फूलों के शौकीन लोगों के लिए ये अच्छा मौका था, जहां पर गुलाब और ग्लैडियोलस के साथ ही कई साथ ही बोनसाई का भी प्रदर्शन किया गया। साथ ही गुलदाउदी की देर से खिलने वाली एक नई किस्म ‘शेखर’ को भी जारी किया। गुलदाउदी की यह किस्म आखिरी दिसम्बर से मध्य फरवरी के बीच खिलती है।
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में दो दिवसीय गुलाब और ग्लैडियोलस प्रदर्शनी का आयोजन वनस्पति उद्यान के केंद्रीय लॉन में किया गया। प्रदर्शनी में विशेष आकर्षण के रूप में संस्थान द्वारा एक विशेष मंडप (एनबीआरआई पवेलियन) में गुलाब व ग्लैडियोलस कट फ्लावर्स, विकसित प्रौद्योगिकियों व हर्बल उत्पादों को भी प्रदर्शित किया गया। प्रदर्शनी स्थल पर संस्थान द्वारा पादप विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों मे किए जा रहे नवीन शोध और विकास कार्यों को भी लोगों के लिए प्रदर्शित किया गया हैं।
प्रदर्शनी के संयोजक डॉ. एसके तिवारी ने बताया कि इस प्रदर्शनी में प्रदर्शकों के लिए 26 रनिंग चैलेंज शील्डं / कप / ट्राफियों सहित 19 वर्ग (एसआर ) व 125 खंड हैं। इस प्रदर्शनी में विभिन्न सरकारी, अर्द्ध सरकारी विभाग, स्वायत्त निकाय, व्यक्तिगत उत्पादक, महिलायें, नर्सरियों के लोग व मालियों से विभिन्न वर्गो में प्रतिभागिता के लिए 69 प्रदर्शकों से कुल 647 प्रविष्टियॉं प्राप्त हुईं।
इस अवसर पर, वैज्ञानिक औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक, एवं वैज्ञानिक औद्योगिक अनुसंधान विभाग, भारत सरकार के सचिव, डॉ. शेखर सी. मांडे ने विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कार वितरित किए। डॉ. मांडे सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ के अपने दूसरे दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने संस्थान और उसके दूरस्थ अनुसंधान केन्द्रों का भ्रमण किया और चल रहे अनुसंधान और विकास कार्यों की जानकारी ली।
बंथरा और गेहरू परिसर के भ्रमण के दौरान डॉ. मांडे ने नवनिर्मित संकटग्रस्त प्रजाति संरक्षण केंद्र, बांस गृह व कैनाबिस अनुसंधान केंद्र का भी उदघाटन किया और केनाबिस का एक पौधा रोपित किया। साथ ही डॉ. मांडे ने संस्थान के वनस्पति उद्यान में नव विकसित फाईकस गृह और आधुनिक पौध प्रसारण सुविधा का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होने संस्थान की हिन्दी राजभाषा पत्रिका ‘विज्ञान वाणी’ का विमोचन और संस्थान की नवविकसित वेबसाइट को भी लांच किया।
इस अवसर पर डॉ. मांडे ने संस्थान द्वारा विकसित गुलदाउदी की देर से खिलने वाली एक नई किस्म ‘शेखर’ को भी जारी किया। गुलदाउदी की यह किस्म आखिरी दिसम्बर से मध्य फरवरी के बीच खिलती है और इसके फूल हल्के गुलाबी रंग के हैं।
समारोह के प्रारम्भ में संस्थान के निदेशक प्रो. सरोज के. बारिक ने मुख्ये अतिथि और सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान द्वारा पुष्प कृषि के क्षेत्र में किये जा रहे अनुसंधान कार्यो के बारे में बताया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि, डॉ. मांडे, ने अपने व्याख्यान में समारोह के सफल आयोजन पर संस्थान को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी न सिर्फ लखनऊ का गौरव है बल्कि पुष्प प्रेमी लखनऊ वासियों के लिए एक तोहफा भी है।