बेहतर बैटरियां बनाने में मदद कर सकते हैं मशरूम

India

वॉशिंगटन (भाषा)। वैज्ञानिक शोधों के मुताबिक जंगली मशरूम की एक किस्म से मिलने वाले कार्बन फाइबरों का इस्तेमाल लीथियम-आयन बैटरियों के परंपरागत ग्रेफाइट इलेक्ट्रोडों से बेहतर काम करने वाले एनोड बनाने के लिए किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के इस समूह में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है। शोधकर्ताओं ने टायरोमेसेस फिसिलिस नामक जंगली फफूंद की एक प्रजाति से इलेक्ट्रोड बनाए हैं।

अमेरिका के पर्ड्यू विश्वविद्यालय में असोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत विलास पोल ने कहा, ”मौजूदा आधुनिक लीथियम-आयन बैटरियों को उर्जा घनत्व और बिजली आपूर्ति दोनों के ही मामले में सुधारा जाना चाहिए ताकि वो भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों और ग्रिड उर्जा-संग्रहण प्रौद्योगिकी में उर्जा संग्रहण की मांग को पूरा कर सकें।” बैटरियों में दो इलेक्ट्रोड होते हैं- एनोड और कैथोड। अधिकतर लीथियम आयन बैटरियों में ग्रेफाइट एनोड इस्तेमाल किया जाता है। लीथियम के आयन एक द्रव में होते हैं, जिसे इलेक्ट्रोलेट कहते हैं। रीचार्ज किए जाने पर ये आयन एनोड पर संग्रहित हो जाते हैं।

पोल और शोध छात्र जियालियांग तांग ने पाया कि टायरोमेसेस फिसिलिस से प्राप्त और कोबाल्ट ऑक्साइड नैनोपार्टिकल लगाकर संशोधित किए गए कार्बन फाइबर एनोडों में लगे परंपरागत ग्रेफाइट से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। पोल ने कहा, ”कार्बन फाइबर और कोबाल्ट ऑक्साइड कण विद्युत रासायनिक रुप से सक्रिय हैं। इसलिए आपकी क्षमता दोनों की भागीदारी के चलते बढ़ जाती है।” यह शोध सस्टेनेबल केमिस्ट्री एंड इंजीनियरिंग नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

Recent Posts



More Posts

popular Posts