स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
अलीगढ़। जिले में अगर खुले में शौच करता है या फिर मैला ढ़ुलवाता है, तो उसकी खैर नहीं है। जिला प्रशासन ने इनके खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया है, जिनके घरों में कच्चे शौचालय हैं उन्हें जल्द ही गिरा दिया जाएगा।
इतना ही नही जिन घरों द्वारा अगर मैला ढोने का कार्य किसी कर्मी से करवाया गया तो उसके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया जाएगा, इसके लिए बाकायदा नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत की टीमें सर्वे का काम करना शुरू करेंगी।
प्रभारी जिलाधिकारी दिनेश चन्द्र ने कहा, “प्रदेश में कहीं-कहीं अब भी हाथ से मैला उठाने वाले कर्मी मौजूद हैं उनके पुनर्वासन के लिए सर्वे किया जाएगा। नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत क्षेत्रों में अधिशासी अधिकारी व ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा मैनुअल स्कैवेंजरों का चिन्हांकन/सर्वेक्षण कर एक माह के अन्दर पोर्टल पर सूची अपलोड करा दी जाए। जिन घरों में इस प्रकार के शौचालय स्थित हों उनको नोटिस देकर शौचालय को ध्वस्त करने की कार्यवाही की जाए। यदि ध्वस्त करने में परिवार का मुखिया सहयोग नहीं करता है तो अधिनियम के तहत कार्यवाही करते हुये उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाये।”
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मैला ढोने वालों को सहायता के रूप में मिलेंगे 40 हजार रुपए
मैला ढोने वाले कर्मियों को सरकार की ओर से पुनर्वास के तौर पर आर्थिक मदद की जाएगी, प्रभारी जिलाधिकारी दिनेश चन्द्र ने बताया कि हाथ से मैला उठाने वाले परिवार के किसी एक सदस्य के पुनर्वासन के तहत हाथ से मैला उठाने वाले स्वच्छकार, सफाईकर्मी जो इस कार्य से विमुक्त हुये है उनके परिवार के किसी एक व्यक्ति को सहायता के रूप में 40,000 रुपए दिए जाने का प्रावधान है।
उद्योग लगाने के लिए मिलेेगा लोन
मैला ढोने वाले कर्मियो की सहायता के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है, अगर यह कर्मी अपना उद्योग लगाने के इच्छुक है तो इन्हें कम ब्याज पर लोन देने की सुविधा दी जाएगी,
प्रभारी जिलाधिकारी दिनेश चन्द्र ने बताया कि ऐसे मैनुअल स्कैवेंजरों (हाथ से मैला उठानेवाले कर्मी) के आश्रितों को जीविकोपार्जन के लिए उद्योग स्थापना के लिए 25,000 से 15 लाख रुपए तक बैंको के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं, जिसमें महिलाओं को चार प्रतिशत वार्षिक ब्याज एवं पुरूषों को 25,000 रूपये तक के ऋण पर पांच प्रतिशत और उससे ऊपर की योजना में छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर ऋण दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि मैनुअल स्कैवेंजरों के आश्रितों को 25000 से दो लाख रूपये तक का ऋण लेने पर 50 प्रतिशत अनुदान मिलता है।
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