स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। प्रदेश सरकार ने लघु व सिमांत किसानों के एक लाख तक के कर्ज माफ कर दिया, लेकिन इसका लाभ प्रदेश के बटाईदार किसानों को नहीं मिलेगा, क्योंकि उनके पास अपनी जमीन नहीं होती है, ऐसी बहुत सी योजनाएं हैं जिनका इन किसानों को लाभ नहीं मिल पाता है।
सीतापुर जिले के बिठौरा गाँव के किसान केपी सिंह (45 वर्ष) कहते हैं, “हम जैसे किसानों को ऐसी किसी योजना का लाभ नहीं मिल पाता है, बटाई पर खेती करने वाले किसानों की संख्या बहुत है। बटाई व्यस्था कानूनी नहीं है, जिससे बहुत सी सरकारी योजनाएं उन्हें नहीं मिल पाती हैं।”
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बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्री राकेश सिंह किसानों की समस्याओं के बारे में कहते हैं, “किसानों का एक तकबा ऐसे किसानों का है, जिनके पास खुद की जमीन नहीं है, लेकिन उन्हें किसी योजना का लाभ नहीं मिलता है, सरकार को ऐसे किसानों के बारे में भी सोचना चाहिए, जिससे किसानों को भी लाभ मिल पाए।”
बरेली जिले के करनपुर गाँव के जबरपाल सिंह (40 वर्ष) कहते हैं, “कई किसान ऐसे हैं जो बटाई पर ही अच्छी खेती करते हैं, उन्हें इससे कोई फायदा नहीं होने वाला। जैसे किसान क्रेडिट कार्ड ही है, ये उन्हीं को मिलता है, जिनके नाम जमीन होती है, सरकार ने अच्छा फैसला लिया है लेकिन बटाईदारों के बारे में भी किसानों को सोचना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में 1.85 करोड़ सीमांत किसान
भारत में एक हेक्टेयर (ढाई एकड़) से कम जमीन वाले किसानों को सीमांत किसान माना जाता है। जिन किसानों के पास एक से दो एकड़ जमीन होती है उन्हें छोटे किसान माना जाता है। सरकारी दस्तावेज के अनुसार उत्तर प्रदेश में कुल 2.30 करोड़ किसान हैं, जिनमें से 1.85 करोड़ सीमांत हैं और 0.30 करोड़ छोटे किसान हैं। भूमिहीन किसानों को न लोन मिलता है, न कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी। ये किसान कर्ज भी लेते हैं, लेकिन बैंकों के बजाय किसान सेठ-साहूकारों से ही कर्ज लेते हैं।
बटाईदार को भी मिले लाभ
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत भूमिहीन किसानों के बारे में कहते हैं, “फसलों का जो नुकसान होता है, उसका भुगतान बटाईदार को ही मिलना चाहिए, असल में भूमि का मालिक बटाईदारों से कोई एग्रीमेंट ही नहीं करना चाहते हैं, ऐसे में जो भी नुकसान हुआ उसका मुआवजा मालिक को ही मिल जाता है, किसान से किराया भी लिया और मुआवजा भी। इसलिए नियम बनने चाहिए, जिससे बटाईदार को लाभ मिले, न कि भूमि मालिक को।”
यूपी में 44.78 प्रतिशत ग्रामीण परिवार भूमिहीन
सामाजिक, आर्थिक एवं जाति जनगणना 2011 के अनुसार उत्तर प्रदेश में कुल 2,60,15,544 ग्रामीण परिवार हैं। उत्तर प्रदेश में कुल 75704755.44 एकड़ जमीन है। जिन परिवारों के जमीन हैं उनकी संख्या 1,43,65,328 है। यानी उत्तर प्रदेश में 55.22 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास ही जमीन है।
प्रदेश के 11649123 ग्रामीण परिवारों के पास कोई जमीन नहीं है। यानी 44.78 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों भूमिहीन हैं। सामाजिक, आर्थिक एवं जाति जनगणना 2011 के अनुसार उत्तर प्रदेश के 19,39,617 ग्रामीण परिवारों के पास 50 हजार रुपए या उससे अधिक की सीमा वाला किसान क्रेडिट कार्ड है। यानी कुल ग्रामीण परिवारों का 7.46 प्रतिशत।
सरकार को भूमिहीन किसानों के बारे में भी सोचना चाहिए, उनकी भी फसल बर्बाद होती है, वो भी कर्ज लेता है, लेकिन बैंकों से नहीं सेठ-साहूकारों से कर्ज लेता है, वो तो माफ नहीं होगा, इसलिए भूमिहीन किसानों के लिए कर्ज लेने का एक नियम बनना चाहिए।
शेखर दीक्षित, प्रदेश अध्यक्ष, किसान मंच
स्वामीनाथन रिपोर्ट से किसानों का होगा भला
किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष शेखर दीक्षित कर्जमाफी के बारे में कहते हैं, “अभी तो सरकार ने घोषणा की है अभी कर्ज माफ करते-करते देखते हैं क्या होता है, अभी कुछ भी साफ नहीं है। जब तक किसानों के लिए स्वामीनाथन रिपोर्ट नहीं लागू होती है, किसानों का भला नहीं होगा। सभी के आयोग हैं सिर्फ किसानों का अपना आयोग नहीं है, ये भी बनना चाहिए।”
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