अब आप भी बन सकते हैं अपने जिले में ड्रोन भैया या ड्रोन दीदी, जानिए कैसे

देश के अलग-अलग राज्यों की 1000 नमो ड्रोन दीदियों को ड्रोन सौंपे गए हैं, अगर आप भी बनना चाहते हैं अपने जिले के ड्रोन भैया या ड्रोन दीदी तो ये ख़बर आपके लिए है।
Drone Didi

प्रधानमंत्री के साथ आप जिन्हे ड्रोन उड़ाते या दिखाते देख रहे हैं ना ये नमो ड्रोन दीदियां हैं। जी हाँ, कल तक ये भी आपकी तरह ड्रोन के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं जानती थीं, लेकिन अब तो ये पायलट बन गई हैं, और क्या; ड्रोन पायलट।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नमो ड्रोन दीदियों के कृषि ड्रोन प्रदर्शन में शामिल हुए; यही नहीं देशभर में 10 अलग-अलग स्थानों से नमो ड्रोन दीदियों ने भी एक साथ ड्रोन प्रदर्शन में हिस्सा लिया।

आपके मन में भी सवाल आ रहा होगा कि क्या आप भी ड्रोन पायलट बन सकते हैं? आपके ऐसे ही कई सवालों के जवाब दे रहे हैं कृषि विज्ञान केंद्र-2, सीतापुर के प्रभारी और वैज्ञानिक डॉ दया शंकर श्रीवास्तव…

डॉ दया श्रीवास्तव बताते हैं, “कृषि में तकनीक का जो प्रयोग आज हम देख रहे हैं निश्चित तौर पर आज उसकी ज़रूरत हैं। खेती में जो हमारा बहुत ज़्यादा समय लगता था, पैसा लगता था, लेबर कॉस्ट लगता था इसको कम करने के लिए आज कृषि ड्रोन लाया गया है।”

वो आगे कहते हैं, “कृषि ड्रोन किसानों के लिए एक मददगार तकनीक साबित हो रहे हैं ; जो दिक़्कतें हमको मैनुअल स्प्रेइंग में आती थी, जैसे कि जब कोई भी स्प्रे करने जाता था तो सबको प्रशिक्षित करना संभव नहीं है और देश में ज़्यादातर किसान ऐसे ही हैं जिन्हें छिड़काव का सही तरीका नहीं पता है। “

ड्रोन तकनीक से किसानों का समय, पैसा, मेहनत सब कुछ बच जाता है और मशीन का इस्तेमाल होने की वजह से गलती की संभवना कम रह जाती है। इससे फसल की पैदावार और गुणवत्ता भी बढ़ जाती हैं। इस तकनीक के ज़रिये मात्र 8 मिनट में एक एकड़ खेत में स्प्रे कर सकते हैं और इसमें पानी की भी बचत होती है। जहाँ हमको पहले 200 लीटर पानी की ज़रुरत होती थी वहाँ अब बस 10 लीटर पानी में हम एक एकड़ खेत में स्प्रे कर पाते हैं। अगर लागत की बात करें तो मात्र 300 रूपए में आपका एक एकड़ खेत में स्प्रे हो जाता है।

कैसे बनें ड्रोन दीदी और ड्रोन भैया?

सरकार कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को बहुत बढ़ावा दे रही हैं और इसके लिए कई योजनाएँ सरकार द्वारा चलाईं जा रहीं हैं। इसी को लेकर डॉ दया गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “किसान ड्रोन के लिए भारत सरकार ने कई तरीके के माध्यम दे रखे हैं; यानी अगर आप कोई सरकारी संस्था हैं तो आपको शत प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है; अगर आप कृषक उद्पादक संगठन यानी की FPO हैं तो आपको 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा हैं और यदि आप किसान है तो आप 50 प्रतिशत अनुदान आप ले सकते हैं।”

“इसके अलावा IFFCO की तरफ से भी ड्रोन दीदी और ड्रोन भैया बनाये जा रहे हैं; अगर आप ड्रोन दीदी या भैया बनना चाहते हैं तो अपने ज़िले के IFFCO के केंद्र से क्षेत्रीय प्रबंधक से संपर्क करें, ये उसके बारे में जानकारी देंगे; रही बात ड्रोन ट्रेनिंग की तो अगर आपने ड्रोन खरीद रखा हैं तो उसकी ट्रेनिंग के लिए अलग अलग केंद्र निर्धारित किए हुए हैं कुछ गुड़गांव में हैं कुछ IFFCO के सेंटर भी हैं, “डॉ श्रीवास्तव ने आगे कहा।

ड्रोन से कैसे और कितनी होगी कमाई?

ड्रोन न सिर्फ किसान और उसके खेतो के लिए एक वरदान है, बल्कि उसके साथ साथ ये युवाओं के लिए भी आय और आत्मनिर्भर बनने का एक अच्छा मौका है। इसी पर डॉ दया कहते हैं, “इससे जुड़े रोज़गार की बात करें तो मैं तो कहूँगा कि युवाओ के लिए रोज़गार का एक बहुत बड़ा मौका है, खुद को आत्मनिर्भर बनाने का एक बहुत अच्छा मौका हैं ; आज अगर हम बात करें तो हर ज़िले में इतनी सम्भावनाएँ हैं, हर ज़िले मैं नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के फार्मूलेशन आ गए हैं, इनको अगर ड्रोन से किया जाए तो भी इसके अच्छे रिजल्ट्स आएंगे; धीरे-धीरे सरकार भी इस पर ज़ोर दे रही है कि नैनो फार्मूलेशन का ही इस्तेमाल किया जाए।”

वो आगे कहते हैं, “आप यदि उद्यम करना चाहते हैं तो इसमें भी ड्रोन के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर की तरह आप किसानों को जागरूक कर सकते हैं कि साहब हमारे पास ड्रोन है अगर आपको स्प्रे करवाना है तो आप हमसे करा सकते हैं। अगर हम बात करें कि कितना पैसा मिल सकता है तो अगर आप दस एकड़ भी स्प्रे करते हैं तो आपको 300 रूपए प्रति एकड़ मिल जाएगा। “

“अगर मासिक आय की बात करें तो आप 80 से 90 हज़ार कमा सकते हैं और कुछ नहीं अगर मैं इसका आधा भी मान लूँ तो आप 40 हज़ार तक आराम से कमा सकते हैं। ”

खेती में ड्रोन का इस्तेमाल क्यों ज़रूरी?

भारत इतना बड़ा देश हैं जहाँ सभी किसानों को सही तरीके से स्प्रेइंग की ट्रेनिंग देना संभव नहीं है। स्प्रेइंग की सही जानकारी न होने के कारण किसान गलत तरीके से खेतो में कीटनाशकों और दवाओं का छिड़काव करता है। इससे उसकी फसल का तो नुकसान होता ही है साथ ही पर्यावरण का भी नुक्सान होता है। तरीका गलत होने की वजह से रिजल्ट्स भी अच्छे नहीं मिलते और समय , पैसा और मेहनत तो लगती ही है। इन सभी समस्याओं का हल है ड्रोन।

डॉ दया श्रीवास्तव बताते हैं, “कृषि में तकनीक का जो प्रयोग आज हम देख रहे हैं निश्चित तौर पर आज उसकी ज़रूरत हैं; खेती में जो हमारा बहुत ज़्यादा समय लगता था, पैसा लगता था, जो लेबर कॉस्ट लगता था इसको कम करने के लिए आज कृषि ड्रोन लाया गया है।”

वो आगे कहते हैं, इस तकनीक में गलती की संभावना बहुत कम होती है, और जब कोई चीज़ मैन्युअल तरीके से की जाती है तो उसमे गलती हो सकती है; इन्हीं गलतियों को कम करने के लिए भारत सरकार ने ड्रोन स्कीम लांच की है जो निश्चित तौर पर युवाओं के लिए, किसानों के लिए एक वरदान है, ये एक तरीके का आय का भी साधन है।”

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