स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
उन्नाव। करोड़ों रूपए खर्च कर बनाया गया नवाबगंज पक्षी विहार आज पानी को तरस रहा है, झील सूखने से हर साल विदेशी पक्षी भी कम आ रहे हैं। यही नहीं पछी विहार के चारो तरफ बाउंड्री भी न होना विदेशी पछियों के लिए मुसीबत का कारण बन रहा है, शिकारी बड़े आराम से उनका शिकार कर रहे है।
उन्नाव जिला मुख्यालय से 25 किमी. दूर नवाबगंज ब्लॉक में 224.4 हेक्टेयर में फैला पक्षी विहार आज अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहा है। सुखी झील व बीच बीच में पक्षियों के लिए बनाए टीले बनाकर रह रहे हैं। वहीं आस पास के गाँव के मवेशी जनवर भी झील में चरने के लिए आ रहे है। यहीं नहीं गाँवों के लोग इन पक्षियों का शिकार भी कर रहे है।
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पक्षी विहार में सुरक्षाकर्मी रामपूरक कहते हैं , “ठंड में यहां पर विदेशी पक्षी आते हैं, लेकिन अब उनकी संख्या भी कम गई है, अब घूमने फिरने वाले लोग भी कम आते हैं।”
सिचांई विभाग की लापरवाही का खामियाजा पक्षी विहार को उठाना पड़ रहा है। यहां पर पिछले छह सालों से नहर में पानी नहीं आया है और न ही नहर की सफाई हुई है। माइनर और जलकुंभी तक नहर से नहीं निकाली गई है,जिसकी वजह से नहर 12 महीनें सूखी पड़ी रहती हैं।
अक्टूबर के महीने पर यहां पर अफगानिस्तान, चीन, मंगोलिया, यूरोप, लद्दाख आदि स्थानों से पक्षी भारत आते हैं।अक्टूबर से फरवरी-मार्च तक विदेशी मेहमान नवाबगंज पक्षी बिहार में मेहमान नवाजी करते हैं। लेकिन झील की हालत देखकर नहीं लगता ये मेहमान अब आएंगे। सर्दियों के मौसम में प्रवासी पक्षियों के साथ साइबेरियन मेहमानों से यह स्थान गुलजार हो जाता है। यहां पर जाड़े के मौसम में साइबेरियन क्रेन और तमाम अन्य प्रकार के प्रवासी पक्षी देखे जा सकते हैं।
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वन संरक्षक अनुपम गुप्ता बताते हैं, “बाउंड्री ना होना एक बड़ी समस्या है। बाउंड्री के लिए हम जल्दी काम करेंगे। चारों तरफ बाउंड्री बनवाने के लिए कहा है। रही बात झील में पानी ना होने की वहां पर तीन बोरिंग पानी की कराई गई है। जिसमें से कुछ चालू हो गए हैं, बाकी ना चालू होने की वजह यह है कि वहां पर अभी बिजली की व्यवस्था पूर्ण रुप से नहीं हो पाई है। बिजली पूरी होते ही तीनों टूयूबवेल चालू हो जाएंगे। पहले झील का स्त्रोत नहर थी लेकिन नहर में पिछले छह वर्षों से पानी नहीं आया है। जिससे झील में की समस्या हो गई है।”
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