स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की शिक्षिकाओं और महिला अनुदेशकों को अब तीन माह का मातृत्व अवकाश मिल सकेगा, लेकिन इस दौरान उन्हें मानदेय नहीं मिलेगा। अवकाश की मांग महिलाएं काफी दिनों से कर रही थीं। शिक्षा परियोजना परिषद की कार्यकारिणी समिति के निर्णय पर राज्य परियोजना निदेशक ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किया है।
उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत महिला अनुदेशकों को कोई मातृत्व अवकाश नहीं मिलता है, जिससे उन्हें तमाम प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अपने हक की लड़ाई लड़ रही महिला अनुदेशकों ने उच्च न्यायालय तक गुहार लगाई। प्रदेश की करीब 600 महिला अनुदेशक और कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में करीब 200 शिक्षिकाएं और अन्य महिला कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा।
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बहराइच जिले के शिवपुर ब्लॅाक के कस्तूरबा गांधी विद्यालय की वार्डन रेखा बताती हैं, “कस्तूरबा गांधी आवसीय विद्यालय में काम करने वाली शिक्षिका को मां बनने के समय छुट्टी मिलने पर बहुत ज्यादा समस्या होती है। मां बनने के एक माह बाद ही विद्यालय आना पड़ता था, नहीं तो नौकरी जाने का डर हमेशा बना रहता था। छुट्टी मिलनी जरूरी है मानदेय मिले या न मिले।” चिनहट में कार्यरत शिक्षिका नाम न बताने कि शर्त में बताती हैं, “मां बनने के समय छुट्टी के लिए बीएसए के पास जाना पड़ता था। जब महिला समाख्या के पास अधिकार था तब उनसे छुट्टी लेनी पड़ती थी,अब एक मजबूती सी मिल गई है।”
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राज्य परियोजना निदेशक सर्व शिक्षा अभियान राजकुमारी वर्मा ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जारी आदेश में कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित उच्च प्राथमिक विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में संविदा कर्मियों को मातृत्व अवकाश संबंधी मामला उच्च न्यायालय तक पहुंचा था, जिसके बाद से शिक्षा परियोजना परिषद की कार्यसमिति में मामला रखा गया और समिति ने बिना मानदेय के तीन माह का मातृत्व अवकाश देने के प्रस्ताव का अनुमोदन कर शासनादेश जारी करने के निर्देश दिए हैं।
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