गाँव कनेक्शन संवाददाता
लखनऊ। “मेरी बेटी चिन्ना कक्षा नौ में राजकीय बालिका इंटर कालेज, महोली में पढ़ती है, वह बोल-सुन नहीं सकती, लेकिन होशियार बहुत है। इसलिए मैं उसको ज्यादा पढ़ाना चाहता हूं, ताकि उसका भविष्य अच्छा हो सके, लेकिन पिछले एक महीने से उसकी पढ़ाई नहीं हो रही। उसके टीचर जो स्कूल में पढ़ाने आते थे वह एक महीने से नहीं आ रहे हैं।” ये कहना है शिरीष बाजपेयी (42 वर्ष) का।
समावेशी शिक्षा योजना (आईईडीएसएस) के तहत दिव्यांगजनों की शिक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी, जिसके तहत दिव्यांगों को पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षकों से अनुबंध किया गया था, लेकिन अगस्त से विशेष शिक्षकों का अनुबंध समाप्त कर दिया गया, इस वजह से कक्षा नौ से 12 तक के दिव्यांग बच्चों का भविष्य अधर में है।
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प्रदेश में कक्षा नौ से 12 तक के 7454 दिव्यांग छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए कुल 311 विशेष शिक्षक थे जो पिछले एक महीने यानी 15 अगस्त से बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल नहीं जा रहे हैं। फिलहाल यह मामला कोर्ट में है।
रानी महेन्द्र देव इंटर कॉलेज कॉलेज सुल्तानपुर में कक्षा 11 में पढ़ने वाले छात्र रत्नेश निषाद (16 वर्ष) जो कि दृष्टिबाधित दिव्यांग हैं कहते हैं, “स्कूल में टीचर काफी दिनों से नहीं आ रहे हैं। पढ़ाई में बहुत दिक्कत हो रही है। मैं अपनी कक्षा में अकेला ऐसा हूं, जिसको दिखता नहीं है। बाकी बच्चे तो पढ़ रहे हैं पर मैं अपने टीचर के बिना नहीं पढ़ पा रहा। मेरी पढ़ाई खराब हो रही है। मैं बहुत पढ़ना चाहता हूं ताकि अच्छी नौकरी मिल सके और अपने माता-पिता का हाथ बटा सकूं। मेरे पिता बाहर मुंबई में रहकर शर्बत बेचने का काम करते हैं और मैं अपनी मां के पास अकेला रहता हूं। वह जो भी खर्चा भेजते हैं उसमें बहुत मुश्किल होती है। मैं हाईस्कूल में 51 फीसदी नम्बर से पास हुआ था और अब ज्यादा नम्बर से पास होना चाहता हूं, जिसके लिए पढ़ाई करना जरूरी है।”
रायबरेली जिले के सात स्कूलों में दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करते रहे विशेष शिक्षक आशीष सिंह कहते हैं, “बच्चों का और हम शिक्षकों का भविष्य भी खराब हो रहा है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अभियान के अपर राज्य परियोजना निदेशक के संवेदनहीन एवं तर्कहीन निर्णय के द्वारा शैक्षणिक सत्र 2017-2018 के प्रारंभ में हमारी सेवा बाधित कर दी गई है, जबकि आईईडीएसएस योजना के लिए वर्ष 2017-2018 का पूर्ण बजट उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अभियान लखनऊ को उपलब्ध कराया जा चुका है।
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राज्य परियोजना कार्यालय और ओमेक्स सिक्योरिटी का अनुबंध सितम्बर 2015 हुआ था, जिसके तहत हम लोगों की नियुक्ति दिसम्बर 2015 में हुई। इसके तीन महीने बाद इसको एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया, लेकिन हमारे अनुबंध का विस्तार नहीं किया गया और काम लेते रहे। इसके बाद 30 जून 2017 को हमारा अनुबंध समाप्त कर दिया गया था।” उत्तर प्रदेश के राजकीय तथा शासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाओं में दिव्यांगों (मूक बधिर, दृष्टि बाधित एवं अन्य) की समावेशी शिक्षा के लिए केन्द सरकार द्वारा अनुदानित आईईडीएसएस योजना उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अभियान के द्वारा उत्तर प्रदेश के समस्त जनपदों में शुरू की गई थी, जिसको अब बाधित कर दिया गया है।
‘कई महीनों से हम लोगों को नहीं मिला वेतन, अभिभावकों के स्कूल में पढ़ाने के लिए आते हैं फोन’
विशेष शिक्षक ज्योति पांडेय (33 वर्ष) कहती हैं, “मैं लखनऊ में पांच से सात स्कूलों में हर सप्ताह अपनी सेवाएं देती हूं वह भी तब जब पिछले सात महीनों से वेतन नहीं मिला है। बिना वेतन के भी इसलिए पढ़ा रही थी ताकि बच्चों का भविष्य खराब न हो। लेकिन इसके बावजूद भी बच्चों का भविष्य अंधकार में है। हम लोगों की सेवाएं बाधित कर दी गई हैं।
बच्चों के अभिभावकों के फोन आते हैं कि स्कूल में पढ़ाने आइये लेकिन हम लोग कैसे जाएं।” विशेष शिक्षक चन्द्रभान द्ववेदी (35 वर्ष) ने बताया, “मैं सीतापुर के छह विद्यालयों में पढ़ा रहा था लेकिन हम लोगों की सेवाएं बाधित कर दी गई हैं और वेतन भी पिछले कई महीनों से नहीं मिला है।
केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध करवाये जाने वाले इस बजट में आईईडीएसएस योजना की सम्पूर्ण क्रिया-कलापों के अलावा, सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में कक्षा आठ पास एवं ड्रॉपआउट सीडब्ल्यूएसएन छात्र छात्राओं के नामांकन एवं पूर्व में अध्ययनरत हजारों छात्र-छात्राओं के शिक्षण के लिए 311 पूर्व कार्यरत स्पेशल एजुकेटर के वेतन के लिए आगामी 11 माह का बजट भी अनुमोदित है साथ ही कुल स्वीकृत 500 पदों के सापेक्ष 189 खाली पदों के भरने के निर्देश हैं, लेकिन पीएबी एवं एडब्ल्यूपी की गाइडलाइंस को न मानते हुए 311 विशेष शिक्षकों की सेवाओं को समाप्त करके उत्तर प्रदेश राज्य में सम्पूर्ण आईईडीएसएस योजना को बेपटरी किया जा रहा है।”
चन्द्रभान ने आगे बताया, “उत्तर प्रदेश में ही यह नियम बनाया गया है कि हम लोगों को नौकरी पर रखने के लिए सेवा प्रदाता यानि सर्विस प्रोवाइडर कंपनीज को टेंडर दिया जाता है जो सरकार को मैनपावर उपलब्ध करवाती है। लेकिन बाकी प्रदेशों में विभागीय संविदा निकाली जाती है और हम लोग जिला विद्यालय निरीक्षक के अंडर में कार्य करते हैं। दिल्ली में दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के द्वारा परमानेंट सरकारी नौकरी निकाली जाती हैं और परमानेंट पोस्ट होती हैं।”
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हमारी एजेंसी शकुंतला यूनिवर्सिटी, आजमगढ़ मेडिकल कॉलेज जैसे अन्य विभागों को उनकी मांग के अनुसार मैनपावर उपलब्ध करवाती है।
जेडी सिंह, एक्जक्यूटिव डायरेक्टर, ओमेक्स सिक्योरिटी
वह आगे बताते हैं- “हमारा अनुबंध उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत चल रही केन्द्र सरकार की समावेशी शिक्षा योजना (आईईडीएसएस) के लिए विशेष शिक्षक उपलब्ध करवाने के लिए दो वर्ष पहले हुआ था। इस वर्ष मई में हमारा अनुबंध 15 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया था, जिसको इसी दिन खत्म कर दिया गया, जबकि नियम के अनुसार इस अनुबंध को अगले शैक्षिक सत्र तक के लिए बढ़ाया जाना था ताकि बच्चों का भविष्य अधर में न फंसे। लेकिन इस अनुबंध को खत्म कर दिया गया इससे उन शिक्षकों के साथ उन बच्चों का भी नुकसान है जिनकी पढ़ाई बाधित हो रही है।”
मामला न्यायालय में है। मैं न्यायालय की बहुत इज्जत करता हूं लेकिन यह भी सही है कि कोर्ट को जो आदेश देना था वह उस ओमेक्स सिक्योरिटी को देना था जिसका विशेष शिक्षकों के साथ अनुबंध हुआ था।
विष्णुकांत पाण्डेय, अपर राज्य परियोजना निदेशक
वह आगे बताते हैं, “ न मैंने इन लोगों को काम पर रखा था न ही काम करने से रोका है। वैसे भी अब मामला न्यायालय में है और इसका फैसला जल्द ही आने वाला है। रही बात ईटेडंर की तो उसकी प्रक्रिया जारी है।”
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