मानसिक तनाव से भी हो सकता है थायराइड

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लखनऊ। आज की भागमभाग ज़िन्दगी और अनियमित खानपान से लोगों में थायराइड की समस्या बढ़ती जा रही है। थायराइड मानव शरीर में पाई जाने सबसे बड़ी एंडोक्राइन ग्रंथि में से एक है, जो गर्दन के सामने की ओर श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यंत्र के दोनों तरफ दो भागों में बनी होती है। इसका आकार तितली की तरह का होता है। यह थाइराक्सीन नामक हार्मोन बनाती है, जिससे शरीर के ऊर्जा क्षय प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन के प्रति होने वाली संवेदनशीलता नियंत्रित होती है। इस बीमारी के बारे में बता रही हैं लखनऊ की डॉ सुमिता अरोड़ा-

थायराइड होने के कारण

-शारीरिक मेहनत या व्यायाम न करना।

-अनुचित खानपान का होना।

– वंशानुगत बीमारी का होना।

– मानसिक तनाव भी काफी हद तक थाइरायड के लिए जिम्मेदार होता है।

 – प्रेग्नेंसी के बाद काफी हद तक महिलाओं में इस समस्या के होने की संभावना बढ़ जाती है। 

थायराइड ग्रंथि के कार्य 

1. शरीर से दूषित पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करती है।

2.  बच्चों के विकास में इन ग्रंथियों का विशेष योगदान रहता है।

3.  यह शरीर में कैल्शियम एवं फॉस्फोरस को पचाने में मदद करता है।

4.  इससे शरीर का तापमान नियंत्रण में रहता है।

5.  कोलेस्ट्राॅल लेवल नियंत्रण में रहता है।

6.  प्रजनन व स्तनपान में भागीदार।

7.  मांसपेशियों के विकास में भागीदार।

कितनी तरह का होता है थायराइड

हाइपोथायराडिज्म 

थायराइड ग्रंथि से अगर थाइराक्सिन कम बनने लगता है तो उसे हाइपोथायराडिज्म कहते हैं। इससे निम्न रोग के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं:-

  • शारीरिक व मानसिक विकास धीमा हो जाता है।
  • इसकी कमी से बच्चों में क्रेटिनिज्म नामक रोग हो जाता है।
  • 12 से 14 साल के बच्चों की शारीरिक वृद्धि रुक जाती है।
  • शरीर का वजन बढ़ने लगता है एवं शरीर में सूजन भी आ जाती है।
  • सोचने व बोलने की क्रिया धीमी हो जाती है।
  • शरीर का ताप कम हो जाता है, बाल झड़ने लगते हैं और गंजापन होने लगता है।

भयानक स्थिति

1. शरीर का हद से ज्यादा कमजोर हो जाना।

2. शरीर में सूजन का बढ़ना व साथ ही गले में सूजन का आना।

3. कभी-कभी इसमें आपरेशन तक की नौबत आ जाती है।

हाइपरथायरायडिज्म

इसमें थायराक्सिन हार्मोन अधिक बनने लगता है। ये असमान्य अवस्थाएं किसी भी आयु वाले व्यक्ति में हो सकती हैं। पुरुषों की तुलना में आठ गुना अधिक महिलाओं में यह बीमारी होती है। इसके निम्न लक्षण होते हैं-

  • शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है।
  • घेंघा रोग उत्पन्न हो जाता है।
  • शरीर का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है।
  • अनिद्रा, उत्तेजना और घबराहट जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं।
  • शरीर का वजन कम होने लगता है।
  • कई लोगों के हाथ-पैर की अंगुलियों में कम्पन उत्पन्न हो जाता है।
  • मधुमेह रोग होने की प्रबल संभावना बन जाती है। 

थायराइड की जांच

थायराइड को जांचने के लिए कुछ परीक्षण किए जाते हैं, जैसे -टी3, टी4, एफ टीआई तथा टीएसएच। इन जांचों से थायराइड ग्रंथि की स्थिति का पता चलता है। कुछ लोगों का मानना है कि आयोडीन की कमी के लक्षण लगने पर ही चिकित्सक के पास जाना चाहिए। कई बार लक्षण पहचान में नहीं आते, इसलिए 30 साल की उम्र पार करते ही नियमित रूप से चिकित्सक से थायराइड की जांच करवाते रहना चाहिए। 

चेतावनी

1. थायराइड पीड़ित को नियमित रूप से दवाओं का सेवन करना चाहिए।

2. व्यायाम करते रहना चाहिए।

3. हर छह महीने बाद जांच करवाते रहना चाहिए।

4. अगर आप प्रेग्नेंसी प्लान कर रहें हैं, तो उससे पहले थायराइड जांच अवश्य करवाएं। 

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