लखनऊ। गुरूवार, 7 फरवरी 2019 की शाम दिल्ली और आस-पास के इलाकों में ओले गिरे। लोगों ने मौसम की खूबसूरती में कसीदे पढ़ने शुरू कर दिए, सोशल मीडिया पर तस्वीरों की बाढ़ आ गई लेकिन इस खुशनुमा मौसम में किसानों की फसलों को नुकसान हो रहा है। बिन मौसम बारिश का किन फसलों पर और किस इलाके में क्या असर पड़ेगा ये जानने के लिए गाँव कनेक्शन ने कुछ किसानों और कृषि वैज्ञानिकों से बात की।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से लगभग 130 किमी दूर लखीमपुर खेरी जिले के किसान कर्णजीत धालिवाल बताते हैं कि उनका इलाका लो लैंड एरिया है यानि कि तराई क्षेत्र जिसका मतलब है कि ये इलाका बाढ़ प्रभावित है। यहां की मिट्टी में पहले से ही नमी मौजूद है, बारिश के कारण नमी और बढ़ गई है इस कारण से बुवाई करने में देरी हो रही है। अगर बारिश होती रहती है तो फसलों की बुवाई में और देरी होगी जो उनके उत्पादन को प्रभावित करेगा।
बकौल कर्णजीत सरसों की फसल लगभग पकने की कगार पर है तो बारिश के कारण इसे काफी नुकसान हो रहा है। वहीं गेहूं की फसल के लिए ये बारिश अच्छी है। गेहूं में फूल आना शुरू हो गए हैं और बारिश के पानी में नाइट्रोजन होता है जो कि इस स्थिति के लिए फायदेमंद है। जो गन्ने लग चुके हैं उनके लिए भी ये बारिश फायदेमंद है। चने की फसल के लिए ये पानी ठीक नहीं है, ये फूल की स्थिति में है तो उसे कम पानी की ज़रूरत होती है, ज़्यादा पानी गिरने से फसल बर्बाद होने के आसार हैं। मसूर की फसल को भी नुकसान हो रहा है।
वो ये भी बताते हैं कि इस बारिश के कारण कई फसलों की बुवाई में भी देर हुई है।
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बिहार में मुजफ्फरपुर के कृषि विभाग के वैज्ञानिक डॉ ए. के. गुप्ता कहते हैं
“इस बारिश से गेहूं, मक्का और प्याज की फसलों को फायदा होगा, लेकिन अगर ज्यादा ओलावृष्टि हुई तो बहुत नुकसान होगा। ऐसे में किसानों को चाहिए कि दो-तीन दिन फसलों की सिंचाई न करें। बारिश होने के बाद यूरिया का छिड़काव करें साथ ही किसान हल्दी, ओल व आलू की खुदाई न करें। राई, तोरी व सरसों की कटाई सावधानीपूर्वक करें।”
बिहार में गुरुवार से ही बूंदाबांदी हो रही थी लेकिन सोमवार, 8 फरवरी की सुबह बारिश तेज हो गयी। दोपहर तक हुई बारिश के साथ कई जगह ओले भी गिरे। पटना, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में ज्यादा बारिश होने की सुचना मिल रही है। पटना मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में शनिवार तक ऐसा ही मौसम रहने के आसार हैं। शुक्रवार को औसत 15 मिलीमीटर तक बारिश हुई। बारिश या बूंदाबांदी होने के कारण दिन के तापमान में पांच से छह डिग्री सेल्सियस की गिरावट आ सकती है। इस बीच कई और स्थानों पर ओलावृष्टि भी हो सकती है।
झारखंड के पलामू जिले में सुबह से बारिश हो रही है। कभी बूंदाबांदी तो कभी तेज बारिश होने लगती है। जिले के मेदिनीनगर ब्लॉक में एक छोटा सा गाँव है खनवां। यहां की रहने वाली हसरत बानों (40 वर्ष) ने बताया कि, “इस बेमौसम की बारिश से हमारी अरहर की फसल को नुकसान होगा। अभी पौधा फूल और फली पर है, पानी से फूल झड़ रहे हैं। इस बारिश से फसल में कीड़े लग जाते हैं। जो भिंडी का बीज लगाया है अगर ज्यादा बारिश हो गई तो वो जम नहीं पाएगा। एक तो किसान इतनी मेहनत से खेती करता है और जब फसल बर्बाद होती है तो बहुत तकलीफ़ होती है।” हसरत बानों एक आजीविका कृषक मित्र भी हैं जो किसानों को खेती के बेहतर तौर-तरीके सिखाती हैं।
पंजाब राज्य के होशियारपुर जिले में खेती करने वाले कैलाश शर्मा बताते हैं कि गेहूं की फसल के लिए तो ये बारिश ठीक है लेकिन कीनू और सरसों की फसल को इससे नुकसान होगा। गन्ने की फसल को भी थोड़ा-बहुत नुकसान हो सकता है। अगर ओलावृष्टि होती है तो फसलों को बहुत अधिक नुकसान होगा। वो ये भी कहते हैं कि नुकसान की भरपाई किसान को खुद ही वहन करनी पड़ती है, सरकार कुछ मदद नहीं करती। अगर इंश्योरेंस कराया हो तो भी ठीक लेकिन पंजाब में बहुत कम ही लोग अपनी फसलों का बीमा कराते हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के औरेया जिले में रहने वाले योगेन्द्र सिंह कहते हैं कि बारिश से कोई खास नुकसान नहीं है लेकिन अगर ओले गिरते हैं तो फसल चौपट हो जाएगी। योगेन्द्र कृषि विभाग में तकनीकी सहायक के पद पर कार्यरत हैं। वो बताते हैं- “अगर सरसों पकने वाली है या कम अवधि की है तो उसमें नुकसान होगा। कम अवधि वाले आलू को भी बारिश नुकसान पहुंचाएगी। गेहूं की फसल को कोई नुकसान नहीं होगा, ये बारिश गेहूं की फसल के लिए अच्छी है।”
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हरियाणा की पंजाब बॉर्डर के पास फतेहाबाद जिले में खेती करने वाले किसान सुखविंदर संधु ने बताया कि उनके इलाके में बारिश नहीं हुई है। वो कहते हैं कि “बारिश होती है तो ये लगभग सभी फसलों के लिए अच्छी रहेगी। गेहूं, चना, सरसों जैसी फसलें के लिए पानी गिरना अच्छा रहेगा। अगर ओले पड़ते हैं तो वो बहुत नुकसानदायक होगा। ओलों से पौधे बर्बाद हो जाते हैं, वो नाज़ुक होते हैं और ओले ऊपर से तेज़ी से आकर लगते हैं जिनसे पौधे टूट जाते हैं। ओलों से छोटे पक्षी तक मर जाते हैं फिर फसलों को कितना नुकसान होगा ये आप खुद सोच लीजिए। पशुचारा भी खत्म हो जाता है। सब्ज़ियों के लिए जो पॉली हाउस बनाए जाते हैं वो भी टूट जाते हैं।”
सब्ज़ियां उगाने के लिए अलग से पॉली हाउस बनाए जाते हैं। प्लास्टिक के ऐसे ढांचे जिनमें बिना मौसम के फसलों का उत्पादन किया जाता है। हरियाणा में इस समय गोभी, ब्रॉकली, शलजम, गाजर अदि सब्जियां हो रही हैं। सुखविंदर संधु ने बताया कि यहां पर 10-15 दिन पहले बारिश हुई है, उससे फसलों को फायदा मिला है। बारिश के पानी में नाइट्रोजन होती है और ऊपर से पानी आने के कारण फसलों के पत्ते खुल जाते हैं, जिससे उन्हें बेहतर ढंग से बढ़ने में मदद होती है।
बिहार के बक्सर जिले में कृषि वैज्ञानिक डॉ. देव करण के अनुसार गेहूं, चना और बाकी सब्ज़ियां के लिए ये बारिश फायदेमंद है। वहीं मसूर, मटर, आलू और सरसों की फसलों को नुकसान पहुंचाएगी। वो बताते हैं कि बारिश के कारण फसलों के फूल झड़ जाते हैं, आलू में फफूंद लग जाती है, जिसके कारण बीमारियां होती हैं।
मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर जिले से 10 किमी दूर मांगलिया गाँव में खेती करने वाले किसान दीपक पटेल कहते हैं कि “बारिश तो ठीक है लेकिन हवा चलने और ओले गिरने से फसलों को बहुत नुकसान होगा। उज्जैन के आगर में कुछ तीन दिन पहले ओले गिरे थे, ये तो अच्छा है कि बस 2-3 मिनट के लिए ही गिरे। अगर थोड़ी देर और गिर जाते तो फसलों को भारी नुकसान हो जाता।”
वह बताते हैं कि अब बारिश होने का कुछ फायदा नहीं है। अगर यही बारिश कुछ 20 दिन पहले होती तो किसानों को बहुत फायदा होता। दीपक की देवास जिले में भी कुछ खेती है। उनका कहना है कि फसलों में दाना पक चुका है, अब बारिश इसे बर्बाद ही कर रही है। गेहूं, चना, लहसुन, प्याज़ और आलू की फसलें इस समय मुख्य रूप से लगी हुई हैं। कुछ दिनों पहले पाला पड़ा था तो भी फसलों को नुकसान हुआ। पाला पड़ने का अर्थ है, बहुत अधिक ठण्ड पड़ना। ज़्यादा ठण्ड होने से रात में पारा गिर जाता है, जिससे फसलों पर बर्फ की चादर सी पड़ जाती है, इससे फसल के दाने जल जाते हैं, काले पड़ जाते हैं, अगर फसल में फूल हैं तो वो सूख जाते हैं, यानि वहीं रुक जाते हैं फिर उनमें फल नहीं बनता।
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दीपक बताते हैं कि मटर, चना और आलू की फसलों को 70-80 फीसदी तक नुकसान हुआ है। सितंबर आखिरी में जिन्होंने चने लगाए थे उनको फायदा हुआ है। सोयाबीन वगैरह तो भी खास नुकसान नहीं हुआ। दिवाली के बाद बोए गेहूं की फसल पक गई है, जो दिसंबर में बोए उनकी बालियां निकलनी शुरू हो गई हैं, इन फसलों को बारिश से फायदा है पर एक बात ये भी है कि पकी हुई फसल पर (जिसे 8-15 दिन में काटना हो) पानी पड़ने से उसका रंग चला जाता है और इस कारण उसके दाम गिर जाते हैं।
“पानी गिर रहा है तो ठीक है लेकिन हवा चलती है तो गेहूं भारी होकर लेट जाते हैं, बाद में खड़ा नहीं हो पाता तो उनके दाने पतले हो जाते हैं,” – दीपक आगे कहते हैं।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र में प्लांट प्रोटेक्शन प्रोफेसर और प्रभारी अधिकारी डॉ. आर के कुशवाह बताते हैं कि बरसात से पारा कम हुआ है और बारिश से फसलों को फायदा होगा लेकिन ओले पड़ने से नुकसान होगा। ओला जहां भी टकराता है चाहे पत्ती हो या फल, ये अपना जख्म छोड़ देता है। हवा चलने से उत्पादन प्रभावित होगा लेकिन अधिकतर फसलों के लिए बारिश फायदेमंद है।
छत्तीसगढ़ के कवर्धा शहर में रहने वाले प्रमेन्द्र घोषी अलग-अलग गाँवों में खेती करते हैं। वो बताते हैं कि कुछ दिन पहले बारिश हुई है, जिन फसलों की सिंचाई नहीं हुई उन सभी फसलों को फायदा हुआ है जैसे गेहूं और चना। गन्ने को नुकसान हुआ है। प्रमेन्द्र भी यही कहते हैं कि पानी से तो ज़्यादा नुकसान नहीं होगा लेकिन ओले गिरने से बहुत नुकसान होता है। जहां फसलें पक के तैयार हो जाएं वहां पानी से भी नुकसान होता है।