कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 में सब्जियों का उत्पादन बढ़कर 193.61 मिलियन टन हो सकता है, जबकि साल 2019-20 में ये उत्पादन 188.91 मिलियन टन था। कुल बागवानी फसलों (फल-सब्जी) की उपज 326.58 मिलियन टन होने का अनुमान है।
उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के गांव टांड़पुर के किसान शैलेंद्र शुक्ला (33 वर्ष) अभी तक धान-गेहूं और मेंथा की खेती करते थे, लेकिन इस बार उन्होंने पहली बार चार एकड़ में तरबूज की खेती की है। उनकी ही तरह उनके गांव में कई किसान पहली बार तरबूज की खेती कर रहे हैं।
“पिछले साल हमारे चाचा ने एक एकड़ में तरबूज बोया था। लॉकडाउन के बाद भी उन्हें अच्छा फायदा हुआ था, तो हम लोगों ने भी इस बार इसकी खेती की है। गेहूं में 4-5 महीने लगते हैं, इसमें 70-90 दिन में पूरी फसल आ जाती है, फिर खेत खाली हो जाता है तो दूसरी फसल ले सकते हैं।” शैलेंद्र बताते हैं।
अकेले बाराबंकी जिले में ही पिछले साल के मुकाबले तरबूज का रकबा लगभग तीन गुना हो गया है। बाराबंकी के जिला उद्यान अधिकारी महेंद्र कुमार गांव कनेक्शन को बताते हैं, “पिछले साल तरबूज-खरबूजा और खीरे का रकबा 150 हेक्टेयर था जो इस साल बढ़कर 500 हेक्टेयर से ज्यादा हो चुका है। जिले में फल-सब्जियों का रकबा लगातार बढ़ा है।”
As per the First Advance estimate Total Horticulture production in 2020-21 is estimated to be
326.58 Million Tonne, an increase of about 5.81 Million Tonne
over 2019-20@PMOIndia@nstomar @AgriGoI— Sanjay Agarwal (@SecyAgriGoI) March 8, 2021
2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दावा कर रही केंद्र सरकार भी चाहती है कि किसान धान-गेहूं, गन्ना से हटकर फल सब्जियों की खेती करें। 10 फरवरी 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा, “मैं किसानों से कहता हूं कि वो सिर्फ धान-गेहूं न उगाएं, इससे काम नहीं चलने वाला। उन्हें बाजार में मांग के हिसाब से फसलें उगाकर दुनिया को बेचना चाहिए।” प्रधानमंत्री संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने हरियाणा के चेरी टमाटर और ब्रोकली उगाने वाले किसान और बुंदेलखंड में स्ट्रॉबेरी की खेती का भी जिक्र किया था। उन्होंने बताया था कि ऐसे नकदी फसलों के लिए किसानों को सिंचाई सोलर से लेकर कई तरह की सब्सिडी दी जा रही है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की तरफ से 8 मार्च को जारी आंकड़ों के अनुसार देश के सभी राज्यों में 2020-21 (प्रथम अनुमान) के मुताबिक 10,711 हजार हेक्टेयर में सब्जियों की खेती हो रही है, जिससे 193.61 मिलियन टन उत्पादन होने का अनुमान है जबकि 2019-20 में 10,303 हजार हेक्टेयर रकबे में 188.91 मिलियन टन उत्पादन हुआ था वहीं 2018-19 में 10,073 हजार हेक्टेयर रकबे में 183.17 मिलियन टन सब्जी का उत्पादन हुआ था।
सब्जियों के साथ फलों की खेती का भी रकबा और उत्पादन बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार फलों का उत्पादन 103.23 मिलियन टन होने का अनुमान है जो पिछले साल 2019-20 में 102.03 मिलियन टन था।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) देश में फल और सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने का काम करता है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड ने डिप्टी डायरेक्टर शैलेंद्र सिंह गांव कनेक्शन को बताते हैं, “राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत देश में बागवानी की फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा लोग फल-सब्जियों की खेती करें इसलिए केंद्र सरकार काफी सब्सिडी देती है। योजना के तहत जो किसान खुले में बागवानी की खेती करते हैं उन्हें 40 फीसदी तक और अधिकतम 30 लाख रुपए तक मदद की जाती है। वहीं संरक्षित तरीकों (पॉली हाउस-ग्रीन हाउस) के तहत बोर्ड 50 फीसदी तक सब्सिडी है जबकि अधिकतम 56 लाख रुपए दिए जाते हैं।” सरकारी की सब्सिडी की ये सीमाएं उत्तर पूर्वी राज्यों और पहाड़ी राज्यों के और बढ़ जाती है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार देश में 86 फीसदी किसान छोटे और मंझोले हैं, जिनके पास 2 हेक्टेयर से भी कम जमीन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे 12 करोड़ किसानों से ही धान, गेहूं, छोड़कर बाजार की मांग के अनुसार खेती की बात संसद में कर रहे थे। सब्जियों की खेती को बढ़ावा देना, फसल उपरांत होने वाले नुकसान से बचाने और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए प्याज,टमाटर और आलू के बाद 22 फसलों को आपरेशन ग्रीन योजना में शामिल किया गया है।
किसानों को बीज से लेकर सलाह और देने वाली और मार्केट से जोड़ने वाले एग्री स्टार्टअप देहात बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और यूपी समेत कई राज्यों में सब्जियों की खेती पर काम कर रहा है। देहात के कार्यकारी निदेशक श्याम सुंदर सिंह गांव कनेक्शन को बताते हैं, ” ये आंकड़े उत्साह बढ़ाने वाले हैं। अगर आप आंकड़ें देखेंगे तो पता चलेगा कि फल की बजाए सब्जियों में ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। किसान सिंगल क्रॉपिंग ग्रेन (अनाज की एक तरह की खेती) से मल्टी क्रॉपिंग वेजिटेबल (सब्जियों की बहुफसली) की तरफ शिफ्ट किया जाए। सरकार भी इस दिशा में लगातार सब्सिडी दे रही है, इसका भी काफी असर है।’
फल और सब्जी की खेती और उत्पादन के राष्ट्रीय आंकड़े
पिछले साल की अपेक्षा सब्जियों में रकबे और उत्पादन की बात करें तो पिछले साल जिन फसलों के दाम काफी ऊपर गए थे उन दोनों का रकबा ज्यादा बढ़ा है। 2019-20 में 2,051 हजार हेक्टेयर में 48.56 मिलियन टन आलू का उत्पादन हुआ था तो 2020-21 के पहले अनुमान के मुताबिक 2,247 हजार हेक्टेयर से 53.11 मिलियन टन उत्पादन की उम्मीद है।
इसी तरह प्याज की कीमतें अभी भले काफी कम हों लेकिन पिछले साल फुटकर में 200 रुपए तक प्याज बिक चुका है। 2020-21 में 1,595 हजार हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई है और 26.29 मिलियन टन उत्पादन का अनुमान है। इसी तरह 2019-20 में 467 हजार हेक्टेयर के मुकाबले इस 2021 में 471 हजार हेक्टेयर में फूल गोभी की खेती हुई और 91.82 मिलियन टन उत्पादन का अनुमान (प्रथम) है। फल और सब्जियों की खेती में छोटी जोत वाले किसानों से लेकर सुविधा संपन्न किसान सभी शामिल हैं। किसान उत्पादक समूहों की भी इसमें बड़ी भागीदारी है।
उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में ‘अपना गांव बायो एनर्जी फॉर्मर प्रोड्यूसर’ के एक निदेशक और किसान विवेक सिंह गांव कनेक्शन को बताते हैं, “हमारे एफपीओ में हमारे ही जिले के करीब 500 किसान जुड़े हैं, जिसमें से करीब 100 किसान मशरूम और सब्जियों की खेती कर रहे हैं। हमारे यहां तरबूज, थाई अमरूद, नींबू, पपीता की खेती काफी लोग शुरू कर रहे हैं क्योंकि बागवानी फसलों में एक बार लागत लगाने के बाद अगले 8-10 वर्षों तक आमदनी तय हो जाती है।’
बागवानी की फसलें नकदी हैं फसले हैं ये कम समय में होती है, लेकिन मुनाफा भी ज्यादा मिल सकता है लेकिन इसमें जोखिम भी ज्यादा है।
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में 32 एकड़ में टमाटर 38 एकड़ में हरी मिर्च की खेती करने वाले संदीप सिंह कहते हैं, “सब्जियों की खेती हर साल बढ़ती है, ज्यादातर किसान दूसरों को देखकर इस तरह की खेती में आते है लेकिन अनुभव और जानकारी न होने से उन्हें घाटा हो जाता है। मेरा अनुमान है कि 70 फीसदी किसान चौथे साल तक इस खेती को कम कर देते हैं। इस लाइन (फल-सब्जी) में वहीं किसान मुनाफा कमा रहे हैं, मार्केट में जमे हैं। इसलिए ऐसी खेती करने से पहले ट्रेनिंग जरूर लें।’ संदीप का फार्म हाउस सिवनी जिले में केवलारी तहसील के कुचीवाड़ा में है।
संदीप सिंह की इस बात से देहात संस्था के कार्यकारी निदेशक श्याम सुंदर सिंह भी इत्तेफाक रखते हैं। वो कहते हैं, “गेहूं के मुकाबले खीरा या कोई सब्जी उगाना काफी मुश्किल काम है। अच्छा बीज चाहिए, सही समय पर सही दवा और फर्टिलाइजर चाहिए, फिर बात आती है मार्केट की। यहां बहुत रेट का बहुत उतार चढ़ाव होता है। इसलिए एक पोस्ट हार्वेट टेक्नोलॉजी और सीजन से पहले सब्जी उगाना फायदेमंद हो सकता है। खेती में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ने से भी ऐसी हाई रिस्क (ज्यादा जोखिम) वाली खेती बढ़ी हैं।