आप शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ रहना चाहते हैं तो आपको अपने दैनिक जीवन के क्रियाकलापों में संतुलन बनाए रखना होगा। नित्य समय पर सोकर उठना, संतुलित आहार लेना और शारीरिक चपलता बनाए रखने के लिए खुद को सक्रीय बनाए रखना और सही समय पर सो जाना आदि बेहद जरूरी है।
दैनिक क्रियाकलापों की तरह व्यायाम योग आदि को भी महत्वपूर्ण मानकर अपनाना जरूरी है लेकिन हमेशा किसी एक्सपर्ट की निगरानी में ताकि हम स्वस्थ और विकार रहित रहें। साथ ही सही तरीकों से इन्हें कर पाएं। योगानंता (स्टूडियो ऑफ योगा) की फाउंडर रेखा हमारे पाठकों को लिए योगासन से जुड़ी कुछ बारीक जानकारियों को साझा कर रही हैं। इस लेख में सुखासन के बारे में बताया जा रहा है।
सुखासन
सुखासन जैसा की नाम से ही जाहिर है सुख देने वाला आसन। या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जिस आसन को करते वक़्त सुख की अनुभूति हो उसे सुखासन कहा जाता है। आसनों में यह आसन सबसे सरल है। इसलिए जो साधक योग की शुरुवात कर रहे हैं उनके लिए ये आसन सही माना गया है। प्राणायाम एवं ध्यान साधने के लिए सुखासन को लाभप्रद आसन माना गया है। मन एवं चित्त को एकाग्र करने के लिए यह उत्तम आसनों में से एक है। यह आसन बेहद सरल एवं सहज होने की वजह से इसे हर कोई कर सकता है।
सामन्य रूप से जैसे हम अक्सर अपने घर में आलती- पालथी मारकर बैठते हैं , ठीक उसी प्रकार से बैठना ही सुखासन है। आलती- पालथी मारकर बैठने से दोनों घुटने 90 डिग्री पर मुड़ते हैं, जिससे पैरों में रक्त संचार कम होकर अतिरिक्त रक्त शरीर के अन्य भागों में पहुंच जाता है एवं उन्हें क्रियाशील बनाये रखता है। इस आसन को करने से छाती पैर और मेरुदंड सुदृढ़ बनते हैं।
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सुखासन करने की विधि
समतल जमीन पर आसान बिछाकर पालथी मोड़कर बैठ जाएं।
ध्यान रहें के सिर ,गर्दन और पीठ ,एक ही सीध में हो।
कंधो को थोड़ा ढीला छोड़े।
दोनों हाथों को दोनो घुटनों के ऊपर ज्ञानमुद्रा में रखें।
सिर को थोड़ा ऊपर उठाये और आँखे कोमलता से बंद कर लें।
चेहरे पर प्रसन्नता के भाव रखें , किसी प्रकार का कोई तनाव न हों।
अब अपना ध्यान अपनी श्वसन क्रिया पर लगाएं और लम्बी और गहरी सांस लेते रहें।
इस आसन को कभी भी एकांत में बैठकर 5-10 मिनट तक कर सकते हैं।
(रेखा: फाउंडर, योगानंता-स्टूडियो ऑफ योगा)