सरकारी अस्पताल में बिना पैसे के नहीं होता इलाज

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स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद सरकारी अस्पताल में गरीबों को नि:शुल्क इलाज नहीं मिल पा रहा है। गर्भवती महिलाओं से प्रसव के दौरान बेहतर इलाज देने के नाम पर पैसा मांगे जा रहे हैं।

जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर मड़ियांव के गायत्री नगर की रहने वाली महिला कोमल सिंह अपनी बहन के साथ डिलीवरी के लिए बलरामपुर अस्पताल में आईं थी। महिला ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया, “पहले तो मेरी बहन को एडमिट ही नहीं कर रहे थे न ठीक से बात कर रहे थे। फिर मैंने उनसे कहा कि हमारे कागज वापस कर दो हम कहीं और चले जाएंगे। कागज मांगने पर उन्होंने वापस नहीं जाने दिया।”

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वह आगे बताती हैं, “कहासुनी के बाद एडमिट किया। डिलीवरी के समय डॉक्टर ने कहा कि ऑपरेशन होगा तो मैंने उनको 200 रुपए दिए उसके बाद नॉर्मल डिलीवरी हुई, जिससे मरी हुई बच्ची पैदा हुई, लेकिन मेरी बहन की जान बच गई। यहां पर बहुत सी महिलाएं हैं जो डिलीवरी करने वाले डॉक्टर को पैसा देती हैं। कपड़े धोने से लगाकर कपड़े बदलवाने के नाम पर 10 से 20 रुपए मांगे जाते हैं।”

नाम न छापने की शर्त पर बलरामपुर अस्पताल में मौजूद महिला ने बताया, “मेरी बहू को बेटा हुआ है इसलिए डिलीवरी के समय डॉक्टर ने 1,000 रुपए मांगे। वहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कपड़े बदलने से लगाकर, बच्चे को नहलाने-धुलाने तक के लिए 50-50 और 100 रुपए मांग करते हैं। कुछ लोग अपनी खुशी से भी देते हैं, लेकिन एक को दे दिया और एक को नहीं दिया तो उसके लिए लड़ाई भी करने के लिए कर्मचारी आते हैं। अगर आप ने पैसे दे दिए तो अस्पताल में आपके मरीज की देखभाल बहुत अच्छे से की जाएगी। अगर आपने पैसे नहीं खर्च किए तो आप के मरीज की देखभाल ठीक से नहीं की जाएगी।”

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी जीएस बाजपेई बताते है इस मामले की जांच करने के बाद ही कुछ बता पाएंगे। महिलाओं से पैसा कर्मचारी लेते हैं, लेकिन डॉक्टरों के पैसे लेने की शिकायत कभी नहीं आई।

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