गाय के गोबर व मूत्र पर होगा शोध, केन्द्र सरकार ने बनाई समिति

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स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। मोदी सरकार ने पंचगव्य यानी गाय का गोबर, मूत्र, दूध, दही और घी के लाभों को वैज्ञानिक रूप से शोध करने के लिए 19 सदस्यीय समिति बनाई है। इस समिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के तीन सदस्यों को शामिल किया गया है।

समिति में शामिल नागपुर स्थित गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र के सुनील मनसिंहका ने बताया, “अगर किसान और खेती को बचाना है तो गोवंश को बचाना बहुत जरूरी है। अभी लोग यही सोचते की गाय केवल दूध देने के लिए अन्यथा वो बेकार है, जबकि गाय का गोबर और गोमूत्र से समृद्धि की ओर जाया जा सकता है। इसी के लिए समिति को बनाया गया है कि अनुपयोगी गोवंश को किस तरह प्रयोग किया जा सकता है। कई सरकारी अधिकारी और वैज्ञानिकों ने सुप्रीम कोर्ट तक में ये दलील दे दी कि भारत का 70 प्रतिशत गोवंश बिना दूध का है और दूसरे का चारा खा रहा है उसको काट देना चाहिए।”

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अपनी बात को जारी रखते हुए मनसिंहका बताते हैं, अभी हमारे संस्थान गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र में एक जगह 650 से ज्यादा गोवंश हैं, जो अनुपयोगी है पर 150 से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रही हैं, वो बिना किसी सरकारी अनुदान के। गोवंश रोजगार देता है जीवन देता है। अभी संस्थान में गोबर और गोमूत्र से अमृत पानी, गोमूत्र और नीम मिश्रण, वर्मी कम्पोस्ट इससे किसान की आय को चार-पांच गुना बढ़ा रहे है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन की अध्यक्षता वाली समिति ऐसी परियोजनाओं को चुनेगी जो पोषण, स्वास्थ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में पंचगव्य यानी गाय का गोबर, मूत्र, दूध, दही और घी के लाभों को वैज्ञानिक रूप से बताने में मदद करेगी। राष्ट्रीय संचालन समिति नाम की समिति में नवीन एवं अक्षय ऊर्जा मंत्रालय, बायोटेक्नोलाजी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विभागों के सचिव और दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक शामिल हैं। आरएसएस से जुडे दो अन्य सदस्य विज्ञान भारती के महासचिव जयकुमार और नागपुर के गौ विज्ञान अनुसंधान केंद्र के सुनील मनसिंहका हैं। सरकार की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि इस समिति का कार्यकाल तीन साल का होगा।

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री होंगे अध्यक्ष

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री इस पैनल के अध्यक्ष और आरएसएस से जुड़े संगठन विज्ञान भारती के अध्यक्ष विजय भटकर समिति के सहअध्यक्ष हैं। सुपर कम्प्यूटर की परम सीरीज के वास्तुविद माने जाने वाले भटकर नालंदा विवि के कुलाधिपति भी हैं।

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