मौसमी फलों के स्वाद का अपना ही अलग मजा होता है और यदि मौसमी फलों के स्वाद के साथ-साथ यदि हमें बेहतर सेहत भी मिल जाए तो इससे बेहतर क्या बात हो। इस सप्ताह ऐसे ही एक मौसमी फल के बारे में बताने जा रहा हूं जो स्वाद की दृष्टी से खास तो है ही, इसके अलावा इसके औषधीय गुणों की जितनी तारीफ करी जाए, कम होगी।
जामुन गर्मियों में अक्सर बाजारों में बिकता हुआ देखा जा सकता है, वैसे जंगलों, गाँव में खतों के किनारे और उद्यानों में जामुन के पेड़ बहुतायत से देखे जा सकते हैं। जामुन का वानस्पतिक नाम सायजायजियम क्युमिनी है।
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जामुन के फल में लौह और फास्फोरस जैसे तत्व प्रचुरता से पाए जाते हैं, जामुन में कोलीन तथा फॉलिक एसिड भी भरपूर पाए जाते हैं। जामुन के फलों के साथ-साथ इसके बीजों, पत्तियों, छाल और अन्य अंगों के भी जबरदस्त औषधीय गुण हैं और आदिवासी जामुन के तमाम अंगों को विभिन्न हर्बल नुस्खों के तौर पर रोगनिवारण के लिए इन्हें खूब अपनाते भी हैं।
आधुनिक विज्ञान भी यह मानता है कि भोजन संपन्न होने के बाद 100 ग्राम जामुन फल का सेवन गर्मियों से जुड़े कई विकारों में बहुत फायदेमंद साबित होता है। औसतन 100 ग्राम जामुन के फलों में 62 किलो कैलौरी ऊर्जा, 1.2 मिली ग्राम लौह तत्व, 15 मिली ग्राम कैल्शियम, 15 मिली ग्राम फास्फोरस 18 मिलीग्राम विटामिन सी, 48 माइक्रोग्राम कैरोटीन, 55 मिलीग्राम पोटेशियम, 35 मिली ग्राम मैग्नीशियम और 25 मिलीग्राम सोडियम पाया जाता है। जामुन में विटामिन बी और आयरन भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाते हैं।
जामुन की छाल मुंह के मसूड़ों के लिए लाभदायक
जामुन के ताजे पत्तों की लगभग 50 ग्राम मात्रा लेकर पानी (300 मिली) के साथ मिक्सर में रस पीस लें और इस पानी को छानकर कुल्ला करें, इससे मुंह के छाले पूरी तरह से खत्म हो जाते है।
गठिया मर्ज़ के इलाज में बहुत उपयोगी है
गठिया वात या आर्थरायटिस के इलाज में जामुन बहुत उपयोगी होता है, इसके पेड़ की छाल को बारीक पीसकर इसकी 2 चम्मच मात्रा को आधा कप पानी में मिला लिया जाए, इस घोल को दर्द वाले हिस्सों और घुटनों पर दिन में 3 से 4 बार लगाने से गठिया के दर्द से छुटकारा मिलने लगता है।
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एनीमिया के मर्ज को दूर करने में मददगार
एनीमिया (खून की कमी) के मर्ज को दूर करने में और रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए जामुन का सेवन लाभप्रद है। डाँग- गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकार मानते हैं कि जामुन और आंवले के फलों का रस समान मात्रा में मिलाकर पीने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है और जिन्हें रक्त-अल्पता होती है उन्हे काफी फायदा होता है।
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आंखों की रोशनी व शारीरिक ताकत में लाभदायक
जामुन के फलों को आदिवासी आंखों की रोशनी और शारीरिक ताकत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं। आदिवासी पके हुए जामुन का हाथ से रगड़कर बीजों को अलग करके रख देते हैं, प्राप्त हुए पल्प में स्वादानुसार मात्रा में गुड़ मिला दिया जाता है और सेवन किया जाता है। आधुनिक शोधों से जानकारी मिलती है कि फलों में प्रचुर मात्रा में कैरोटिन और लौह तत्व पाए जाते हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद
ग्रामीण क्षेत्रों में ये मान्यता है कि जामुन का फल गर्भवती महिलाओं को देने से होने वाले बच्चे के होंठ सुन्दर होते हैं और चेहरा ओजवान होता है।
जामुन की छाल मुंह के मसूड़ों के लिए लाभदायक
जामुन की छाल का चूर्ण (एक चम्मच) लगभग एक कप पानी में डालकर खौलाया जाए और ठंडा होने पर इससे कुल्ला किया जाए तो मसूड़ों की सूजन, दांत दर्द और मसूड़ों से खून आने की समस्या में काफी आराम मिलता है।
बीजों का चूर्ण असरदार
पातालकोट के आदिवासी मानते है कि जामुन के बीजों का चूर्ण की 2-2 ग्राम मात्रा बच्चों को देने से बच्चे बिस्तर पर पेशाब करना बंद कर देते हैं। माना जाता है कि ऐसा करीब एक माह तक निरंतर किया जाना चाहिए।
मधुमेह में इसके बीच का चूर्ण रामबाण
जामुन के बीजों को छांव में सुखाकर तैयार किया गया चूर्ण प्रतिदिन सेवन करने से मधुमेह में काफ़ी फ़ायदा होता है। पातालकोट के आदिवासी जामुन की छाल, बीज, और पत्तियों को सुखाकर चूर्ण तैयार करते हैं और मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति को देते हैं। आधुनिक विज्ञान भी जामुन के इस गुण की पुष्ठी करता है। अर्जुन छाल का चूर्ण और देसी जामुन के बीजों के चूर्ण की समान मात्रा लेकर मिला लिया जाए और प्रतिदिन रोज रात सोने से पहले आधा चम्मच चूर्ण गुनगुने पानी में मिलाकर लें। यह नुस्खा डायबिटीज़ के रोगियो के लिए फायदेमंद होता है।
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पथरी में फायदेमंद
जामुन का पका हुआ फल खाने से पथरी की समस्या में आराम मिलता है। जामुन की गुठली के चूर्ण को दही के साथ मिलाकर खाने से पथरी में फायदा होता है। लीवर के लिए जामुन का प्रयोग बहुत फायदेमंद होता है। कब्ज और पेट के रोगों के लिए जामुन बहुत फायदेमंद होता है।
कीटों के काटने पर पत्तों का लगाएं लेप
विषैले कीटों और चींटियों के काट लेने पर जामुन की पत्तियों को कुचलकर उसका लेप लगाया जाए तो तुरंत आराम मिलता है। जामुन की पत्तियों में एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जिस वजह से किसी भी तरह के कीट जहर, शारीरिक सूजन, मोच और दर्द में इसके रस का उपयोग हितकर होता है।
पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करे
कठोटिया गाँव के भारिया जनजाति के आदिवासी जल शुद्धीकरण के लिए दूषित पानी में तुलसी की पत्तियां, जामुन की छाल और अर्जुन छाल का प्रयोग करते हैं। इन सबकी समान मात्रा लेकर पानी में डाल दिया जाता है, एक रात इसी तरह रखने के बाद अगले दिन एक सूती कपड़े की सहायता से इस पानी को छान लिया जाता है। यह पेट से जुड़ी समस्याओं के इलाज के लिए उत्तम माना जाता है साथ ही हॄदय के रोगियों के लिए अति उत्तम होता है।
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