लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अवैध हाउसिंग प्रोजेक्ट की भरमार है। अगर आप एक अदद फ्लैट या प्लॉट लेना चाहते हैं तो पता नहीं होता कि, आप सही जगह निवेश कर रहे हैं या नहीं लेकिन अब आप झांसे में नहीं आ सकेंगे।
यूपी रियल एस्टेट रेग्यूलेटरी अथॉरिटी (रेरा) की वेबसाइट के जरिए प्रत्येक जिले में बिल्डरों के वैध प्रोजेक्ट जो कि रेरा के दायरे में आएंगे और उनको नए एक्ट का पालन करना होगा, उनकी पूरी जानकारी दे दी गई है।
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इसके तहत प्रदेश में करीब 200 प्रोजेक्ट ही वैध बताए गए हैं। इनके अतिरिक्त करीब पांच हजार आवासीय प्रोजेक्ट अवैध हैं। इससे बचने के लिए अगर आप कहीं भी निजी क्षेत्र में प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं तो रेरा की वेबसाइट पर जाकर परियोजना की वैधता का परीक्षण जरूर कर लें।
तीन दिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रेरा यूपी की वेबसाइट को लॉन्च किया। इस पर करीब 50 हजार हिट्स हो चुके हैं। रेरा के नियमों का पालन करने वाले परियोजनाओं की पूरी जानकारी इस साइट पर दी गई है। प्रदेश के सभी 75 जिलों में हाउसिंग और कॉमर्शियल प्रोजेक्ट की जानकारी इस साइट पर देखी जा सकती है।
इन परियोजनाओं में अगर कोई भी निवेश करता है तो उसके लिए ये गारंटी है कि वह सही जगह अपना रुपया लगा रहा है। लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रभुनाथ सिंह ने बताया कि रेरा की सिफारिशों के तहत ही अब हाउसिंग प्रोजेक्ट तैयार किए जाएंगे। उसमें कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। बिल्डर तय समयसीमा के भीतर अगर प्रोजेक्ट को आवंटित कब्जा नहीं देंगे तो उन पर रेरा एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसलिए लोग पहले रेरा की साइट पर जाकर योजना के बारे में पूरी जानकारी ले लें, इसके बाद ही वे निवेश करें।
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क्या है रेरा
अब मकान बुक कराने के बाद बिल्डरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। उल्टा अब क्लास लगने की बारी बिल्डरों की है। रियल एस्टेट रेग्यूलेशन एंड डेवलपमेंट (रेरा) एक्ट लागू हो गया है। कानून मार्च 2016 में संसद में पारित किया गया था। नए कानून में निवेशकों का विशेष ध्यान रखा गया है। अगर आपने किसी बिल्डर प्रोजेक्ट में घर बुक कराया है और बिल्डर आपको अभी तक घर बना कर नहीं दे रहा है। तो इस तरह के मामलों में भी रेरा आपकी मदद करेगा, क्योंकि ऐसे सभी मामले में अब रेरा के दायरे में होंगे।
रेरा को लागू करने की अधिसूचना अभी तक सिर्फ 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ही जारी की है। इसके लागू होने से हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में पारदर्शिता बढ़ेगी।
ये हैं रेरा से होने वाले फायदे
- प्रोजेक्ट पूरा होने और निवेशक को कब्जा देने के पांच साल बाद तक अगर ढांचे में कोई गड़बड़ी आती है तो उसकी जिम्मेदारी बिल्डर की होगी।
- बिल्डरों को खरीददार से लिया 70 फीसदी पैसा प्रोजेक्ट के खाते में ही रखना होगा।
- अब निर्माणाधीन प्रोजेक्ट को तीन महीने में नियामक प्राधिकरण में रजिस्टर्ड कराना होगा।
- जिन्हें कंपलीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला वो प्रोजेक्ट भी इसमें आएंगे।
- रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी प्राधिकरण के पास होगी।
- अब कारपेट एरिया पर घर बेचे जाएंगे ना कि बिल्ट-अप एरिया में।
- कानून लागू करने वाले राज्य नियामक प्राधिकरण का गठन करेंगे।
इस बारे में यूपी के आवास बंधु के सहायक निदेशक अनिल तिवारी कहते हैं, ‘प्रदेश में रेरा की वेबसाइट निवेशकों की मदद करेगी। हजारों की संख्या में अवैध प्रोजेक्ट लाकर बिल्डर निवेशकों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हैं मगर रेरा की वेबसाइट ऐसे विक्रेताओं की मदद करेगी। अब आप आसानी से वैध प्रोजेक्ट का पता कर सकते हैं। अवैध प्रोजेक्ट के खिलाफ भी हम कार्रवाई करेंगे।’