मिल नहीं दे रही पर्ची, मेरठ के किसान परेशान 

ganna kisan

सुनीता गर्ग/स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

हस्तिनापुर, मेरठ। शुगर मिल की धीमी चाल किसानों पर भारी पड़ रही है। इसमें छोटे किसान ज्यादा पिस रहे हैं। पर्ची न मिलने से उनका गन्ना या खेत में पड़ा सूख रहा है, या उन्हें औने-पौने दामों में कोल्हू पर डालना पड़ रहा है। क्योंकि उनका गेहूं बोने का समय निकलता जा रहा है। अगेती गेहूं की बुवाई एक नवंबर से ही शुरू हो जाती है।

गन्ना काटकर ही गेहूं बोना मजबूरी

जनपद में 80 फीसदी किसान आठ बीघा की जोत के हैं। उन्हें अगेती प्रजाति का गन्ना मिल चलते ही काटकर गेहूं की बुवाई करनी पड़ती है। नहीं तो वे गेहूं की फसल में अच्छा उत्पादन नहीं ले पाते। इसलिए उनके सामने इस समय संकट खड़ा हो गया है। शुगर मिल कर्मचारी भी उन्हीं किसानों को पर्ची भेज रहे हैं, जिन्होंने सुविधा शुल्क देकर अपनी पर्ची पहले लगवाई हैं। ऐसे में 80 फीसदी किसानों का तबका बिना वजह नुकसान उठा रहा है।

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गाँव दरियापुर निवासी हातम सिंह (54 वर्ष) बताते हैं, “मिल चले एक माह होने को जा रहा है, लेकिन अभी तक महज एक ही पर्ची आई है। चूंकि उसी जमीन में गेहूं की बुवाई करनी है तो गन्ना कोल्हू पर डालकर पलेवा किया है।” गाँव पिलौना निवासी नरेन्द्र उम्र (58 वर्ष) बताते हैं, “यही हाल उनका भी है, गन्ना छीलकर घर में रखा है, बस अब पर्ची का इंतजार है।”

कोल्हू की पौबारह

किसानों की इस मजबूरी का कोल्हू और क्रेसर संचालक बाखूबी फायदा उठा रहे हैं। मिल पर गन्ना रेट 325 रुपए प्रति कुंतल है, लेकिन कोल्हू और क्रेसर 260 से 70 में गन्ना खरीद रहे हैं। साथ ही इंधन सूखने की बात कहकर कई बार तो 250 में ही गन्ना खरीद रहे हैं। इसके बाद भी पैमेंट एक-एक माह का उधार देते हैं। किसान गेहूं बोने और गन्ना सूखने के डर से इसी रेट में गन्ना डालने को भी मजबूर हैं।

जागरूक किसान नहीं भुगतते तंगी

वहीं किसानों का एक तबका ऐसा भी है। जो समय रहते मिल कर्मचारियों को सुविधा शुल्क देकर अपनी ज्यादातर पर्ची पहले ही बांड में लगवा लेता है। ऐसे किसान इस परेशानी से मुक्त हैं। किसान बताते हैं कि मिल कर्मचारी पर्ची लगाने के 500 से 100 रुपए वसूल लेते हैं।

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मिल कर्मचारियों को पर्चियों में हेर-फेर न करने के निर्देश दिए थे। यदि इसके बाद भी किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है तो एक बार मिल प्रबंधन से बात की जाएगी।

हरपाल सिंह, गन्ना उपायुक्त

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