बदलते मौसम में सोयाबीन की फसल में कई रोग व कीट का खतरा, वैज्ञानिकों ने जारी की चेतावनी

लगातार नमी और 25-30 सेंटीग्रेड तापमान होने से सोयाबीन में कई तरह के रोग व कीटों को पनपने का मौका मिल जाता है, किसानों को चाहिए कि समय-समय पर फसल की निगरानी करते रहें, जिससे सही समय पर रोकथाम हो सके...
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लखनऊ। मौसम में लगातार उतार-चढ़ाव से मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसी कई राज्यों की प्रमुख फसल सोयाबीन में कई तरह के कीट व रोगों का प्रकोप बढ़ गया है। भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है कि अगर सही समय पर इनका रोकथाम नहीं किया गया तो किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. महावीर प्रसाद शर्मा बताते हैं, “इस समय वातावरण में लगातार नमी और 25-30 सेंटीग्रेड तापमान होने से सोयाबीन में कई तरह के रोग व कीटों को पनपने का मौका मिल जाता है, किसानों को चाहिए कि समय-समय पर फसल की निगरानी करते रहें, जिससे सही समय पर रोकथाम हो सके।”


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संस्थान द्वारा कृषि सलाह के अनुसार इस समय मध्य प्रदेश के रायसेन व रतलाम जिले में हेलियोथिस आर्मिजेरा (चने की इल्ली) का प्रकोप बढ़ सकता है। साथ ही मध्य प्रदेश के बैतूल, सागर, भोपाल, छतरपुर, दमोह, गुना, खंडवा, रतलाम, टीकमगढ़, उज्जैन, खरगोन, शाजापुर व महाराष्ट्र अहमदनगर, बुलढाणा, कोल्हापुर, नासिक, वर्धा, यवतमाल, अमरावती और राजस्थान के चित्तौड़गढ़ स्पोडोप्टेरा लिटुरा (तम्बाकू की इल्ली) का प्रकोप बढ़ सकता है।

मध्य प्रदेश में इस साल सोयाबीन का रकबा इस साल बढ़ा है। यहां 44.41 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन लगाया गया है जबकि महाराष्ट्र में 32.13 लाख हेक्टेयर और राजस्थान में 9.45 लाख हेक्टेयर है।

डॉ. महावीर प्रसाद शर्मा आगे बताते हैं, “सोयाबीन की फसल में कोलेट्रोट्राईकम स्पीसिज से फैलने वाली बीमारी एन्थ्रेकनोज का भी प्रकोप बढ़ रहा है। इस बीमारी से सोयाबीन के तने के पास लगी हुई फलियां गहरे भूरे रंग की होकर दाने भरने से पहले ही सूख जाती हैं, एक पौधे से सारे खेत और आस-पास के खेतों तक पहुंच जाती है।”

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सोयाबीन की फसल पर एन्थ्रेकनोज और पॉड ब्लाईट के लिए थायोफिनाइर्ट मिथाइल एक किलो प्रति हेक्टेयर या टेबूकोनाझोल 625 मिली प्रति हेक्टेयर या हेक्झाकोनाझोल 500 मिली प्रति हेक्टेयर या पायरोक्लोस्ट्ररोबिन 500 ग्राम को 500 लीटर पानी में मिलकार छिड़काव करना चाहिए।


इस समय सोयाबीन की फसल में लगने वाले कुछ कीट और उनकी रोकथाम

सोयाबीन की फसल में लाल मकड़ी के नियंत्रण के लिए इथियान 1.5 लीट प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।

चने की इल्ली, सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली और सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए पहले से मिश्रित कीटनाशक थायोमिथाक्सम/ लेम्बडा सायहेलोथ्रीन 125 मिली प्रति हेक्टेयर या बीटासायफ्लृथ्रिन/इमिडाक्लोप्रीड 330 मिली प्रति हेक्टेया अथवा इन्डोक्साकाब्र 330 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।

जहां पर केवल पत्ती खाने वाली इल्लियों का का प्रकोप हुआ हो वहां पर इन्डोक्साकार्ब 330 मिली प्रति हेक्टेयर अथवा क्विनालफॉस 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।

फसल की निगरानी करते हुए तम्बाकू की इल्ली या बिहार की रोएंदार इल्ली के समूह द्वारा ग्रसित पत्तियों/पौधों को पहचानकर नष्ट करें।

पीला मोजैक बीमारी को फैलाने वाली सफेद मक्खी के प्रबंधन के लिए खेत में यलो स्टीकी ट्रैप का प्रयोग करें जिससे मक्खी के वयस्क नष्ट किये जा सके। पीला मोजैक रोग से ग्रसित पौधों को खेत से निकालकर नष्ट कर दें। इससे रोग को फैलने से रोकने में सहायता होगी।

जिन क्षेत्रों में अधिक बारिश हो रही हो वहां पर सोयाबीन के खेत में जलभराव ना होने दें।

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