‘जब मैं 13 साल की हुई तो मेरे पिता और भाई मेरा बलात्कार करवाकर गंदी-गंदी पिक्चरें बनवानी शुरु कर दीं। मेरी मां भी इसमें शामिल थी। जहां पढ़ने जाती थी, वहां के प्रिंसिपल और शिक्षकों ने रेप किया। यहां तक की पुलिसवालों ने भी मेरा बलात्कार किया। मेरी कई सलेहियों के साथ भी यही हो रहा है।’ रेप पीड़ित
स्वाती शुक्ला/ मनीष मिश्र
लखनऊ। जब जन्म देने वाला पिता, रक्षा करने वाला भाई, शिक्षा देने वाला शिक्षक और न्याय दिलाने वाले पुलिस के लोग ही बलात्कार करने लगें तो एक लड़की किस दरवाजे पर जाए। यही नहीं, जब यह सब उसकी माँ की जानकारी में हो। यह लड़की न्याय के लिए डेढ़ साल से कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रही है, और आरोपियों की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।
जहां महिला सशक्तिकरण के लिए काफी प्रयास हो रहे हैं, वहीं गाँव कनेक्शन फाउंडेशन के पास दर्जनों ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जो विकृत समाज की तस्वीर पेश कर रहे हैं। “पिछले दो साल से दौड़ते-दौड़ते हम थक गए हैं, अभी तक सिर्फ दो बार बयान हो पाए हैं, अगर मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं आत्महत्या कर लूंगी,” इतना बोलते ही पीड़िता की आंखों से आंसू बह निकलते हैं, “पहले तो मेरे दूसरे जिले में बयान दर्ज़ करा दिए, उसके बाद बयान दर्ज़ करने वाले ने कहा मैं सभी को झूठा फंसा रही हूं।”
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अपनी कांपती हुई आवाज में वह कहती है, “मुझे अपने माँ, बाप, भाई को जेल में देखना है। मेरी सभी से प्रार्थना है कि मेरी मदद करें। डेढ़ साल हो गए हैं इंतजार करते-करते, मेरी राहें थक चुकी हैं, अब मुझे इंसाफ मिलना चाहिए, नहीं मिलेगा तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।”
मुझे अपने माँ, बाप, भाई को जेल में देखना है। मेरी सभी से प्रार्थना है कि मेरी मदद करें। डेढ़ साल हो गए हैं इंतजार करते-करते, मेरी राहें थक चुकी हैं, अब मुझे इंसाफ मिलना चाहिए, नहीं मिलेगा तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।
पीड़ित
इस तरह के कई मामले लगातार सामने आते रहते हैं कि उनके घर के ही लोग लड़कियों का शोषण करते हैं, और वह किसी से कह भी नहीं पातीं। बहराइच जिले के एक गाँव में रहने वाली इस लड़की के साथ बलात्कार उसके घर में, स्कूल में, और गाँव के बाहर एक मंदिर तक में भी किया गया, और दरिंदों ने गंदी पिक्चरें बनाई। यह अभी लखनऊ के एक आश्रय गृह में रह कर 12वीं पास यह लड़की आज अपनी कानूनी लड़ाई खुद लड़ रही है। कभी पेशी पर जाना, तो कभी बयान कराना, इसकी ज़िंदगी बन गई है।
इस लड़की के साथ सबसे पहले बलात्कार पिता और भाई ने तब किया जब वह कक्षा छह में पढ़ रही थी। उसके बाद सात साल तक यह सिलसिला चलता रहा। पीड़िता ने बताया, “वह चाहती थीं कि मेरे पिता और भाई यह सब करें। न मैं बाहर निकल पाती थी, न ही अपनी बात किसी से कह पाती थी।”
पीड़ित के साथ ही उसके गाँव की अन्य सहेलियां भी इन धंधे में धकेल दी गई थीं। “देह व्यापार के साथ गंदी पिक्चरें बनवाने का पूरा गैंग है, जिसमें ऊंची जाति के लोग शामिल हैं। इसमें महिलाएं भी शामिल हैं। यह लगातार चलता रहता है, गाँव में भी होता था, और बाहर भी लेकर जाते थे। जहां लड़कियों को शराब पिलाकर गाँव के बाहर एक मंदिर में कुछ लोग कैमरे लेकर आते हैं और मोबाइल की लाइट जलाकर गंदी फिल्में बनाई जाती हैं।”
‘ जब मैं 13 साल की हुई तो मेरे पिता और भाई मेरा बलात्कार करना शुरु कर दिया। जब मैंने यह सब मम्मी को बताया तो उन्होंने डांटते हुए कहा-ये सब कुछ नहीं है, किसी को कुछ नहीं बताना, नहीं तो बहुत मारेंगे। किसी से बात नहीं करने देती थीं। मुझे अपने माँ, बाप, भाई को जेल में देखना है। मेरी सभी से प्रार्थना है कि मेरी मदद करें।
इस लड़की का शिक्षक और पुलिस के लोगों से भी भरोसा उठ चुका है, उसने यहां भी मदद की उम्मीद छोड़ दी क्योंकि इन लोगों ने भी उसे नहीं बख्शा। अपनी नजरों को छिपाते हुए पीड़िता ने बताया,”जब हमारा दाखिला कैसरगंज में करा दिया तो वहीं पर एक गैंग लीडर हैं, ऊंची जाति के हैं, उसी जगह एक अड्डा है, वहीं पर यह सब होता था।
जब मैं कैसरगंज इम्तिहान देने गई तो वहीं पर दूसरी लड़कियों को शराब पिलाकर बलात्कार कराया जाता था। स्कूल के और लोगों के साथ प्रिंसिपल और टीचर ने भी मेरे साथ बलात्कार किया।” उसने आगे कहा, “मैं जब घर से निकलती थी तो मेरे छोटे भाई को साथ लगा देते थे, जिससे मैं किसी से बात न कर पाऊं। बीच-बीच स्कूल भेजते थे। जो गैंग के लोग थे वह भी हमारे आसपास लगे रहते थे।”
एक बार गाँव में पड़ोसी से हुए झगड़े में दो पुलिसवाले जांच के लिए आए, उसके बाद उन्होंने मम्मी-पापा को पूछा और अंदर घुस आए, और बोलने लगे कि हमें पता है कि तुम लोग धंधा करते हो। इसके बाद उन लोगों ने मेरे साथ बलात्कार किया।
पीड़ित
“एक बार गाँव में पड़ोसी से हुए झगड़े में दो पुलिसवाले जांच के लिए आए, उसके बाद उन्होंने मम्मी-पापा को पूछा और अंदर घुस आए, और बोलने लगे कि हमें पता है कि तुम लोग धंधा करते हो। इसके बाद उन लोगों ने मेरे साथ बलात्कार किया,” पीड़िता ने कहा।
भारत में आठ रेड लाइट एरिया हैं, जिनमें 6.8 लाख सेक्स वर्कर रजिस्टर्ड हैं। लेकिन भारत में इससे कहीं अधिक संख्या है जो दूरदराज गाँवों में चलता रहता है। एड्स पीड़ितों के लिए काम करने वाली संस्था ‘नाको’ के अनुसार देश में कुल सेक्स वर्कर की संख्या 12.6 लाख है।
वहीं, ऐसी नरकीय ज़िंदगी से आजिज आकर इस लड़की ने बहाने से घर छोड़ने का मन बना लिया। इसने सीआरपीएफ में फार्म डाला, प्रवेश पत्र आने पर घरवालों को पता चला तो घर के लोगों ने परीक्षा कराने के लिए किसी रिश्तेदार के साथ लखनऊ भेजते हुए कहा कि एक दिन बाद वापस भेज देना।
भारत में आठ रेड लाइट एरिया हैं, जिनमें 6.8 लाख सेक्स वर्कर रजिस्टर्ड हैं। लेकिन भारत में इससे कहीं अधिक संख्या है जो दूरदराज गाँवों में चलता रहता है। एड्स पीड़ितों के लिए काम करने वाली संस्था ‘नाको’ के अनुसार देश में कुल सेक्स वर्कर की संख्या 12.6 लाख है।
“इम्तिहान देने के बहाने हमें मौका मिल गया और मैं लखनऊ आ गई। जब दो तीन दिन बीत गए तो माँ ने फोन किया कि बेटा चली आओ गैंग के लोग 10,000 रुपये दे गए हैं, फिल्म बनवानी है, फिर चली जाना। मैंने कहा चली आऊंगी, मेरी कुछ किताबें रखी हैं, वो भेज दो इम्तिहान देकर एक दो दिन में वापस आ जाएंगे,” आगे बताया, “जब किताबें आ गईं तो मैंने माँ-बाप को फोन किया कि मैं घर पर वापस नहीं आऊंगी, मैं अब वह धंधा नहीं करना चाहती। मैं पढ़-लिख कर कुछ बनना चाहती हूं।”
इसके बाद पीड़िता जिस रिश्तेदार के यहां रह रही थी, तब उनकी बहू को हकीकत बताते हुए मर जाने की बात कही। “जब मैंने मर जाने की बात कही, तो उन्होंने कहा-यहां क्यूं आई थीं, वहीं पर मर जाना चाहिए था। हमारे यहां ये सब करके हमें क्यूं फंसा रही हो।”
“अब हमारी घर में किसी से बात नहीं होती। जनवरी, 2017 में मुआइना कराने गई थी, तो वहां पर भाई-बाप सभी थे, एक दो बात हुई तो उन्होंने गाली-गलौज शुरू कर दिया।
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