लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बाढ़ का असर और तेज होता जा रहा है। प्रदेश के 40 जिलों में बाढ़ का प्रभाव पहुंच चुका है। गोरखपुर, श्रावस्ती, बहराइच, देवरिया, कुशीनगर जिले सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित हैं। जहां शराणार्थी शिविर भी स्थापित कर दिये गये हैं। प्रभावित जनपदों में 679 बाढ़ चौकी और 227 राहत शिविर स्थापित किये गये तथा 85252 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। करीब 50 हजार लोग राहत शिविरों में शरण लिये हुए हैं।
इस वजह से सिंचाई विभाग के सभी अधिकारियों की छुट्टियां अक्तूबर तक स्थगित कर दी गई हैं। 3013 नावें, 131 मोटर बोट एवं 134 वाहन खोज बचाव कार्य में लगाए गए हैं। 29 पीएससी की फ्लड बटालियन तथा 20 एनडीआरएफ की टीमों को बाढ़ बचाव कार्यों में लगाया गया है। पिछले साल के मुकाबले बाढ़ का प्रभाव कुछ देर में शुरू हुआ मगर पहले से कहीं ज्यादा बड़ा है।
ये भी पढ़ें : बाढ़ पीड़ितों के लिए मसीहा बने पूर्णिया के एसपी निशांत , देखिए तस्वीरें
उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई, सिंचाई (यांत्रिक) मंत्री ने समस्त जिला स्तरीय अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया है कि सभी बाढ़ क्षेत्र में किसी प्रकार की कोई हानि नहीं होनी चाहिए। इसके निपटने के लिए विशेष प्रबंध करें। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में बिजली, रास्ता, खाद्यान्न, दवाई आदि आवश्यक व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाए और कोई भी अधिकारी अक्तूबर तक छुट्टी नहीं लेगा। साफ-सफाई तथा स्वच्छ पेयजल पर विशेष ध्यान दिया जाए।
जनपद के सभी गंदे नाले-नालियों को साफ रखा जाए, जिससे बीमारियाँ न पनप पाएं। गंगा, रामगंगा, सोत, महावा, अरिल आदि नदियाँ गुज़रती हैं। सुरक्षा विभाग द्वारा इन नदियों में बाढ़ से सुरक्षा के लिए 91.400 किमी के 6 नम्बर बंधे गंगा महाबा तटबंध (कि.मी. 34.900), नगला अजमेरी तटबंध (किमी 16.500), चन्दनपुर हुसैनपुर तटबंध (किमी 17.500), जौरी नगला तटबंध (किमी 8.000), उसहैत तटबंध (कि.मी. 17.000), एवं उसावां तटबंध (कि.मी. 10.500), निर्मित है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में युद्धस्तर पर किया जा रहा कार्य
प्रमुख सचिव राजस्व एवं राहत आयुक्त डॉ. रजनीश दुबे ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा बाढ़ से प्रभावित जनपदों में युद्धस्तर पर राहत कार्य किये जा रहे हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों की सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने के साथ ही खाद्य पदार्थों एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि बाढ़ प्रभावित जनपदों में 679 बाढ़ चौकी एवं 227 राहत शिविर स्थापित किये गये। 85252 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और करीब 50 हजार लोगों को राहत शिविरों में शरण लिये हुए हैं। उन्होंने बताया कि 3013 नावें, 131 मोटर बोट एवं 134 वाहन खोज बचाव कार्य में लगाए गए हैं। दुबे ने बताया कि 29 पीएससी की फ्लड बटालियन तथा 20 एनडीआरएफ की टीमों को बाढ़ बचाव कार्यों में लगाया गया है।
ये भी पढ़ें : खेती पर सर्वेक्षण तैयार करने वाले अर्थशास्त्रियों को कम से कम 3 महीने गांव में बिताना चाहिए
बाढ़ में फंसे लोगों को भोजन आदि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 2055.6 कुंतल आटा, चावल 3783.75 कुंतल, गुड़ 26.7 कुंतल, दाल 519.37 कुंतल, नमक 258.73 कुंतल, आलू 1188.95 कुंतल, 891945 लंच पैकेट, 66518 लाई चना पैकेट, 33265 ब्रेड/बिस्कुट पैकेट तथा 241195 लीटर पानी पाउच, 503207 क्लोरीन (टेबलेट), 45333 पैकेट ओ0आर0एस0, मिटटी का तेल 143878 ली0 वितरित किया गया है तथा 11746 पशु शिविर, 23725 पशुओं का उपचार, 914045 पशु का टीकाकरण तथा 2175.09 कुंतल भूसा वितरित किया गया है।