विलियमनगर पूर्वोत्तर भारत के दूरदराज़ इलाके में बसा शहर है जो मेघालय की राजधानी शिलांग से 225 किलोमीटर दूर स्थित है। पूर्वी गारो हिल्स में बसा यह इलाका कभी उग्रवाद प्रभावित हुआ करता था और कोई भी शिक्षक वहाँ के आदिवासी बच्चों को पढ़ाने के लिए विलियमनगर नहीं जाना चाहता था।
ऐसे माहौल में गमची टिमरे आर मराक ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपने कदम विलियम नगर में रखे। वह पिछले तीन दशकों से न सिर्फ बच्चों को पढ़ा रही हैं, बल्कि उन्हें नशे से दूर ले जाने में भी मदद कर रही हैं।
59 साल की मराक ने गाँव कनेक्शन को बताया, “जब नशे के जाल में फँसे ये छात्र मदद माँगने आते हैं, तो मैं मूल कारण को समझने और उनकी जरूरत के हिसाब से उन्हें परामर्श देने का प्रयास करती हूँ; सही समय पर, मैं उन्हें बाल सँरक्षण कार्यालय के युवा काउँसलर से जोड़ती हूँ।” उन्हें 2022 में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार भी मिल चुका है।
उनके पूर्व छात्रों में से एक ने याद करते हुए बताया कि कैसे वह अपनी किशोरावस्था एक अंधकार में बिता रहा था। वह नशे का सेवन करने लगा था, जिससे उसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य खराब हो गया।
उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया, “दो दशक पहले मैं अवैध नशीली दवाओं का आदी हो गया था; मैं उनके बिना नहीं रह सकता था। मेरी पढ़ाई में दिलचस्पी खत्म हो गई थी। मैं अपने परिवार या बाहर के किसी भी व्यक्ति से बमुश्किल बात कर पाता था, मेरा ज़्यादातर समय दिन अँधेरे में बीतता था।”
मराक उस समय उनके स्कूल की मुख्य शिक्षिका थीं। उन्होंने छात्र को इस दलदल से बाहर निकालने में मदद की और उसकी जान बचाई।
अपना नाम न बताने की शर्त पर उनके पूर्व छात्र ने कहा, “वह घर आईं और उन्होंने मेरे परिवार वालों के साथ बात की; उन्होंने शुरुआती काउँसलिंग की और यहाँ तक कि मुझे एक पेशेवर परामर्शदाता के पास भी ले गई, धीरे-धीरे मैं ठीक होने लगा; मेरा मन पढ़ाई में भी लगने लगा था, आखिरकार मैं अपने जीवन में सफल हो गया।”
मराक ने मेघालय के कई छोटे बच्चों का जीवन बदल दिया है। उनकी देखभाल, सहानुभूति और दृढ़ सँकल्प ने नशे में डूबे बच्चों को एक बार फिर से मुख्यधारा में वापस ला खड़ा किया है।
अपने सफर को याद करते हुए उन्होंने कहा, “जब मैं और मेरे पति यहाँ (विलियमनगर) आए, तो वहाँ मुट्ठी भर शिक्षित लोग थे; इसने हमें इस दूरस्थ स्थान में शिक्षा का प्रकाश फैलाने के लिए प्रेरित किया।
1989 में, मराक ने टाउन नर्सरी स्कूल खोलने में ‘टाउन बैपटिस्ट चर्च’, विलियमनगर की मदद की। बाद में इस स्कूल का नाम बदलकर ग्रीनयार्ड इंग्लिश स्कूल कर दिया गया। 1994 में समान विचारधारा वाले लोगों के साथ और समुदाय के कहने पर उन्होंने जूनियर छात्रों के लिए ‘एजुकेरे स्कूल’ की स्थापना की।
वह याद करते हुए बताती हैं, “मुझे यहाँ के लोगों से जबरदस्त समर्थन मिला। एक स्थानीय निवासी ने अपनी निजी जमीन पर स्कूल बनाया और फिर स्कूल को किराए पर दे दिया।”
समय के साथ स्कूल आगे बढ़ता गया। 2002 में मेघालय बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन द्वारा इसे मान्यता दी गई। मराक के प्रयासों और समर्पण का फल तब मिला जब 2014 में स्कूल को उच्च माध्यमिक स्तर तक बढ़ा दिया गया। वह अब एजुकेरे हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल हैं।
इस स्कूल में फिलहाल 370 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से ज़्यादातर छात्र वंचित पृष्ठभूमि से हैं। एजुकेरे हायर सेकेंडरी स्कूल एक ज़रूरत के मुताबिक स्थानीय संस्थान के रूप में विकसित हुआ है। यह कई तरह के छात्रों को शिक्षा करने का काम करता है। कुछ छात्र ऐसे हैं जो गुणवत्तापूर्ण और नई शिक्षा चाहते हैं तो कई छात्र ऐसे भी हैं जो कुछ साल पहले तक अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ चुके थे। इसके अलावा अन्य स्कूलों से निकाले गए छात्र भी इस स्कूल में जगह पाते हैं।
हाशिए पर रहने वाले समुदायों के बच्चों में से कुछ के पिता नहीं हैं, तो कई बच्चों की माँ नहीं है। या फिर कुछ बच्चे अनाथ भी हैं जिन्हें खास देखभाल और ध्यान की जरुरत होती है।
मारक ने कहा कि ऐसे बच्चों को समाज से अलग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्कूल में सभी को दाखिला दिया जाता है और उन बच्चों पर अतिरिक्त ध्यान दिया जाता है जिन्हें इसकी जरूरत है।
10वीं क्लास में पढ़ने वाली मियाँशा एन मराक ने कहा कि स्कूल में उसका गर्मजोशी से स्वागत हुआ था। मियाँशा ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मैं दूसरे स्कूल में पढ़ रही थी लेकिन मैं पढ़ाई में अच्छी नहीं थी, सो मुझे स्कूल छोड़ना पड़ा; मैंने यहाँ एडमिशन ले लिया, यहाँ शिक्षकों का मुझे काफी सपोर्ट मिला। वे हमेशा मेरी मदद के लिए तैयार रहते हैं, हमारी प्रिंसिपल खुद मोटिवेशनल क्लासेस लेती हैं जो मुझे और बेहतर बनाने में मदद करती हैं।” उसने गर्व से कहा कि वह कक्षा में बेस्ट स्टूडेंट्स में से एक है।
मराक और उनके सहयोगियों के लगातार मार्गदर्शन और परामर्श के कारण, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के कई बच्चों ने पढ़ाई जारी रखी है और अपने और अपने परिवार के सदस्यों के लिए बेहतर भविष्य सुरक्षित किया है।
स्कूल के एक वरिष्ठ शिक्षक प्रिंगची एन मराक ने कहा, स्कूल बच्चों के समग्र विकास के लिए प्रयास करता है। उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया, “को-करिकुलर एक्टिविटीज के तौर पर स्कूल ताइक्वांडो, सँगीत, स्काउट्स और गाइड, शिल्प आदि की कलासेज लेता है, हमारे पास एक नर्सरी भी है और हम एक स्वास्थ्य और कल्याण क्लब बनाने जा रहे हैं।”
सब डिविजनल एजुकेशन ऑफिसर ने गाँव कनेक्शन को बताया, “ज़्यादातर, शिक्षक ऐसे चुनौतीपूर्ण जगहों पर बने स्कूलों में जाने से झिझकते हैं, मराक ने विलियमनगर को चुना और इस इलाके में सभी बच्चों तक बेहतर शिक्षा पहुँचे, इसके लिए अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही हैं; मेघालय को मराक जैसे शिक्षकों की जरूरत है।”