नई दिल्ली (भाषा)। केंद्र सरकार ने आज लोकसभा में जानकारी दी कि देश के पांच राज्यों में तीन करोड़ से अधिक बच्चों को मीसल्स (खसरा) और रबेला का संयुक्त :एमआर: टीका लगाया गया है और बाकी राज्यों में भी चरणबद्ध तरीके से इसे लागू किया जा रहा है।
सरकार ने इस साल फरवरी में पांच राज्यों में मीजल्स और रबेला के संयुक्त :एमआर: टीके की शुरुआत की थी। इसमें नौ महीने से लेकर 15 साल से छोटे उम्र के सभी बच्चों को शामिल किया गया और इस अभियान में 3.33 करोड़ बच्चों को टीका लगाया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा
स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने बताया कि इन पांच राज्यों में कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी, गोवा और लक्षद्वीप हैं। उन्होंने बताया कि बाकी राज्यों में इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है।
मंत्री ने कहा कि पांच राज्यों में इस अभियान के बाद खसरे के दो डोज की जगह एमआर के एक टीके को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर दिया गया है।
हालांकि नड्डा ने कहा कि फिलहाल एमएमआर :मीजल्स, मम्प्स और रबेला: का संयुक्त टीका शुरु करने का विचार सरकार ने नहीं किया है। इस संबंध में टीकाकरण पर भारत का राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह सलाह देता है और यदि वह इस तरह का कोई सुझाव देगा तो सरकार विचार करेगी।
जे जॉर्ज के पूरक प्रश्न के उत्तर में नड्डा ने कहा कि मीसल्स :खसरे: के लिहाज से 14 राज्यों में बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का स्तर 80 प्रतिशत से नीचे पाये जाने के बाद एक विशेष अभियान चलाया गया और इन राज्यों में 12 करोड़ बच्चों को मीसल्स का टीका लगाकर प्रतिरक्षा क्षमता को 80 प्रतिशत से अधिक के स्तर पर लाया गया।
उन्होंने कहा कि सरकार सभी राज्यों में दोनों बीमारियों को समाप्त करने के लिए काम कर रही है। बच्चों में खसरे के मामले सामने आने पर देश में आज भी परंपरागत रुप से इन्हें छोटी माता और बड़ी माता कहा जाता है।
मीसल्स के मामले पूरी तरह समाप्त नहीं हुए
नड्डा ने अपने लिखित उत्तर में माना है कि देश से कभी मीसल्स के मामले पूरी तरह समाप्त नहीं हुए हैं और खसरा के मामले देश के अनेक हिस्सों से सामने आते रहते हैं। उन्होंने अन्य देशों में भी खसरे के मामले सामने आने के आंकडे़ दिए।
उन्होंने बताया कि 1985 में देश में नौ से 12 महीने की उम्र के बच्चों के लिए एक डोज में मीसल्स का टीका लाया गया था। 16 से 24 महीने के उम्र के बच्चों के लिए खसरे के टीके की दूसरी डोज 2010 में शुरु की गयी थी। साल 2015 से मिशन इंद्रधनुष के तहत मीसल्स टीकाकरण अभियान की पहली और दूसरी डोज को देने का काम तेज किया गया।
एक प्रश्न के उत्तर में नड्डा ने कहा कि टीकाकरण पर निगरानी के लिए भी देश में एक मजबूत तंत्र है और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र इस दिशा में काम करता है। यह एक सतत प्रक्रिया है।
उन्होंने कहा कि हम टीकाकरण के संबंध में राज्यों को विशेष तरीके अपनाने के लिए कहते हैं और इनका अनुपालन राज्यों पर छोड़ देते हैं।
एमबी राजेश के एक पूरक प्रश्न के उत्तर में नड्डा ने कहा कि फिलहाल एमएमआर :मीजल्स, मम्प्स और रबेला: का संयुक्त टीका शुरु करने का विचार सरकार ने नहीं किया है। इस संबंध में टीकाकरण पर भारत का राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह सलाह देता है और यदि वह इस तरह का कोई सुझाव देगा तो सरकार विचार करेगी।