ग्रामीण महिलाएं बचत के रुपए से कर रही हैं रोजगार

Jaunpur

मुगरबादशाहपुर (जौनपुर)। दिहाड़ी मजदूरी से इस महंगाई में अब ग्रामीण महिलाओं के खर्चें चलने मुश्किल हो रहे हैं। सरकार की तरफ से कोई रोजगार न मिलने की वजह से इन महिलाओं ने अब खुद ही रोजगार के अवसर तलाश लिए हैं। अपने बचत के पैसे से समूह में मिलकर रोजगार के नये-नये कई रास्ते निकाल रहे हैं।

“एक दिन की गेहूं कटाई में आठ किलो गेहूं मिलते हैं। इस महंगाई में अब दिहाड़ी मजदूरी से घर के खर्च नहीं चल पाते, पढ़े-लिखे तो हैं नहीं कि कहीं नौकरी लग जाए, हमारे आस-पास तो फैक्ट्री भी नहीं है जिसमे मजदूरी कर सकें।“ ये कहना है जौनपुर जिले की दुर्गावती देवी (60 वर्ष) का। वह आगे बताती हैं, “सरकार गाँव में कबतक रोजगार देगी इसका तो कोई पता नहीं, इसलिए हम महिलाओं ने अपने खर्च चलाने के लिए अपनी बचत के पैसे से एक सामान ढोने वाली ट्राली खरीद ली है, एक दिन में किराए पर देने के 100 रुपये मिलते हैं।“

जौनपुर जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर मुगरबादशाहपुर ब्लॉक कैथापुर गाँव की कुछ महिलाओं ने मिलकर 7200 रुपए की एक ट्राली खरीदी। इस ट्राली को वो आपस में अपने कामों में उपयोग करते हैं। आपस में 50 रुपये दिन का किराया और 100 रुपये दूसरों को किराए पर उठाते हैं। महिला समाख्या द्वारा महिलाओं का हर गाँव में एक समूह बना है, जिसमें 20 रुपये से लेकर 100 रुपये तक महीने में जमा होते हैं। इस समूह से महिलाएं आपस में मिलकर पैसे निकालकर सामूहिक रूप से रोजगार शुरू करती हैं, जो मुनाफा होता है उसे आपस में बांट लेती हैं।

इस ब्लॉक के आस-पास के 25 गाँव को देख रही क्लस्टर इंचार्ज मंजू देवी (33 वर्ष) बताती हैं, “गाँव की महिलाओं द्वारा ये एक छोटा प्रयास है। इससे आमदनी भले ही ज्यादा न हो लेकिन जरूरी सभी काम निपट जाते हैं। इसमें कई महिलाएं मिड डे मील का संचालन करती हैं, उन्हें हर बार पहले राशन उठाने के लिए गाड़ी भाड़े पर करनी पड़ती थी, कई कामों के लिए उन्हें ट्राली की जरूरत पड़ती थी।“ वो आगे बताती हैं, “किराए पर लेने पर इनका बहुत खर्चा होता था। अब इनका किराया तो बचा ही साथ ही आमदनी भी शुरू हुई। महिलाएं आपस में अन्न भंडारण, जैविक खाद, दुकान, सिलाई मशीन जैसे कई तरह के रोजगार सामूहिक रूप में कर रही हैं।“

‘अब हम करते हैं कई काम’

इस गांव में रहने वाली चंद्रकली देवी (50 वर्ष) का कहना है, “जब हमारे पास ये ट्राली नहीं थी तो दूसरे गाँव से मांगनी पड़ती थी वो मनमाने पैसे लेते थे और कभी समय से मिलती नहीं थी, जबसे ट्राली ली है, तबसे ये ट्राली से हम अपने कई काम कर लेते हैं।“ वो आगे बताती हैं, “डिलीवरी के लिए किसी महिला को ले जाना हो या फिर शादी विवाह में किसी के यहाँ समान भेजना हो, मिड डे मील का राशन, बीमार बच्चे को दिखाने ले जाना हो, सब काम इससे आराम से हो जाते हैं।“

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