दिल्ली के पश्चिम विहार में एक स्कूल की इमारत से अक्सर नाटक की आती आवाज़ वहाँ से गुजरने वालों को भ्रम में डाल देती है कि कहीं ये कोई थियेटर तो नहीं है।
लेकिन नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं है। ये वहीँ सेंट मार्क्स सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल है जहाँ बच्चे अभिनय के जरिये पढ़ना सीखते हैं।
बच्चों को कोई भी विषय कितना भी पढ़ाया जाए जल्दी नहीं याद होता जबकि उन्हें कहानियाँ और गीत झट से रट जाते हैं। इसी फार्मूले को अपना रही हैं इस स्कूल में फिजिक्स की अध्यापिका रीतिका आनंद।
वो विषय को दिलचस्प बनाने के लिए बच्चों को कभी खिलौने, तो कभी कहानियों और नाटक या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद लेती हैं।
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित रीतिका आनंद सेंट मार्क्स सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल की वाइस प्रिंसिपल भी हैं। 44 वर्षीय रीतिका गाँव कनेक्शन से बताती हैं, “मुझे पढ़ाते हुए 23 साल बीत गए, टीचर से शुरुआत की थी और आज यहाँ की वाइस प्रिंसिपल हूँ। जब मैंने पढ़ाने की शुरुआत की तो मुझे लगता था कि क्लास में आवाज़ ऊँची करने वाला ही अच्छा टीचर होता है, लेकिन ये मेरी नादानी थी, बच्चों से घुलमिल कर पढ़ाने वाला सही टीचर होता है।”
Smt. Ritika Anand, a National Awardee Teacher 2023 from Delhi, collaborates with special educators & counsellors to implement programmes on special education, mental health etc. She contributes to PM e-vidya, DIKSHA portal, NIOS Mukt Vidya Vani etc.#OurTeachersOurPrerna… pic.twitter.com/QMZtI5CEUM
— Ministry of Education (@EduMinOfIndia) September 5, 2023
लेकिन रीतिका के पढ़ाने के तरीके में बदलाव आया साल 2008 में जब वो पहली बार थियेटर वर्कशॉप में शामिल होने गईं।
रितिका बताती हैं, “मैं और हमारी स्कूल की प्रिसिंपल जब थियेटर वर्कशॉप में शामिल हुए तो हमने वहाँ पर देखा कि ये तो लाइफ चेंजिंग मूवमेंट है। बस हमने सोचा कि हमें भी इस पर कुछ करना है।”
बस फिर क्या था पहले रीतिका ने थियेटर की वर्कशॉप की और फिर बाकी टीचरों को सिखाना शुरू कर दिया। अब तो वो नाटक लिखती भी हैं और खुद निर्देशन भी संभालती हैं। फिजिक्स जैसे विषय भी बच्चों को आसानी से समझ में आ जाता है।
पेशे से डेंटिस्ट 36 साल के डॉ विजित भोला भी रीतिका के स्टूडेंट रह चुके हैं। विजित गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “आज हम जो भी हैं इन सब में मैम का बहुत बड़ा योगदान है, मैम की पढ़ाई फिजिक्स आज तक याद है। जब पता चला कि मैम को राष्ट्रपति से सम्मान मिला तो बहुत खुशी हुई, वो डिजर्विंग टीचर हैं तभी तो उन्हें नेशनल अवार्ड मिला है।”
एक बार रीतिका से किसी ने पूछा कि शिक्षा के क्षेत्र में वो क्या अलग कर रही हैं, उनका जवाब था कि बच्चों को थियेटर यानी रंगमंच की मदद से पढ़ाती हैं। फिर उनसे पूछा गया कि दिव्यांग स्टूडेंट्स के लिए क्या कर रहीं हैं? तो इसका उनके पास कोई जवाब नहीं था। बस तभी से उन्होंने दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए काम करना शुरू कर दिया।
कोरोना के दौरान उन्होंने दिव्यांग स्टूडेंट्स के लिए रंगमंच की पाठशाला शुरू की थी। इसमें वो विद्यार्थियों को एक दो लाइनों के डायलॉग देती थीं और उन्हें वो ग्रीन स्क्रीन में रिकार्ड करने को कहती थीं । इन विद्यार्थियों से रिकॉर्डिंग लेकर उन्होंने उसे एडिट कर वीडियो तैयार किया।
वो स्टूडेंट्स को न सिर्फ पाठ, बल्कि उन्हें गुड टच और बैड टच जैसी चीजों के बारे में भी बताती हैं। उनके पढ़ाए कई स्टूडेंट्स आगे जा रहे हैं, अभी उनकी एक स्टूडेंट थियेटर प्रतियोगिता जीतकर यूके तक गई है।
रीतिका आगे बताती हैं, “हमारे यहाँ बच्चे हमेशा आगे रहते हैं, क्रिकेटर शिखर धवन हमारे स्कूल के स्टूडेंट रहे हैं। मैं हमेशा कहती हूँ फिजिक्स में तो छक्के नहीं मार पाए लेकिन खेल में आगे बढ़ रहे हैं।”
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित होने पर रीतिका कहती हैं, “जब मैं देखा करती थी लोगों को पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा है, तो मुझे हमेशा लगता था की काश मैं भी एक्ट्रेस होती तो मुझे भी ये अवार्ड मिल जाता , लेकिन जब पता चला देश में टीचर्स को भी ऐसा अवार्ड मिलता है, तो अपने आप में एक कॉन्फिडेंस आया कि हम भी देश के लिए ज़िम्मेदारी का काम कर रहे हैं।”
“शिक्षक होकर अपना हर समय बच्चों के साथ बिताना, अपनी आत्मा का एक हिस्सा हर बच्चों को दे देना और फिर आगे बढ़ जाना यही एक टीचर का जॉब है।” रीतिका ने आगे कहा।
रीतिका आनंद ने एनसीईआरटी के लिए माध्यमिक स्तर की कक्षाओं के लिए 47 वीडियो बनाए हैं जो ई-विद्या चैनल पर अपलोड हैं।