितने राज्य स्तरीय खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया है।

यह कोई हैरानी की बात नहीं है कि हनुमानगढ़ जिले के मान के पैतृक गाँव सिलवाला खुर्द के कोच के प्रयासों के चलते ‘खेल गाँव’ के रूप में जाना जाने लगा है। क्योंकि इस गाँव से कई प्रतिभाशाली वॉलीबॉल खिलाड़ी निकले हैं, जो राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं।

गाँव की लड़कियों को प्रशिक्षण देना

हालाँकि वह 2014 में रिटायर्ड हो गए थे। लेकिन उन्होंने सिलवाला खुर्द के स्कूल मैदान में, स्कूल और आसपास के गाँवों के बच्चों को कोचिंग देना नहीं छोड़ा। हर सुबह उन्हें खेल के मैदान में नए खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देते हुए देखा जा सकता है। स्कूल के मैदान में शाम को भी कुछ ऐसा ही माहौल नजर आता है।

ऑटो स्पेयर पार्ट्स डीलर और अंतरराष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी कविता सुथार के पिता सुभाष सुथार ने गाँव कनेक्शन को बताया, “कोच मान ने गाँव को एक बड़ा सम्मान और गौरव दिलाया है। यह उनकी कड़ी मेहनत का नतीजा है जो हमें यहाँ तक ले आया है।”

उन्होंने कहा, “वह हमारी युवा बेटियों को खेल के मैदान में कदम रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हर संभव प्रयास करते रहते हैं।”

सुभाष सुथार के बेटे सुनील और बेटी कविता दोनों वॉलीबॉल के काफी बेहतरीन खिलाड़ी हैं। उन्होंने कहा कि उनकी भतीजी भी बसंत सिंह मान से ट्रेनिंग ले रही है।

सिलवाला खुर्द में रहने वाली कविता सुथार ने गाँव कनेक्शन को बताया, “जब मैं कक्षा छह में थी तब मैंने कोच मान से प्रशिक्षण लेना शुरू किया था। मैंने अभी 12वीं पास की है और अब तक कई टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुकी हूँ।” कविता ने राज्य स्तर पर 10 पदक जीते हैं और पिछले साल एशियाई चैंपियनशिप में थाईलैंड में खेली गई अंडर-18 वॉलीबॉल टीम की कप्तान भी थीं।

कविता ने कहा कि अपने कोच के लगातार समर्थन और गहन प्रशिक्षण के बिना वह सब हासिल करना संभव नहीं था जो उन्होंने हासिल किया है।

कविता ने कहा, “इस सबके पीछे उन्हीं का हाथ है। हमारे गाँव में लड़कियों को खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और उनमें से कई ने काफी अच्छा प्रदर्शन भी किया है।”

2022 में, बहरीन में आयोजित 21वीं एशियाई चैंपियनशिप में अजीत सिंह सेखों अंडर 20 टीम का हिस्सा थे। यह टीम वॉलीबॉल में रजत पदक के साथ लौटी थी।

कोच का अब तक का सफ़र

कोच मान ने 1980 में, हनुमानगढ़ जिले के संगरिया में ग्रामोत्थान विद्यापीठ कॉलेज ऑफ एजुकेशन में फिजिकल इंस्ट्रक्टर के तौर पर नौकरी ज्वाइन की थी और 2011 तक अपने पद पर बने रहे। वहाँ उन्होंने वॉलीबॉल, खो-खो, कबड्डी और एथलेटिक्स में बच्चों को प्रशिक्षित किया था।

21 सालों तक वह इस स्कूल से जुड़े रहे। उनके द्वारा प्रशिक्षित 13 खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला था। वहीं हजार से अधिक छात्र राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं।

2011 में ग्रामोत्थान विद्यापीठ के कुछ कर्मचारियों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया गया था। वहीं मान को उनके पैतृक गाँव सिलवाला खुर्द में सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में भेज दिया गया था।

कोच ने कहा, “मैंने तुरंत तीन वॉलीबॉल कोर्ट बनाने शुरू किए और वॉलीबॉल में छात्रों को प्रशिक्षित करना शुरू किया।” उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद भी वॉलीबॉल खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देना जारी रखा। वह कहते हैं कि 2011 के बाद से उन्होंने 155 खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया है जो आज राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं।

बड़े गर्व के साथ उन्होंने बताया, “इन सभी ने गाँव को गौरवान्वित किया है। और, इनमें से 125 लड़कियां हैं। जिन लड़कियों को मैंने प्रशिक्षित किया उनमें से तीन, कविता सुथार, सुखवीर कौर और अल्पना, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेली हैं।”

हनुमानगढ़ के जिला खेल अधिकारी शमशेर सिंह ने गाँव कनेक्शन को बताया, “यह हमारे लिए गर्व की बात है कि उनकी बदौलत हनुमानगढ़ जिला वॉलीबॉल के उभरते खिलाड़ियों के लिए प्रसिद्ध हो रहा है।” उन्होंने कहा कि हर दूसरे कोच को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।

मौजूदा समय में बसंत सिंह मान हनुमानगढ़ जिले में वॉलीबॉल एसोसिएशन के सचिव हैं। वह राजस्थान वॉलीबॉल एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और भारतीय वॉलीबॉल एसोसिएशन के सदस्य भी हैं

मान ने कहा, “जब भी मेरे छात्र खेलों में नाम कमाते हैं तो यह मेरे लिए खुशी की बात होती है। मेरे लिए, कोचिंग कोई पेशा नहीं है, यह मेरा कर्तव्य और मेरा जुनून है। ”उन्होंने अपनी बात खत्म करते हुए कहा, “मैं खेल को सफलता, बेहतर जीवन और अपने छात्रों के लिए एक सफल भविष्य के रूप में देखता हूँ।”

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