लखनऊ। आपने देखा होगा कि रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर या टिकट काउंटर के आस-पास या फिर किसी रेल विभाग के कार्यालय में एक हाथी अपने हाथ में लालटेन लेकर हरे रंग की रौशनी दिखाता है। शायद आपको इसके बारे में नहीं पता होगा। चलिये हम मिलवाते है आपको भारतीय रेल के इस खास गार्ड से।
इस गार्ड का नाम भोलू है ये भारतीय रेल के शुभंकर के रूप में जाना जाता है। भारतीय रेल के 150 साल पूरा होने के दौरान साल 16 अप्रैल 2002 को बंगलुरू में भोलू गार्ड का अनावरण किया गया। बाद में साल 2003 में भारतीय रेल ने भोलू को मैस्कॉट (सौभाग्य लाने वाला) के रूप में अधिकृत कर लिया। आपको बता दें, 16 अप्रैल 1853 को भारत में पहली बार मुंबई के थाणे से रेल की शुरुआत की गई थी।
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पूर्वोत्तर रेलवे के गार्ड अरविन्द कुमार से हुई बात-चीत में उन्होंने बताया कि भारतीय रेल के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में रेल विभाग ने कई तरह की योजनाएं तैयार की थीं। शुभंकर भी इसी योजना का ही एक हिस्सा था। रेल मिनिस्ट्री के परामर्श के बाद भोलू गार्ड को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन बंगलुरू के द्वारा डिजाइन किया गया था और 16 अप्रैल 2002 को बेंगलुरू स्थित बंगलुरू सिटी स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक से शाम 6.25 बजे भोलू गार्ड ने कर्नाटक एक्सप्रेस को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। भोलू गार्ड हरे रंग की रौशनी के साथ एक लालटेन लिये हुए है हरा रंग गाड़ी को चलने का इशारा देता है और यात्रियों को सुरक्षित और भयमुक्त यात्रा का आश्वासन देता है।
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क्यों बनाया भाेलू को शुभंकर
भोलू गार्ड ट्रेन को चलते रहने का और रेलवे की कार्य क्षमता को भी दर्शाता है। भोलू गार्ड को बनाने का मकसद था कि इसके माध्यम से रेल विभाग अपने यात्रियों को ये भरोसा दिला सके कि रेल यात्रा के दौरान रेल विभाग हर वक्त अपने यात्रियों के साथ है और सुरक्षित यात्रा के लिये प्रतिबद्ध है। भोलू गार्ड लोगों के बीच बहुत ही लोकप्रिय हुआ। रेल विभाग के उच्चाधिकारियों से जब ये पूछा गया कि शुभंकर के लिये भोलू को ही क्यों चुना गया, इस पर उन्होने बताया कि हमने इसे इसलिये चुना क्योंकि ये बहुत ही शांतप्रिय और मददगार है।
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