सब्जी उत्पादन में भारत होगा नंबर वन

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लखनऊ। सब्जी उत्पादन में चीन को पीछे कर भारत को विश्व का नंबर वन देश बनाने की तैयारी की जा रही है। भारत में 2.8 प्रतिशत भूमि पर सब्जियों की खेती होती है। पूरे विश्व में जो सब्जियां पैदा होती हैं, उसका 15 प्रतिशत हमारे देश से पैदा होता है। वहीं, हमसे कम जमीन पर चीन हमसे दोगुना उत्पादन कर रहा है।

ऐसे में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक विभिन्न सब्जियों की कई नई किस्में विकसित कर रहे है, जो कम भूमि पर भी हमें ज्यादा पैदावार देंगी। सब्जी उत्पादन में विश्व में सबसे आगे चीन को पछाड़ने के लिए भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने तैयारी तेज कर दी है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में सब्जी पैदा करने में भारत सबसे आगे होगा।

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भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी के निदेशक अवधेश बहादुर राय बताते हैं, “सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा है। वर्ष 2020 तक भारत में 225 मिलियन टन सब्जियों की जरूरत पड़ेगी। भारत में भी सालाना 162.2 मिलियन टन सब्जियों का उत्पादन हो रहा है। ऐसे में भारत को सब्जी उत्पादन बढ़ाना होगा, जिसके लिए संस्थान के वैज्ञानिक सब्जियों के उन्नत किस्मों को विकसित करने में लगे हैं।“

भारत में सब्जियों की उत्पादकता 17.4 टन हेक्टेयर है, जो विश्व की औसत उत्पादकता 18.8 टन प्रति हेक्टेयर से कम है।

अवधेश बहादुर राय, निदेशक, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी

खोजीं सब्जियों की नई प्रजातियां

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने टमाटर, बैंगन, मिर्च, भिण्डी, लोबिया, मटर, राजमा, सेम, पेठा कद्दू, नेनुआ, नसदार तोरी, परवल, लौकी, कुम्हड़ा और मूली की नई प्रजातियों की खोज की है।

उन्नत किस्म की विकसित इन प्रजाति की सब्जियों की खेती करके किसान सब्जी उत्पादन में देश को नंबर वन बन सकता है। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक नीरज सिंह बताते हैं,”सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए संस्थान में कृषि व्यापार उदभवन ईकाई का गठन किया गया है। जहां पर कृषि वैज्ञानिकों की एक टीम किसानों को उन्नत सब्जी के खेती करने के लिए प्रशिक्षित करने के साथ ही प्रचार-प्रसार कर रही हैं।“

टमाटर

सब्जी अनुसंधान संस्थान ने टमाटर में काशी विशेष, काशी अनुपम, काशी अमन, काशी आदर्श और काशी अभिमान नाम से टमाटर की नई किस्म विकसित की हैं। काशी विशेष टमाटर की प्रति हेक्टेयर औसत उपज 400 से लेकर 450 कुंतल है। यह टमाटर गहरे हरे और लाल गोलाकार और मध्यम आकार के 80 ग्राम के होते हैं। रोपाई के 70 से 75 दिनों में यह तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है। इसी प्रकार काशी अनुपम का भी उत्पादन प्रति हेक्टेयर 500 से लेकर 600 कुंतल है।

बैंगन

बैंगन में काशी तरू, काशी प्रकाश ओर काशी संदेश नाम की नई किस्म विकसित की है। काशी तरू बैंगन को विकसित करने में संस्थान के वैज्ञानिक मेजर सिंह ने अपनी टीम के साथ विकसित किया है। काशी तरू की प्रति हेक्टेयर पैदावार 700 से 750 कुंतल है। यह 75 से लेकर 80 दिनों में तैयार हो जाता है। काशी प्रकाश की पैदावार प्रति हेक्टेयर 600 से 650 कुंतल है और यह भी 80 दिनों में तैयार हो जाती है। काशी संदेश सबसे अधिक उपज देने वाली बैँगन की प्रजाति है। यह प्रति हेक्टेयर 800 कुंतल पैदा होती है।

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मिर्च

भारत के मिर्च की पूरी दुनिया में भारी डिमांड है, ऐसे में इस डिमांड को पूरा करने के लिए सब्जी अनुसंधान संस्थान ने मिर्च की भी नई प्रजातियों की खोज की है। जिसमें काशी अनमोल नाम मिर्च ऐसी किस्म है जो साल में दो बार फलने वाला है। रोपाई से 55 दिन के अंदर यह तैयार हो जाता है। इसकी उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 250 कुंतल है। काशी गौरव नामक मिर्च की प्रजाति की खासियत यह पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर भारत को ध्यान में रखकर की गई है। यह 90 से 100 दिन में पककर तैयारी हो जाती है। काशी सुर्ख नामक प्रजाति की भी उत्पादकता अधिक है।

भिंडी, लोबिया

विश्व बाजार में भारतीय भिण्डी की भी जबर्दस्त डिमांड है। ऐसे में इस डिमांड को पूरा करने के लिए सब्जी अनुसंधान संस्थान ने काशी प्रगति, काशी विभूति, काशी क्रांति, काशी भैरव, काशी सताधारी ओर काशी वरदान नामक नई किस्म विकसित की है। इसके साथ ही लोबिया में काशी कंचन, काशी उन्नति और काशी निधि नाम से नई प्रजाति विकसित की है।

मटर, राजमा

सब्जी मटर के लिए काशी नंदिनी, काशी उदय, काशी मुक्ति, काशी समृद्धि और काशी अगेती नामक किस्म विकसित की गई है। बाहर के देशों में राजमा की सब्जी को लेकर भी भारत को बहुत ज्यादा आर्डर मिलते हैं। ऐसे में इसको ध्यान में रखकर सब्जी अनुसंधान संस्थान ने काशी परम नाम से राजमा की किस्म विकसित की है। जिसकी औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर 140 से लेकर 150 कुंतल है।

सेम, पेठा कद्दू

देश में सेम की सब्जी भी बड़े चाव से खाई जाती है। देशभर की सब्जी मंडियों में सेम की भी बड़ी डिमांड है। जिसको देखते हुए काशी हरितिमा नाम से नई प्रजाति विकसित की गई है। जिसकी औसत उपज प्रति हेक्टेयर 250 से 300 कुंतल है। पेठा नामक मिठाई बनाने के लिए पेठा कद्दू की पैदावार बढ़ाने के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने नई प्रजाति विकसित की है। काशी धवल नामक इस प्रजाति से प्रति हेक्टेयर 575 कुंतल उपज हेाती है। इसके अलावा काशी उज्जवल, काशी सुरभि नाम की किस्म भी ईजाद की है।

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हरी सब्जी के रूप में नेनुआ की जितनी डिमांड है उतनी उपज नहीं है। ऐसे में इस डिमांड का पूरा करने के लिए काशी दिव्या नामक प्रजाति विकसित की गई है। परवल में काशी अलंकार, लौकी में काशी गंगा, कुम्हड़ा में काशी हरित, मूली में काशी श्वेता और काशी हंस नामक प्रजाति किसानों के लिए विकसित की गई है।

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक नीरज सिंह ने बताया कि सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए संस्थान में कृषि व्यापार उदभवन ईकाई का गठन किया गया है। जहां कृषि वैज्ञानिकों की एक टीम उन्नत सब्जी की खेती करने के लिए प्रशिक्षित करने के साथ ही प्रचार-प्रसार कर रही हैं। हमारा लक्ष्य भारत को सब्जी उत्पादन में नंबर वन बनाना है।

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