लखनऊ। दिन में तेज धूप और बढ़ती गर्मी वहीं शाम होते ही गिरता पारा और सर्द मौसम। तापमान में आए दिन हो रहे इस बदलाव ने आम की मंजरियों पर बहुत असर डाला है। पेडों पर लगे आम के बौर जहां इस साल पहले आ गए वहीं तेजी से तापमान बढ़ने और घटने के कारण ये विकृत हो रहे हैं। जिससे इसमें फल आने की संभावना घटती जा रही है।
इस बारे में जानकारी देते हुए मैंगों ग्रोवर आफ इंडिया के प्रेसीडेंट इंशराम अली ने बताया ” इस साल पूरे प्रदेश में आम के पेड़ों पर 25 से लेकर 30 प्रतिशत तक ही बौर आए हैं, इसके अलावा इनपर मौसमी बीमारियों ने भी हमला बोल दिया है। जिसके इस बार पिछले साल के मुकाबले आधे से भी कम आम की पैदावार होगी। ” कृषि वैज्ञानिकों का भी कहना है कि प्रदेश में इस साल आम की पैदावार घटेगी।
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सोमवार को उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद में मौसम आधारित राज्य स्तरीय कृषि परामर्श समूह बैठक में कृषि वैज्ञानिकों ने मौसम में आ रहे बदलाव और उसके कारण आम की पैदावार पर पड़ रहे असर को लेकर चिंता व्यक्त की है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बढ़ते वायु प्रदूषण और दिन के तापमान में पिछले सालों के मुकाबले हुई भारी वृद्धि के कारण उत्तर प्रदेश के मैंगों बेल्ट कहे जाने वाले मलिहाबाद और सहारनपुर जैसे क्षेत्रों आम की पैदावार पर असर पड़ेगा। नरेन्द्र देव कृषि और प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद के एग्रीकल्चर मेट्रोलाजी विभाग के प्रोफेसर डा. ए.के. सिंह ने बताया ” इस समय न्यूतनत तापमान 8 से 12 और अधिकतर तापमान 28 से 33 सेल्सियस चल रहा है। तेज हवाएं भी चल रही हैं। जिसका असर आम के पेड़ों में लगी मंजरियों पर पड़ रहा है। ”
उन्होंने बताया कि इस मौसम में आम में भुनगा कीट और खर्रा रोग भी तेजी से बढ़ रहा है। भुनगा कीट आम की मंजरियों का चूसकर उसे निर्जीव बना देता हैं। जिससे मंजरियों पर फल नहीं आता है। आम के लिए बादलयुक्त मौसम और बारिश भी खतनाक होती है। इसके आम की मंजरियों में खर्रा रोग तेजी से बढ़ता है जिससे आम के बौर काले हो जाते हैं। इस बार भी जनवरी से लेकर अभी ऐसा ही मौसम रहा है जिसका असर पड़ा है।
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डाॅ. राजेन्द्र कुमार ने बताया ” आम में भुनगा कीट के लिए वर्टीसीलियम लेकेनाई 3 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकार आम के पेड़ पर छिड़काव किया जाए वहीं आम को खर्रा रोग से बचाने के लिए घुलनशील गंधक 2 ग्राम को एक लीटर पानी में घोलकर छिडकाव किया जाए। ” उन्होंने बताया कि आम की जो विकृत मंजरियां हैं उसके आम के पेड़ से काटकर हटा लें। जिससे दूसरे मंजरियों पर इसका प्रभाव न पड़े।
पिछले साल उत्तर प्रदेश में 45 लाख, 12 हजार 705 मीट्रिक टन आम की पैदावार हुई थी। मौसम आधारित आम की पैदावार को लेकर जो रिपोर्ट जारी की गई है उसके अनुसार प्रदेश में इस साल 20 से लेकर 22 लाख मीट्रिक टन होने की संभावना है।
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