गाँव-गाँव घूम कर अपनी चलती फिरती प्रयोगशाला से अंधविश्वास दूर करते हैं ये मास्टर जी

गोंडा के राजेश मिश्रा की 'लैब ऑन बाइक' जिले ही नहीं पूरे प्रदेश में मशहूर हो रही है, जिसके जरिये वो गाँवों में लोगों को विज्ञान के प्रति जागरूक करते हैं।
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नींबू काटने पर लाल कैसे हो जाता है? नारियल फोड़ने पर उसमें से फूल कैसे निकल जाता है? या पानी में आग कैसे लग जाती है?

कल तक ये सब यूपी के गोंडा जिले के गाँवों के लोगों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था; लेकिन अब गाँव के बच्चों को भी मालूम चल गया है ये जादू या चमत्कार नहीं इसके पीछे एक विज्ञान है।

“ऐसे कई करतब देखने पर गाँव में लोगों को लगता था कि ये कोई चमत्कार है; लेकिन अब नहीं लगता, क्योंकि सबको मैंने समझा दिया है इसके पीछे की सच्चाई क्या है।” बच्चों को विज्ञान पढ़ाने वाले राजेश मिश्रा ने गाँव कनेक्शन से कहा।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 116 किलोमीटर दूर गोंडा जिले के रहने वाले राजेश मिश्रा गाँवों में घूम-घूमकर लोगों को जागरूक करते हैं।

“जब 2010 में मेरी एमएससी की पढ़ाई पूरी हुई तो मैंने सोचा कि कमाते खाते तो सभी हैं, मैं उन्हीं की तरह हो जाऊँगा; मुझे कुछ अलग करना था।” राजेश मिश्रा गाँव कनेक्शन से कहते हैं।

वो आगे कहते हैं, “मैंने सोचा कि विज्ञान के जरिए गाँव में थोड़ी जागरूकता लायी जाए, मैंने कुछ टीचर्स की कहानियाँ देखी, जो अलग तरीके से समाज में बदलाव लाने का काम कर रहे थे।”

बस यहीं से राजेश ने इसकी शुरुआत की और गाँव-गाँव जाकर बच्चों के साथ ही बड़ों को भी अंधविश्वास के प्रति जागरूक करना शुरू कर दिया।

राजेश ने लैब ऑन बाइक की शुरुआत की है, अपनी बाइक पर विज्ञान का सारा सामान लेकर वो गाँव के लिए निकल पड़ते हैं। साथ ही मोबाइल विज्ञान पुस्तकालय की भी शुरुआत की है, जिसमें बच्चों के लिए विज्ञान की किताबें लेकर चलते हैं।

“एक बार मैंने सुना कि गाँव में हल्दी में आग लग गई और हल्दी लाल हो, वहाँ पर कोई शक्ति है; मैंने गाँव में जाकर लोगों को बताया कि ये विज्ञान है न कि इसमें कोई शक्ति है। ” राजेश ने आगे कहा।

राजेश बिना किसी की मदद से खुद के ख़र्च पर दूर-दूर के गाँव में जाकर बच्चों और बड़ों को जागरूक करते हैं। अब तक राजेश गोंडा के साथ ही आसपास के जिलों जैसे बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच के लगभग 1000 गाँव में जा चुके हैं।

राजेश गोंडा के एआईएम इंटरनेशनल स्कूल में टीचर हैं, तीन बजे स्कूल की छुट्टी होने के बाद वो किसी गाँव के लिए निकल जाते हैं, नहीं तो छुट्टियों वाले दिन तो जाते ही रहते हैं।

राजेश आगे बताते हैं, “गाँव में जाने से पहले अपना कोई ना कोई कनेक्शन होता है, किसी एक को पहले से बता देता हूँ जिससे वहाँ वो लोगों को इकट्ठा कर लेते हैं, लेकिन जहाँ कोई नहीं होता वहाँ बच्चों के जरिए इकट्ठा करते है, जहाँ दो बच्चे मिले वो खुद 20 बच्चे इकट्ठा कर देते हैं, मेरा काम इतना आसान नहीं होता हैं लेकिन करना है तो करना है।”

गाँव में अक्सर कोई न कोई जादू और चमत्कार के नाम लोगों को ठगने आ जाते हैं। राजेश बताते हैं, “एक दिन जब मैं गाँव में गया तो लोगों को छन्नी में पानी रोककर दिखाया तो लोगों ने बताया कि 20 दिन पहले कोई यहाँ पर आया था और इसे जादू बताकर लोगों से पैसे लेकर गया था।”

“फिर मैंने समझाया ये कोई शक्ति नहीं ये आप भी कर सकते हैं और उनसे भी करवाया; अब तो कम से कम उस गाँव के लोग किसी के चगुंल में नहीं आएंगे, एक बार अंधविश्वास दूर हो गया फिर कोई बेवकूफ़ नहीं बना सकता हैं। ” राजेश ने आगे बताया।

राजेश ने रे ऑफ साइंस क्लब की शुरुआत की है, साथ ही लैब ऑन बाइक और मोबाइल विज्ञान पुस्तकालय भी चलाते हैं।

ऐसा नहीं है कि राजेश ने जब इन सबकी शुरूआत की तो उनकी मदद के लिए लोग आए। शुरू में उनके घर वाले कहते कि क्या बेवकूफी कर रहे हो इससे कोई बदलाव नहीं आएगा, लेकिन वही लोग राजेश की अब तारीफ करते हैं।

गोंडा के मोतीगंज गाँव के टीचर अंकित कुमार शर्मा कहते हैं,” गाँव में लोगों को अंधविश्वास को लेकर कुछ समझाना आसान नहीं है; लेकिन राजेश जिस तरह से लोगों को समझाते हैं वो पूरी तरह वैज्ञानिक होता है, इसलिए लोग तुरंत समझ जाते हैं।”

राजेश के साथ गाँवों में जाने वाले उनके साथी शिवांग शेखर चौधरी का कहना है कि ऐसा जागरूकता अभियान हर गाँव में चलाना चाहिए “आज ज़्यादातर गाँवों में जादू और चमत्कार के नाम पर बेवकूफ बनाया जा रहा हैं , अगर लोगों को सही जानकारी रहे तो काफी हद तक इसपर लगाम लग सकेगी।  

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