लखनऊ। भारत सबसे ज़्यादा गन्ना उत्पादन करने वाला दूसरा देश है। भारत में 34,81,87,900 टन गन्ने का उत्पादन होता है। किसान गन्ने की खेती नकदी फसल के रूप में करते हैं। लेकिन कईबार ऐसा होता है समय पर गन्ने की सिंचाई, गुड़ाई या निराई नहीं हो पाती है, जिससे किसान को नुकसान उठाना पड़ता है। इस लिए किसानों को ये जानकारी होना बहुत जरूरी है कि गन्ने की खेती करने के लिए किस महीने में क्या करना चाहिए ? तो आइये हम आपको बताते हैं कि गन्ने की फसल में किस महीनें में क्या करना चाहिए ?
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जनवरी :-
1. पाले से बचाव के लिए खड़ी फसल में जरूरत के अनुसार सिंचाई करें।
2. शरदकालीन (जाड़े के दिनों में) गन्ने के साथ ली गई विभिन्न अन्तह फसलों जैसे सरसों, तोरिया, मसूर, आलू, धनिया, लहसुन, मैथी, गेंदा प्याज तथा गेहू आदि जरूरत के अनुसार निराई, गुड़ाई , कीट प्रबंधन एवं संतुलित उर्वेरको का प्रयोग करें।
3. बसंतकालीन बुवाई की तैयारी शुरू कर दें इस हेतु म्रदा परिक्षण कराकर ही उर्वरको का प्रयोग करें।
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4. बसंतकालीन बुवाई के लिए कुल क्षेत्रफल का 1/3 भाग शीघ्र पकने वाली प्रजातियो के अंतर्गत रखे साथ ही बुवाई हेतु स्वस्थ बीजो का चयन कर उसका विशेष प्रबंध करें।
5. गन्ने से खाली हुए खेत की तैयारी कर पशुओ के लिए चारे की फसल एवं सब्जियों की खेती करें।
6. अगेती पोधे की फसल की कटाई तापमान यदि काफी कम हो तो न करें इससे पैडी गन्ने में फुटाव अच्छी नहीं होगा।
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फरवरी :-
1. पोधे गन्ने की कटाई जमीन से सटाकर करें जिससे फुटाव अच्छा होगा।
2. शरदकालीन गन्ने में सिंचाई एवं निराई , गुड़ाई तथा खरपतवार का नियंत्रण करें |
3. गन्ना बीज जिन खेतों में रोकना हो उसमें सिंचाई आदि का विशेष धयान रखें, बुवाई से पहले बीज नर्सरी में यूरिया के प्रयोग से फुटाव अच्छा होता है।
4. पैडी गन्ने की देखभाल करें, खाली जगह पर गैप फिलिंग करें और सिंचाई व गुड़ाई के बाद एनपीके आदि उर्वरको का प्रयोग करें।
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5. कुल रकवे (क्षेत्र) के अनुसार प्रजातीय संतुलन को धयान में रखकर बुवाई करें।
6. गन्ना बीज उपचार के लिए पारा युक्त रसायन एग्लाल 3 प्रतिशत (560 ग्राम) एरितान 6 प्रतिशत (270 ग्राम) या एम्ईएम्सी 6 प्रितशत (270 ग्राम) या बाविस्टीन 110 ग्राम को घोलकर टुकड़ो को उपचारित करें।
7. बुवाई के समय दीमक व अंकुर बेधक के नियंत्रण के लिए फोरेट -10 जी 25 किलोग्राम या सेविडाल 4:4 जी 25 किलोग्राम या किलोरोपरिफोस -20 ई सी 5 लीटर प्रति हैक्टयेर की दर से प्रयोग करें।
8. गन्ने की बुवाई के समय सुछम पोषक तत्वों (जिंक सल्फेट सुपर सुगर कैन स्पेशल आदि 25 किलोग्राम प्रति है. की दर से ) का भी प्रयोग करें।
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मार्च :-
1. अच्छी उपज के लिए उत्तम प्रजातियो एवं बुवाई की नई तकनीको जैसे ट्रेंच पद्धति का प्रयोग करें।
2. सफ़ेद गिडार के नियंत्रण हेतु बुवाई के समय बबरिया वेसियाना एवं मेटारैजियम 5 किलो प्रति है. की दर से 60:40 के अनुपात में प्रयोग करें।
3. आय को बढ़ाने और संशाधनो के समुचित प्रयोग हेतु गन्ने के साथ साथ उड़द मूंग, फ्रास बीन मक्का आदि फासले लें।
4. सह फसल में उर्वरको की अति रिक्त मात्रा का प्रयोग करें।
5. शरदकालीन गन्ने में यदि फ़रवरी माह में यूरिया की टॉप ड्रेसिंग न की तो मार्च में सिंचाई के पश्चात 132 किलो ग्राम यूरिया प्रिति है. की दर से छिड़काव करें।
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6. बावग गन्ने की कटाई के बद खेत में मेंड़ जोतने के बाद ठूठों की छटाई पंक्तियों के दोनों तरफ गुड़ाई एवं रिक्त स्थानों में पूर्व अंकुरित पोंधो से भराई करें।
7. ऐसीटोंबेकटर एवं पीएसबी 5 किलो ग्राम प्रिति है. की दर से प्रथम सिंचाई के बाद पोंधों के कूंड़ बनाकर डालना चाहिए या बुवाई के समय प्रयोग करें।
8. कंडुआ रोग दिखाई देने पर पोंधो को नस्ट कर दें।
9. चोटी बेधक के अंडों को एकत्रित करके नष्ट कर दें।
10. बसंतकालीन गन्ने में खरपतवार नियंत्रण के लिए 2 किलोग्राम ऐतरा जीन सक्रिय तत्व पानी में घोल बनाकर बुवाई के तुरंत बाद छिड़काव करें।
अप्रैल :-
1. गन्ने के अच्छे फुटाव के लिए गुड़ाई कर कूंड़ बनाकर यूरिया खाद की दूसरी मात्रा का प्रयोग करें।
2. शरदकालीन गन्ने के साथ अन्तं: फसल की कटाई यदि हो गई हो तो सिंचाई करें और उर्वरक की शेष मात्रा कूंड़ बनाकर डाल दें।
3. यदि गेंहू के बाद गन्ने की बुवाई कर रहें हैं तो लाइन से लाइन की दूरी घटाकर 65 सेमी कर लें और बीज की मात्रा भी बढ़ाकर प्रयोग करें, जिससे खेत में पोंधों की संख्या उचित मात्रा में रहें।
4. इसी माह में पायरीला का प्रकोप हो सकता है यदि मित्र कीट (अंड परजीवी ) इपीरिकीनिया मिलेनोल्युका यदि खेत में है तो कीट नाशी का प्रयोग न करें बल्कि सिंचाई कर हलकी यूरिया का प्रयोग करें।
मई :-
1. सूखे से बचाने के लिए आवश्यकता नुसार सिंचाई करते रहें।
2. इस माह में अगेती चोटी बेधक के नियंत्रण के लिए सिंचाई करते रहें साथ ही सेवीडॉल 4:4 जी फोरेट -१० जी फ़रतेरा या कार्ताफ 25 किलो ग्राम प्रिति है. या क्लोरोप्यरीफोस 20 ईसी 1 लीटर 700 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें जब अंडे एवं पतंगे दिखाई पड़े।
3. अगेती चोटी बेधक हेतु त्रैकोकार्ड 4 प्रति है. की दर से प्रयोग करें।
4. फसल की अच्छी बढवार कीट नियंत्रण एवं पोषक तत्वों की कमी के लिए यूरिया मैक्रोन्यूट्रीएंट का 2 प्रितशत घोल एवं कीटनाशक रसायन जैसे एन्डोसल्फान मेटासिड या क्लोरोप्यरीफोस 20 ईसी का 1 प्रितिशत घोल का छिड़काव करें।
5. यदि बसंतकालीन बुवाई के समय खरपतवार नियंत्रण हेतु ऐतराजीन का प्रयोग किया है तो इस माह 2-4 डी 1 किलोग्राम सक्रिय तत्व छिड़काव करें।
जून :-
1. उर्वरक की शेष मात्रा इस माह जरूर पूरी कर लें।
2. गुड़ाई पूरी करने के बाद मिट्टी चढ़ाई का काम जरूर करें।
3. खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई करें। यदि देर से या अप्रैल में बुबाई के समय अट्राजिन का उपयोग किया है तो इस माहीने मे खरपतवार नियंत्रण के लिए 2 , 4 डी 1 KG सक्रिय तत्व 500 -600 ली. पानी मे घोल बना कर छिड़काव करें।
जुलाई :-
1. गन्ने के जिन खेतों में पौधे निकल आए हों उनमें मिट्टी चढ़ा दें।
2. चोटी बेधक का मादा तिल्ली जुलाई माह में पत्तियों की निचली सतह पर समूह में अण्डे देती हैं। अण्डे वाली पत्तियों को नस्ट कर दें और कार्बोफुरान 3 जी० 25 किo प्रित है. की दर से अवश्य प्रयोग करें।
3. चोटी बेधक के नियंत्रण हेतु त्रैकोकार्ड 4 प्रति है. की दर से प्रयोग करें।
4. गुरदासपुर बेधक के नियंत्रण हेतु सूखे अगोले को काटकर जमीन मे दबा दें तथा क्लोरोपाएरिफास 20 ई० सी० प्रति ली. प्रति है. की दर से छिड़काव करें।
5. जल निकास का उचित प्रबंधन करें।
6. बर्षा के दिनों में पर्याप्त बर्षा न होने पर 8-10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करते रहें।
7. सूखे से बचने जल के समुचित उपयोग एवं बिजली की कमी से निपटने के लिए ड्रिप सिंचाई प्रयोग करें।
8. सफेद गिडार के नियंत्रण के लिए लाइट ट्रैप या पोधों पर कीटनाशी छिड़काव कर नियंत्रण करें।
9. शरद कालीन गन्ने को गिरने से बचाने के लिए बंधाई अवश्य करें।
अगस्त :-
1. गुरदासपुर बेधक एवं सफेद मक्खी का प्रभावी नियंत्रण के लिए जल निकास की व्यवस्था करें तथा मनोक्रोतोफास 36 ईसी या क्लिरोपरिफास 20 ईसी 1-1.5 ली. प्रति है. की दर से छिड़काव करें।
2. अगस्त में गन्ने की दुसरी बंधाई अवश्य करें।
3. अगस्त माह मे गन्ने पर चड़ने वाले खरपतवार जैसे आइपोमिया प्रजाति (बेल) की बढवार होती है, जिसे खेत से उखाड़कर फेक दें। या मेट सल्फुरान मिथाइल ( ऍम० एस० ऍम० ) 4 ग्राम प्रति है. की दर से 500 -600 ली० पानी मे घोल बना कर जब इसमें छोटे पोधे खेत मे दिखाई पड़े प्रयोग करना चहिये।
सितम्बर :-
1. सितम्बर में गन्ने की तीसरी बधाई का कार्य पूरा कर लें।
2. शरद कालीन बुवाई के लिए खेत की तैयारी शुरू कर दें।
3. पायरीला का प्रकोप अधिक होने पर क्लोरोपय्रीफास 20 ईसी प्रति लीटर या मोनोकोटोफास 36 ईसी, 10 – 15 ली. प्रति है. की दर से पर्योग करें।
अक्टूबर : –
1. शरद कालीन बुवाई प्रारंभ कर दें, वेगयानीक बुवाई वीधी या ट्रेंच वीधी का पर्योग करें।
2. गन्ने की लाइने पूरब से पश्चिम की ओर होनी चाहीये।
3. लाइन से लाइन की दूरी 90 सेमी रखें।
4. गन्ना बीज की पारायुक्त रसायन से अवश्य उपचारित करे।
5. आय बढ़ाने के लिये शरद कालीन बुवाई में सहफसली पद्दती को अवश्य अपनाये।
नवम्बर :-
1. फसल की अच्छी बढ़वार के लीए 12 – 15 दीन के अन्तराल पर सींचाई करें।
2. अच्छी पैडी लेने के लीए गन्ने की कटाई सतह से करें ताकि फुटाव अच्छा हो।
3. मील को गन्ना नीर्धारित कलेंडर अनुसार पर्ची प्रापत होने पर कटाई करके ले जाएं।
4. अगेती प्रजाती का पैडी गन्ना चीनी मील को साफ सुथरी स्थीती में आपूर्ती करें।
5. गन्ना संबंधी किसी भी कठीनाई पर सम्बंधित समिति, चीनी मील एवं जिला गन्ना अधीकारी से संपर्क करें।
6. समिति कर्ज की कटोती पूर्ण करने के लिए कर्जे की पर्ची प्रापत कर गन्ने की आपूर्ती प्राथमिकता पर करें।
दिसम्बर :-
1. अंत में फसल में नीराई गुड़ाई करे।
2. आवश्यकतानुसार सींचाई करते रहें।
3. पैडी फसल काटने के बाद यदि गेहूं की बुवाई करना चाहते हैं तो गेहूं की पछेती किस्मों का चुनाव करें।
4. खेतो में जीवांश खाद्य गोबर, कम्पोस्ट, मैली को डालकर फैला कर जुताई कर दें।
5. पाले से फसल को बचाने के लीए सिंचाई करे।