स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। मौजूदा समय में किसान धान की बुवाई कर रहे हैं। गाँवों में नहरों व सरकारी नलकूपों की दशा खराब होने के कारण किसानों को धान की बुवाई में दिक्कत हो रही है। ऐसे में सूखे से प्रभावित क्षेत्रों में डायरेक्ट सीडीड राइस (डीएसआर) यानी कि धान की सीधी बुवाई लाभदायक हो सकती है।
असिंचित क्षेत्रों में धान की सीधी बुवाई को किसानों के लिए फायदेमंद बताते हुए नरेंद्र देव कृषि विश्व विद्यालय, फैज़ाबाद के वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह ने बताया, ‘डीएसआर विधि से धान की बुवाई मई के आखिरी सप्ताह व जून के प्रथम सप्ताह में की जाती है। इस विधि की मदद से धान की बुवाई में साधारण बुवाई की तुलना में कम पानी खर्च होता है। इस तकनीक की मदद से खेतों की उर्वरक क्षमता में सुधार होता है, साथ ही जल-संसाधनों का भी संरक्षण होता है।’
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कम पानी वाले क्षेत्रों में धान की सीधी बिजाई के लिए खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई करें। इसके बाद ड्रम -सीडर या ड्रिल की मदद से 3-5 सेमी पर बुवाई करें। ध्यान रहे कि खेत की तैयारी और बुवाई जैसे कार्य शाम को करें। बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर दें। इसके बाद चार-पांच दिन बाद फिर से एक बार हल्की सिंचाई ज़रूर करें।
धान की सीधी बुवाई में इस्तेमाल होने वाली धान की उन्नत किस्मों के बारे में डॉ. एके सिंह ने आगे बताया, “अगर किसान सीधी बिजाई कर रहे हैं तो इस समय धान की एनडीआर- 97,एनडीआर- 357 और सभा मसूरी सब -एक जैसी किस्मों को ले सकते हैं। ये सभी किस्में 125 से 130 दिनों में तैयार हो जाती हैं और इनमें खाद की ज़्यादा ज़रूरत भी नहीं होती है।’’ डीएसआर विधि में धान की बुवाई 20 से 25 सेमी. की दूरी पर होती है। ऐसे में फसल में लगने वाले खरपतवार, वीड जैसी रोग आसानी से सामने आ जाते हैं। इससे फसल में खरपतवार नियंत्रण आसानी से होता है।
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