तीन जनवरी, 2023 को पहली शिक्षिका और समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले के जन्मदिवस के मौके पर गाँव कनेक्शन ने एक छोटी सी शुरुआत की थी, एक साल बाद ये कारवाँ और आगे बढ़ा और आज हज़ारों की संख्या में सुदूर क्षेत्रों में ज्ञान देने वाले शिक्षक इस मुहिम से जुड़ गए हैं।
इस ‘टीचर कनेक्शन’ मुहिम में गाँव कनेक्शन वीडियो, टेक्स्ट और ऑडियो के माध्यम से ऐसे टीचरों की कहानियाँ लेकर आ रहा है, जिनके बारे में कोई बात ही नहीं करता है।
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और झारखंड के जंगलों में बसे आदिवासी गाँव में पढ़ाने वाले शिक्षक हो या फिर कश्मीर में बर्फबारी के बीच गाँवों में बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक। किसी ने किताबें इकट्ठा कर उत्तराखंड के पहाड़ी गाँवों में बच्चों के लिए घोड़ा लाइब्रेरी शुरू किया है तो कोई साईकिल से घूम घूम कर गाँवों में पढ़ने के लिए किताबें बाँट रहा है।
टीचर कनेक्शन मुहिम में शिक्षक, ‘टीचर्स डायरी’ के माध्यम से अपने मन के भाव लोगों से साझा करते हैं; जो कहीं किसी पन्नों में दबकर रह गए थे। आज उनको एक ऐसा माध्यम मिल गया है जहाँ वो दुनिया के सामने अपनी बात रख सकें।
गाँव कनेक्शन के फाउंडर नीलेश मिसरा कहते हैं, “समाज के एक ऐसे वर्ग की बातें करना, उनकी उपलब्धियों, उनकी चुनौतियों, उनकी छोटी बड़ी जीत हार पर बात करना जो अक्सर होती नहीं है; हम वीडियो, ऑडियो और टेक्स्ट के माध्यम से तपस्या करके, फुट वर्क करके टीचरों की कहानियाँ, देश के अलग-अलग हिस्सों से ढूंढ़ कर लाते हैं और हम चाहते हैं कि आप भी इसमें शामिल हों।”
वो आगे कहते हैं, “टीचर का जीवन ऐसा ही होता है, मैं ये जानता हूँ क्योंकि मैं भी टीचरों का बेटा हूँ; मेरे माता और पिता दोनों टीचर रहे हैं, उम्र के इस पड़ाव में आकर भी पढ़ाते हैं; पिता जी यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे, वहीं से रिटायर हुए, माता जी ने लखनऊ ने पढ़ाया और गाँव के स्कूल में निरंतर पढ़ाती रहीं।”
“मेरे परिवार में कई टीचर हैं तो मैं जानता हूँ, मैं जानता हूँ टीचर के जीवन के छोटे-बड़े पल सुखद होते हैं, कई बार उतने सुखद नहीं होते हैं; लेकिन कई बार साझा करने के लिए उनके पास कोई नहीं होता है, कई बार उनको लगता होगा कि हम ये सब क्यों कर रहे हैं; हर टीचर की जिंदगी में, हर टीचर के मन में कई बार ये खयाल आता होगा और साथ ही हर टीचर को कई बार ये भी ख्याल आता होगा कि हाँ हम इसीलिए तो टीचर बने थे; क्योंकि सुख के क्षण, संतोष के क्षण भी आते हैं, इतना खूबसूरत ये काम है, तपस्या है, सेवा है; तो हम टीचरों के साथ खड़े रहेंगे हम और आप दोनों। ” नीलेश मिसरा ने आगे कहा।
टीचर कनेक्शन ने अब तक देश के कोने-कोने से 480 से ज़्यादा ख़बरें, 100 वीडियोज और 200 मिनट की ऑडियो कहानियाँ की हैं। यही नहीं हर महीने टीचर कनेक्शन की हिंदी और इंग्लिश में ई-मैग्ज़ीन भी लेकर आते हैं।
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