खेती के जरिए किसानों की आय बढ़ाने, फसल उत्पादन का सही दाम दिलाने और बिचौलियों से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठन पर खास जोर दे रही है।
प्रदेश सरकार एक वर्ष में विकासखंडवार 825 एफपीओ स्थापित करने जा रही है। इसके लिए 354.75 करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया गया है। इससे प्रदेश के 4 लाख किसानों को लाभ पहुंचेगा। साथ ही 100 दिनों में प्रत्येक विकासखंड में एक विशेष फसल का चुनाव किया जाएगा।
किसान उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देने के लिए नाबार्ड और लघु कृषक कृषि व्यवसाय कंसोर्टियम (एसएफएसी) समेत कई सहकारी संस्थाएं किसानों के बीच एफपीओ का गठन का कार्यभार संभाल रही हैं। इनके जरिये अब तक देश में 7,000 से ज्यादा एफपीओ का गठन हो चुका है।। एफपीओ के गठन, ट्रेनिंग से लेकर शुरुआती निवेश या संचालन के लिए सरकार अनुदान भी देती है। यूपी में 750 एफपीओ पंजीकृत हैं।
वर्ष 2022-23 में प्रदेश सरकार विशिष्ट एफपीओ योजना के तहत 825 एफपीओ स्थापित करने जा रही है। संगठित खेती करने से किसानों को उनके उपज की और बेहतर कीमत मिल सकेगी।
कैसे काम करता है एफपीओ
एफपीओ यानी किसान उत्पादक संगठन (किसान उत्पादक कंपनी) किसानों का एक समूह है, जो कृषि उत्पादन करता हो और खेती-किसानी से जड़ी व्यावसायिक गतिविधियां भी चलाएगा। एफपीओ के माध्यम से सामूहिक खेती को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए बाजार आसानी से उपलब्ध होगा।
एफपीओ के तहत संगठित रूप से खेती करने के लिए सरकार सहायता भी उपलब्ध कराएगी, जिससे एक साथ खाद, बीज, दवाइयां और कृषि उपकरण खरीदने में आसान होगी। इसके अलावा प्रासेसिंग यूनिट और स्टोरेज की व्यवस्था की जा सकती है और फसल की अच्छी कीमत प्राप्त की जा सकती है।
अगर किसान अकेले अपनी फसल को बेचने जाता है तो उसका फायदा बिचौलिया उठाता है। एफपीओ व्यवस्था में बिचौलिये नहीं होंगे, इसलिए किसानों को उनके उत्पाद की अच्छी कीमत मिलेगी। इससे किसानों की शक्ति भी बढ़ेगी।