स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। प्रदेश में बीजेपी सरकार के आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी के काम में तेजी आई है। लखनऊ भी स्मार्ट सिटी बनने की सूची में शामिल हैं। इसके तहत कैसरबाग क्रॉसिंग, बस स्टैंड, कैंटोमेंट रोड, आरके टंडन रोड, दयानिधान पार्क, सरोजिनी नायडू और बेगम हजरत महल पार्क जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
हालांकि जहां एक ओर शहर में स्मार्ट सिटी के काम पर आम नागरिकों को खुशी है वहीं रेहड़ी-पटरी कारोबारियों को बेरोजगार होने का डर सता रहा है।
‘कोर्ट में मामला स्टे होने के बावजूद अधिकारी दुकान हटाने को बोलते हैं’
राजधानी लखनऊ में स्मार्ट सिटी के अंतर्गत सबसे ज्यादा क्षेत्र कैसरबाग का है। इस लिहाज से क्षेत्र में नगर निगम का काम तेजी से और सबसे पहले हो रहा है। कैसरबाग चौराहे के पास कबाड़ की दुकान चलाने वाले मोहमद गुफरान (40 वर्ष ) बताते हैं, ‘हम लोग यहां 30 साल से ज्यादा समय से दुकान चला रहे हैं, लेकिन अब नगर निगम के अधिकारी इसे बंद करने के लिए बोल रहे हैं। हम जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय तक इस मसले को लेकर गए जहां अभी मामला विचाराधीन है। इसके बावजूद भी नगर निगम के अधिकारी हर हफ्ते दुकान हटाने के लिए कहते हैं।
कैसरबाग के लिए 550 करोड़ रुपए का प्रस्ताव
स्मार्ट सिटी के लिए कैसरबाग में अनुमानित 550 करोड़ रुपए खर्च किया जाना है। इसको लेकर नगर निगम के अधिकारी प्रस्ताव तैयार कर चुके हैं, जिसे तीन अप्रैल को मंडल आयुक्त के पास पेश किया जाएगा। इस योजना के तहत शहर को खूबसूरत बनाने के लिए पानी निकासी, पानी की समय पर सप्लाई के साथ सुरक्षा को ध्यान में रखा जाता है।
योजना के अंतर्गत कैसरबाग चौराहे के पास दस से पन्द्रह दुकानें हैं जिन्हें नगर निगम जल्द ही हटाने के आदेश दे चुका है। इन्हीं दुकानदारों में एक अहमद खान सरकार को कोसते हुए कहते हैं कि हमारा मांस बेचने का कारोबार था, इस सरकार के शासन में वो भी बंद हो गया है। अब हमारी दुकान भी बंद होने वाली है। हम सड़क पर आ जाएंगे। सरकार हमें भूखों मारना चाहती है।
‘सरकार गरीबों को हटाकर शहर को स्मार्ट बनाना चाहती है’
कैसरबाग चौराहे के पास बर्फ की दुकान चलाने वाले कल्लू कहते हैं कि स्मार्ट सिटी में गरीब नहीं होंगे। सरकार गरीबों को हटाकर शहर को स्मार्ट बनाना चाहती है। सरकार गरीबी दूर करने की कोशिश नहीं कर रही है वो ग़रीबों को ही हटा रही है।
पेशे से वकील और स्थानीय निवासी असीम उस्मानी बताते हैं कि नगर निगम लोगों को बिना कहीं ठिकाना दिए हटा रही है। हम लोग यहां वर्षों से रह रहे हैं, लेकिन नगर निगम के लोग स्थानीय निवासियों से बेहद कठोरता से पेश आ रहे है। कोर्ट के स्टे के बावजूद लोगों को परेशान किया जा रहा है। दुकानों से बिजली का कनेक्शन काट दिया गया।
हर वक्त नगर निगम के डर में जीने वाले रेहड़ी-पटरी वालों में एक प्रकार का दहशत है। चौराहे के पास ही दाल-चावल का ठेला लगाने वाली सुमन देवी बताती हैं कि सरकार हमें मारना चाहती है। पढ़े- लिखे तो हम है नहीं कि कोई दूसरा काम कर लें। अगर ठेला हट गया तो हम लोग भूखे मर जाएंगे।
गौरतलब है कि शहरों को स्मार्ट बनाने की 100 शहरों के नामों की घोषणा प्रधानमंत्री ने जून 2015 को किया था। इसमें उत्तर प्रदेश के 13 शहर शामिल है। इसी के साथ पिछले साल स्मार्ट सिटी प्रतियोगिता में लखनऊ पहले स्थान पर रहा।
जो जबरदस्ती रह रहे थे उन्हें जगह क्यों दी जाए
अपर नगर आयुक्त पीके श्रीवास्तव बताते हैं कि तीन अप्रैल को हम मंडल आयुक्त के पास प्रस्ताव रखेंगे, उसके बाद तय होगा कि कौन सा काम पहले होगा। फर्स्ट फेज का काम एक से दो सप्ताह में शुरू होने वाली है। इसको लेकर दिल्ली से विशेषज्ञों की टीम आई हुई हैं। पीके श्रीवास्तव ने बताया कि स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में अभी तो लखनऊ में कोई काम नहीं हुआ है। नगर निगम ने काम को लेकर रोड मैप तैयार कर लिया है।
विस्थापित लोगों को कहीं स्थापित करने के सवाल पर पीके श्रीवास्तव बताते हैं कि जो लोग जबरदस्ती वर्षों से रह रहे थे उन्हें क्यों जगह दी जाए। सरकार की ज़मीन पर उन लोगों ने कब्जा किया था।
कैसरबाग में ट्रैफिक जाम है बड़ी समस्या
कैसरबाग की असली समस्या ट्रैफिक जाम और जाम नाले हैं। स्थानीय निवासी जिबुल्लाह बताते हैं, ‘पहले हाईकोर्ट होने के कारण यहां जाम की स्थिति बनी रहती थी, अब बस स्टॉप होने के कारण यहां दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है। दिन में किसी भी समय चौराहे पर दो-चार बसें और ऑटो खड़े रहते हैं। बस चालक बस स्टॉप पर गाड़ी रोकने की बजाय सड़क पर रोक देते हैं, जिसके कारण यहां जाम से लोग परेशान हैं।
ट्रैफिक के अलावा यहां जाम पड़े नाले समस्या है। बरसात के दिनों में सड़कों पर पानी भर जाता है। जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
स्मार्ट सिटी में क्या होगा
प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट समत सिटी में लोगों क्वालिटी ऑफ लाइफ, निवेश, रोजगार, ट्रान्सपोर्ट, आवास बिजली और पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और वाईफाई कनेक्टिविटी की बेहतर सुविधा देने का प्रावधान है। स्मार्ट सिटी के निर्माण के लिए 500 करोड़ केंद्र सरकार देगी और 500 करोड़ राज्य सरकार देगी।