लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। पूर्वांचल के 9 जिलों को लाखों किसानों के लिए राहत की खबर है। प्रदेश के अपेक्षाकृत पिछड़े जिलों में 44 वर्षों के इंतजार के बाद सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के साल 2022 में पूरी हो रही है। सरकारी बयान में कहा गया है कि इस नहर परियोजना के पूरी होने से न सिर्फ इन जिलों में बाढ़ से एक हद तक राहत मिलेगी बल्कि 14.04 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित हो सकेगी।
पिछले दिनों गोरखपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अगले तीन-चार महीनों में उत्तर प्रदेश में करीब 22 लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। इसमें मददगार बनेंगी सरयू नहर, मध्य गंगा और अर्जुन सहायक नहर जैसी परियोजनाएं। इसमें भी सर्वाधिक महत्वपूर्ण है राष्ट्रीय सरयू नहर परियोजना।
सरयू नहर के जरिये योगी सरकार पूर्वांचल के नौ जिलों (बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर और महराजगंज) के लाखों किसानों को अगले साल के शुरू में एक बड़ा संदेश देने की तैयारी कर रही है।
सरकारी बयान में कहा गया है कि अक्टूबर-2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 500 करोड़ रुपए से ऊपर की जिन परियोजनाओं की समीक्षा की थी, उसमें सरयू नहर भी शामिल थी। तब मुख्यमंत्री ने हर सप्ताह काम के प्रगति की निगरानी करने का निर्देश अधिकारियों को दिया था। गत तीन जून को मुख्य सचिव आरके तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी सरयू नहर को लेकर चर्चा हुई थी। तब बताया गया था कि इसे मार्च 2022 तक पूरा किया जाना प्रस्तावित है। ऐसा होने पर सरकार किसानों के हितों के साथ 44 साल से निर्माणाधीन नहर को पूरा कर काम के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का भी प्रमाण देने में सफल होगी।
सिंचित होगी 14 लाख हेक्टेयर भूमि
इस नहर के पूरा होने से प्रदेश के अपेक्षाकृत पिछड़े पूर्वाचल के नौ जिलों को लाभ होगा। करीब 14.04 लाख हेक्टेयर रकबे की सिंचाई के साथ ही बाढ़ की समस्या का भी स्थाई समाधान निकलेगा। इसमें घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिन नदी पर गिरिजा, सरयू, राप्ती, और वाणगंगा के नाम से बैराज बनाकर इससे मुख्य और सहायक नहरें निकाली जाएंगी। मालूम हो कि वर्ष 1978 में बहराइच और गोंडा जिले में सिंचन क्षमता में विस्तार कर वहां के किसानों के हित के मद्देनजर घाघरा कैनाल (लेफ्ट बैंक) के नाम से यह परियोजना शुरू हुई।
1982 में परियोजना के विस्तार के साथ नाम भी बदला
1982-83 में इसका विस्तार पूर्वांचल के ट्रांस घाघरा-राप्ती-रोहिणी क्षेत्र में करते हुए नौ और जिलों को भी इसमें शामिल किया गया। तभी भारत सरकार ने इसका नाम बदलकर सरयू परियोजना रख दिया। तय हुआ कि इसमें घाघरा के साथ राप्ती, रोहिन को भी नहर प्रणाली से जोड़ा जाएगा। परियोजना की महत्ता एवं उपयोगिता के मद्देनजर केंद्र ने 2012 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया। इसके तहत पूर्वांचल के नौ जिलों में 14.04 लाख हेक्टेयर रकबे में सिंचन क्षमता का विस्तार कर वहां के लाखों किसानों को लाभान्वित किया जाना है। इस बावत सरयू मुख्य नहर, राप्ती मुख्य नहर एवं गोला पंप कैनाल, डुमरियागंज पंप कैनाल अयोध्या पंप कैनाल एवं उतरौला पंप कैनाल के कुल 6590 किमी लंबाई में नहर प्रणाली का विस्तार किया जाना है।
लाइव:
गोरखपुर में तरकुलानी रेगुलेटर एवं बाढ़ नियंत्रण की 10 परियोजनाओं का लोकार्पण।@myogiadityanath @CMOfficeUP @UPGovt#UttarPradesh https://t.co/fpRu3e0cJs
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) July 5, 2021
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना सिंचाई विभाग के साथ-साथ भारत सरकार की महत्वाकांक्षी नदी घाटी जोड़ो परियोजना से भी जुड़ती है। इसके जरिए घाघरा, सरयू, राप्ती, बाण गंगा और रोहिन नदी को भी जोड़ना है। इससे इन जिलों में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या भी काफी हद तक स्थाई हल हो जाएगी।
पूर्वांचल के नौ जिलों के लाखों किसानों की तकदीर और खेतीबाड़ी के कायाकल्प में सक्षम इस परियोजना की पूर्व वर्षों में पहले की सरकारों ने उपेक्षा की। समय से पर्याप्त धन उपलब्ध न होने के कारण इसकी प्रगति बेहद धीमी रही। 2017 में आई योगी सरकार ने सरयू नहर परियोजना को पूर्ण किए जाने के संकल्प के साथ परियोजना पर पर्याप्त धन उपलब्ध कराया।
नहरों के अवशेष कार्यों को पूर्ण करने के लिए उच्च स्तर से निर्गत आदेशों के क्रम में स्थानीय प्रशासन के सहयोग से विशेष अभियान चलाकर भूमि क्रय की गई। इसके साथ ही नहरों को पूर्ण करने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। परियोजना की नहरों के अवशेष गैप्स को पूरा करने के साथ-साथ राप्ती मुख्य नहर व कैंपियरगंज शाखा एवं इसकी वितरण प्रणालियों के कार्य तेजी से जारी हैं।
सरयू नहर परियोजना की नहर प्रणाली को जानिए
बहराइच में घाघरा नदी पर निर्मित गिरजापुरी बैराज के बाएं से बैंक से 360 क्यूसेक क्षमता की सरयू योजक नहर (17.035 किमी) निकाली गई है। इससे सरयू नदी पर निर्मित सरयू बैराज के अपस्ट्रीम दाएं किनारे में पानी लाया जाएगा। सरयू बैराज के बाएं बैक से 360 क्यूसेक क्षमता की 63.15 किमी की सरयू नहर निकाली गई है। सरयू मुख्य नहर के किमी 21.4 दाएं बैक से इमामगंज शाखा प्रणाली निकाली गयी है।
सरयू मुख्य नहर के किमी 34.70 के बाएं किनारे से राप्ती योजक नहर 21.4 किमी लम्बाई में निर्मित कराई गई है। यह राप्ती नदी पर निर्मित राप्ती बैराज के अपस्ट्रीम में राप्ती नदी को पानी उपलब्ध कराएगी। इसका उपयोग 125.682 किमी लम्बी राप्ती मुख्य नहर के लिए किया जाएगा। सरयू मुख्य नहर के किमी 63.150 से दो शाखा प्रणाली बस्ती व गोंडा निकाली गई है। बस्ती शाखा से 4.20 लाख हेक्टेयर एवं गोंडा शाखा से 3.96 लाख हेक्टेयर सिंचाई होगी।
राप्ती के मुख्य नहर के टेल से कैम्पियरगंज शाखा राप्ती मुख्य नहर प्रणाली से 3.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान किया जाना भी प्रस्तावित है। इसी क्रम में श्रावस्ती में लक्ष्मनपुर कोठी के निकट निर्मित राप्ती बैराज के बाएं तट से राप्ती मुख्य नहर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसकी कुल लंबाई 125.682 किमी है। उक्त नहर के दोनों किनारों पर आठ 8-8 मीटर चौड़ा सेवा मार्ग बनेगा। यह श्रावस्ती बलरामपुर सिद्धार्थनगर को जाएगी। बाद में इसे बॉर्डर रोड के रूप में विकसित किया जा सकेगा।