अजय कश्यप (कम्युनिटी जर्नलिस्ट)
रामसनेही घाट (बाराबंकी)। जिले के रामसनेही घाट ब्लाक के रामपुर और ग्राम दुल्लापुर के बीच में एक रारी नदी है जो मुख्यालय का रास्ता जोड़ती है। इस रास्ते से 50 गाँवों के लोगों का आवागमन होता है। ये एक सीमेंट पाइप का पुल है। बारिश के मौसम में ये रास्ता और पुल दोनों पानी ज्यादा हो जाने की वजह से बंद हो जाते हैं जिससे 50 गाँव पूरी तरह से मुख्यालय से कट जाते हैँ। लोगों की समास्यएं बढ़ने लगती हैं।
बच्चों की पढ़ाई ठप हो जाती है। जो बच्चें पढ़ाई के लिए नदी पार कर इस रास्ते से आते हैं इनकी पढ़ाई पुल सही नहीं होने के कारण प्रभावित होती है। जो लोग मुख्यालय पर जाना होता है वो करीब 10 से 12 किलोमीटर घूम कर जाते हैं। रामपुर गाँव के रहने वाले अशोक कुमार (41 वर्ष) बताते हैँ, “मैं खेती करता हूं। इस समय खेत में प्रयोग होने वाली खाद और कीटनाशक लाने के लिए शहर जाना पड़ता है। रास्ते का पुल खराब होने के कारण शहर 15 किमी घूम कर शहर जाता हूं जिससे काफी पैसे का नुकसान होता है।”
इसी गाँव में रहने वाली सुषमा देवी (38 वर्ष) बताती हैँ, “अभी बच्चों को पढ़ने के लिए परेशानी उठानी पड़ती है, लेकिन बरसात के समय बच्चों का स्कूल छूट जाता है। क्योंकी पुल पूरी तरह से पानी में डूब जाता है। हम लोगों ने कई बाद ग्राम प्रधान को शिकायत की इसके साथ कई अधिकारियों को लिखित में भी पुल बनवाने की प्रार्थना की लेकिन आज तक कोई कार्यवाई नहीं हुई।”
इस विषय में जब पूर्व प्रधान पति प्रधान कमलेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया, “35 मीटर का पुल जिलापंचयत से पिछड़ा विभाग से एक लाख रुपये पास हुआ था पर पैसा कम होने की वजह से वापस चला गया।” वही प्रधान संतोष पण्ड़ेय बताते हैं, “यहां सिर्फ राजनीति होती हैं। ये पुल एक हिस्सा है राजनीति का, नेता लोग आते हैं और इसी पुल पर राजनीति करके चलें जाते हैं। यहां पर किसान युनियन का धरना प्रदर्शन भी किया गया पर कोई असर नहीं हुआ।”
रामखेलवन (61 वर्ष) बताते हैं, “पानी भरने के बाद इतनी परेशानी होती हैं कि कभी-कभी अगर कुछ समान खत्म हो जाता है तो मिल नहीं सकता या तो 12 किलोमीटर की दूरी पर समान लेने जाओ। बच्चों की पढ़ाई तो बेकार ही हो जाती है।”
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