लखनऊ। अगर आपको मधुमेह है और इसके लिए आपको चावल से परहेज़ करना पड़ता है तो अब आपको चावल खाने से पहले ज्यादा सोचना नही पड़ेगा। वैज्ञानिकों ने चपटी गुरमटिया की नई प्रजाति खोज निकाली है, जो मधुमेह के रोगी भी बिना किसी डर के खा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय प्लांट मॉलिक्युलर एंड बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्राध्यापक गिरीश चंदेल ने ऐसी चावल की किस्म खोज निकाली है, जिसे मधुमेह रोगी बिना किसी डर के खा सकते हैं।
डॉ चंदेल बताते हैं , “हमारी टीम पिछले कुछ समय से धान की ऐसी प्रजाति के बारे में खोज कर रही थी, जिसे मधुमेह रोगी भी आसानी से खा सकें। लंबे समय तक खोज के बाद हमने चपटी गुरमटिया धान में से एक अन्य प्रजाति के बारे में पता लगाया है। इसका नाम अभी नहीं रखा गया है, इस प्रजाति में ऐसे तत्व पाए गए हैं, जिससे मधुमेह रोगियों को कोई नुकसान नहीं होगा।”
इस चावल में ग्लेसेमिक इंडेक्स यानि जीआई की मात्रा कम है। चावल में पायी जाने वाली जीआई की मात्रा से तय होता है कि खून में शुगर की मात्रा कितनी तेजी से बढ़ेगी।
वो आगे बताते हैं, “चावल की ये प्रजाति 130 दिन में तैयार होती है अभी इसका कोई नाम नहीं रखा गया है। अभी इसके बीज तैयार किये जा रहे हैं, जो अप्रैल तक मिलेगें। ये चार टन प्रति हेक्टयर में होता है।”
ये चावल किस तरह से आम चावल से अलग है इसके बारे में डॉ गिरीश आगे बताते हैं, “इस चावल में जो कार्बोहाइड्रेट है, वो अलग है उससे चावल तुरंत न पचकर धीरे धीरे पचता है और डायबिटीज़ मरीज़ भी इसे बिना किसी डर के खा सकते हैं और इसका स्वाद भी बिल्कुल आम चावल जैसा है।”
धान की इस प्रजाति को लेकर डॉ चंदेल और उनकी टीम ने सबसे पहले चूहों पर प्रयोग किया गया। “डायबिटिक चूहों को लगातार कई दिनों तक ये चावल खिलाने पर भी उनका शुगर स्तर नहीं बढ़ा। इसलिए अगर डायबिटिक मरीज़ भी ये चावल खाते हैं तो उन्हें भी कोई नुकसान नहीं होगा। जल्दी ही इस चावल के बीज बाजार में मिलेगें और ऐसे रोगी, जो चावल प्रेमी हैं लेकिन डायबिटीज के कारण खाने से घबराते थे अब मनपंसद चावल खा सकेगें।”