कम्यूनिटी जर्नलिस्ट
रायबरेली। फलों के राजा आम इस बार आम आदमी की पहुंच से दूर रहने वाले हैं। वजह साफ है इस बार आम के पौधों पर फल लगने से पहले आने वाले बौर की मात्रा काफी कम है। जो कि आम की पैदावार के कम होने के साफ संकेत है।
रायबरेली के आम व्यवसायी पप्पू सिंह (35 वर्ष) बताते हैं, “इस बार पूरे जिले में आम की पैदावार कम होगी। इस समय तक जिन किसानों के पास आम के बाग हैं उनके पौधों की नीलामी हो जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। पौधे पर लगे बौर को देखकर ही व्यवसायी किसानों के बागों के भाव तय कर देते थे। इस बार पिछली बार की तुलना में पौधों पर लगभग 70 प्रतिशत तक बौर की मात्रा कम है।”
उद्यान विभाग की जमीन पर लगभग 400 आम के पौधे लगे हैं, लेकिन बौर की बात करें तो मात्र 10 से 15 प्रतिशत पौधों पर बौर दिखाई देता है। पिछले वर्ष बाग की नीलामी उद्यान विभाग द्वारा बोली लगाकर की गई थी, लेकिन इस बार पौधों पर बौर न आने से विभाग के पास अब तक कोई खरीददार नहीं आया।”
सुनील कुमार, मास्टर ट्रेनर, जिला उद्यान विभाग
सुनील आगे बताते हैं, “आम के पौधों पर बौर न आने का मुख्य कारण तापमान में होने वाला असामन्य परिवर्तन है। रात के समय तो पारा 14 डिग्री तक कम हो जाता है, लेकिन दिन मे 40 डिग्री तक हो जाता है। तापमान का ये परिवर्तन आम पर लगने वाले बौरों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। जिससे आम पर लगने वाले बौर झड़ जाते हैं।”
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