उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार खास तैयारी कर रही है, इससे किसानों की लागत तो कम होगी ही साथ ही कृषि उत्पादों का बढ़िया दाम भी मिलेगा।
किसानों को प्राकृतिक खेती की विधियां सीखाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। यूपी सरकार के अनुसार पिछले दो वर्षों में 2 लाख 25 हजार 6 सौ 91 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। साथ ही प्रदेश के कृषि एवं प्रौद्योगिकी के विश्वविद्यालयों में 83.185 एकड़ में प्राकृतिक खेती का प्रदर्शन भी किया जा चुका है। इसके अलावा राज्य कृषि प्रबंध संस्थान रहमान खेड़ा में 10 और 1.20 एकड़ में प्राकृतिक खेती का प्रदर्शन कराया गया है।
जैविक खेती में गाय के गोबर, मूत्र सींग से बनी खाद और कीटनाशकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रदेश के चार कृषि विश्वविद्यालयों और सभी 20 कृषि विज्ञान केंद्रों पर गौ आधारित खेती करायी जा रही है, ताकि किसान वहां पर खेती के बारे में जान सकें।
जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए सबसे जरूरी है उत्पादन का वाजिब दाम मिलना। इसके लिए सरकार सभी मंडियों में अलग से जगह (आउटलेट्स) निर्धारित कर चुकी है। किसान गोबर, घरेलू कूड़े कचरे और फसल अवशेषों से वर्मी कंपोस्ट तैयार कर इनका फसलों में अधिक से अधिक प्रयोग करें इसके लिए सरकार प्रति इकाई वर्मी कम्पोस्ट के लिए 5000 रुपए का अनुदान देती है।
इसके अलावा अगर कोई किसान जैविक खेती करना चाहता है तो सरकार की ओर से संबंधित किसान को प्रति एकड़, प्रति वर्ष की दर से क्रमशः 1800, 3000 और 2000 रुपए का अनुदान दिया जाता है। इसी क्रम में जैविक बीज प्रबंधन के लिए तीन साल में 500-500 रुपए की समान
किश्तों में 1500 रुपये, हरी खाद के लिए पहले साल 1500 रुपये देती है। साथ ही लिक्विड बायो फर्टिलाइजर, लिक्विड बायोपेस्टीसाइड, प्राकृतिक पेस्ट कंट्रोल, फॉस्फेट ऑर्गेनिक रिच मैन्योर, पर भी अनुदान दिया जा रहा। कुल मिलाकर अगर कोई किसान एक एकड़ में जैविक खेती करना चाहता है तो सरकार तीन वर्षों में अलग-अलग मदों में उसे कुल 16 हजार 8 सौ रुपए का अनुदान देती है।
केन्द्र पोषित परम्परागत कृषि विकास योजना व नमामि गंगे योजना के तहत जैविक खेती का क्रियान्वयन क्लस्टर एप्रोच (50 एकड़) पर किया जा रहा है। इस योजना से गंगा किनारे के कानपुर नगर, रायबरेली, फतेहपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, चंदौली, मुजफ्फरनगर, हापुड़, मेरठ, अमरोहा, संभल, कन्नौज, भदोही, हैं।
प्रदेश के अन्य जिलों के साथ-साथ नमामि गंगे परियोजना में आने वाले जिलों में भी प्राकृतिक खेती को सरकार प्रोत्साहन दे रही है। प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना, नमामि गंगे और जैविक खेती सहित 95680 हेक्टेयर क्षेत्रफल में अब तक 4754 क्लस्टर बनाए जा चुके हैं। सरकार इस पर 2021-22 तक 114.53 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। इससे 1.75 लाख किसानों को लाभ मिल चुका है।
प्रदेश सरकार की भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना के तहत वर्ष 2021-22 में 35 जिलों में 3870380 हेक्टेयर रकबे पर जैविक खेती कराने की योजना है। इस योजना के तहत चयनित जिलों के नाम आजमगढ़, सुल्तानपुर, गोंडा, कानपुर नगर, फिरोजाबाद, मथुरा, बदायूं, अमरोहा, बिजनौर, झांसी, जालौन, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, मिर्जापुर, गोरखपुर, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, रायबरेली, उन्नाव, पीलीभीत, देवरिया, आगरा, मथुरा, फतेहपुर, कौशांबी, बहराईच, श्रावस्ती, अयोध्या, बाराबंकी, वाराणसी, बलरामपुर, सिद्धार्थ नगर, चंदौंली और सोनभद्र हैं।