यूपी एंबुलेंस हड़ताल तीसरा दिन: अब तक कोई समझौता नहीं, कई जिलों में प्रशासन ने एंबुलेंस कब्जे में लीं

उत्तर प्रदेश में नई एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी से ड्राइवर और टेक्नीशियन निकाले जाने के बाद शुरू हुआ विवाद जारी है। कई जिलों में जिला प्रशासन ने सरकारी ड्राइवर से 102 और 108 का संचालन शुरु कराया तो कई जगह सेवाएं प्रभावित हैं।
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी है। हड़ताली कर्मचारियों के मुताबिक अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ, ज्यादातर जिलों में प्रशासन ने दबाव डालकर चाबियां ले ली हैं। ज्यादातर जिलों में प्रशासन का कहना है कि एंबुलेंस सेवाएं शुरु हो गई हैं।

यूपी में एंबुलेंस का विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब 102, 108 और एलएलएस एंबुलेंस सेवाओं का टेंडर एक नई कंपनी को मिला और उसने पुराने कर्मचारियों को हटाकर नए सिरे से भर्ती शुरु की। कर्मचारियों का आरोप है कि नई कंपनी ट्रेनिंग के नाम पर 20 हजार रुपए का ड्राफ्ट मांग रही है और सैलरी भी कम दे रही है, दोनों पक्षों में इस मुद्दे पर बात नहीं बनने के बाद 26 जुलाई से पूरे प्रदेश में एंबुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। मंगलवार को हड़ताली कर्मचारियों के संगठन के अध्यक्ष हनुमान पांडे समेत 11 लोगों के खिलाफ लखनऊ में एफआईआर दर्ज की गई थी। जिलों में कर्मचारियों से प्रशासन चाबियां अपने कब्जे में ले रहा है। बावजूद इसके हड़ताल जारी है।

कन्नौज में हड़ताली ड्राइवरों से मंगलवार रात को ही चाबियां ले ली गई थीं तो लखनऊ में बुधवार दोपहर में चिकित्सा विभाग ने हड़ताली कर्मचारियों से गाड़ियां अपने कब्जे में लेनी शुरु कर दी हैं। सीतापुर में चिकित्सा विभाग ने सरकारी ड्राइवर और अन्य कर्मचारियों से एंबुलेंस सेवा शुरू कराई हैं।

मिर्जापुर के सीएमओ के अनुसार जिले में 18 एंबुलेंस संचालित हैं। जिले को 65 एंबुलेंस आवंटित हैं। फोटो-बृजेंद्र दुबे

कन्नौज के सीएमओ डॉक्टर विनोद कुमार ने कहा, “पुराने ड्राइवर थे वो हड़ताल खत्म कर वापस काम पर लौट आए हैं। चाबियां उन्हें दे दी गई हैं। जिले में 102 और 108 और 4 एएलएस को मिलाकर 51 एंबुलेंस हैं।”

कन्नौज में सीएमओ और पुलिस के क्षेत्राधिकारी ने मंगलवार को तिर्वा मेडिकल कॉलेज में हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता की थी। ड्राइवरों का आरोप था कि प्रशासन उन्हें धमकाकर चाबियां ली हैं। वहीं सीएमओ ने कहा था कि मरीजों के हित के लिए थोड़ी सख्ती दिखानी पड़ी थी। सीएमओ के मुताबिक मंगलवार रात ही 24 एंबुलेंस संचालित हो गई थीं।

कन्नौज में हड़ताली ड्राइवरों के काम पर लौटने और एंबुलेंस सेवा के संचालन के बारे में पूछने पर “जीवन दायिनी स्वास्थ्य विभाग 102, 108 और एएलएस एम्बुलेंस संघ” के जिला अध्यक्ष राहुल सिंह ने गोलमोल जवाब दिया, उन्होंने कहा कि सभी एंबुलेंस को लोकेशन तक भेज दिया गया है।

उन्होंने कहा, “प्रशासन ने जो 20 गाड़ियां रात में अपने कब्जे में ली थी, उन्हें छोड़कर बाकी गाड़ियों को लोकेशन पर भेज दिया गया है। कुछ गाड़ियां पुराने ड्राइवरों को मिली हैं, कुछ अब मिल जाएंगी। क्योंकि हम जानते हैं कि वो (प्रशासन- नई कंपनी) इन्हें चला नहीं पाएंगे। हम लोग 8-9 साल से काम कर रहे हैं तो हमें पता है कैसे चलाना है। अभी हम लोग आम लोगों के हित काम करेंगे, लेकिन आईडी जनरेट नहीं करेंगे, इससे कंपनी को पेमेंट नहीं मिलेगा।”

कन्नौज में बीती रात कथित रुप से आत्महत्या की कोशिश करने वाली एक युवती को एंबुलेंस न मिलने पर ट्रैक्टर ट्राली से अस्पताल लाना पड़ा था। फोटो- अजय मिश्रा

इस दौरान कई जिलों में मरीज और तीमारदार एंबुलेंस नहीं मिलने से परेशान दिखे। कन्नौज में आत्महत्या की कथित कोशिश के बाद एक युवती को तिर्वा मेडिकल कॉलेज ट्रैक्टर-ट्राली से लाना पड़ा। समय पर एंबुलेंस न मिलने से राज्य के दूसरे हिस्सों में भी ऐसी खबरें आई हैं। गांव कनेक्शन ने इस संबंध में मंगलवार को कई जिलों से ग्राउंड रिपोर्ट दिखाई थी।

प्रशासन द्वारा संगठन के अध्यक्ष समेत 11 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट और प्रशासन द्वारा चाबियां लेने पर कई जिलों में हड़ताली कर्मचारियों ने कहा कि कोरोना के दौरान उन्होंने अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचाई। एंबुलेंस में सैकड़ों लोगों को ऑक्सीजन दी, लेकिन अब विभाग, प्रशासन और पुलिस उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है।

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एंबुलेंस संचालन को लेकर सीतापुर में सीएमओ का आदेश।

उन्नाव में एम्बुलेंस कर्मचारी संघ के अध्यक्ष विवेक कुमार ने गांव कनेक्शन से कहा, “उन्नाव जिले में भी एम्बुलेंस चालकों की हड़ताल जारी है। कल देर रात तक जिला प्रशासन से चली वार्ता के बाद इमरजेंसी के लिए जिलें में कुछ और एम्बुलेंस बढ़ा दी गई हैं।”

वहीं बाराबंकी एंबुलेंस संगठन के जिला अध्यक्ष योगेश लोधी ने कहा, “बाराबंकी में इस वक्त 19 गाड़ियां (108) फील्ड में लगा दी गई हैं। इस हड़ताल के दौरान भी किसी भी प्रकार के कैजुअल्टी ना घटे इसकी पूरी कोशिश की जा रही है। बाराबंकी में बीती रात बड़ा हादसा होने के बाद संगठन ने गाड़ियों को तुरंत मौके पर भेजने का प्रबंध किया था। हमारी पूरी कोशिश है कि इमरजेंसी मामलों के लिए एंबुलेंस उपलब्ध रहे बाकी हड़ताल जारी है।” बाराबंकी जिले में करीब 80 एंबुलेंस हैं।

एंबुलेंस सेवा और हड़ताल को लेकर मिर्जापुर जिले के सीएमओ डॉ पीडी गुप्ता ने गांव कनेक्शन से कहा, “आज (28 जुलाई) से 18 एंबुलेंस चल रही हैं, एंबुलेंस के लिए प्रयास किया जा रहा है। प्रयास सफल होगा।” मिर्जापुर जिले में 65 एंबुलेंस (102 और 108) हैं।

उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस सेवाएं अभी तक जीवीके EMRI (Emergency Management and Research Institute) कंपनी द्वारा संचालित थीं। अब नया टेंडर जिगित्सा हेल्थ केयर को दिया है।  जिसने नए सिरे से भर्ती शुरु की है। कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि नई कंपनी ने पुराने करीब 1200 कर्मचारियों को हटा दिया है। जीवीके के साथ काम करते हुए एंबुलेंस के तकनीकी कर्मचारियों को 12734 रुपए मासिक और ड्राइवर को 10200 रुपए मिल रहे थे, अब नई कंपनी 12734 की जगह 10700 रुपए देना चाहती है। कर्मचारियों के मुताबिक सैलरी घटाई और काम के घंटे बढ़ाए जा रहे हैं।

कर्मचारियों का कहना है कि उनकी सरकार से मांग है कि एंबुलेंस का ठेका किसी भी कंपनी को मिले है, अब हम लोगों की नौकरियां सुरक्षित रहें और सैलरी उतनी ही मिले।

इनपुट- अजय मिश्रा, वीरेंद्र सिंह, मोहित शुक्ला, सुमित यादव, बृजेंद्र दुबे

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