खेती से अच्छी उपज पाने के लिए खेत में सही मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए, जिसके लिए सबसे जरुरी होता है मिट्टी की जांच कराना। इससे पता चल जाता है कि आपके खेत की मिट्टी में किस तत्व की ज्यादा जरुरत है, लेकिन मिट्टी जांच की लम्बी प्रक्रिया के कारण कई बार किसान मिट्टी की जांच भी नहीं कराते हैं, लेकिन इस नई तकनीक से किसानों को अब घंटों इंतज़ार नहीं करना होगा।
भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान (आईआईएसएस), भोपाल ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे जो कुछ सेकंड में बता देगी कि मिट्टी में कौन से पोषक तत्व की कमी है। इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी नाम की इस तकनीक में 12 तरह की तत्वों कुछ ही सेकंड में हो जाएगी, जबकि प्रयोगशाला में पारंपरिक तरीके में एक तत्व की जांच में ही ढाई से तीन घंटे लगते हैं।
आईआईएसएस के मृदा भौतिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरएस चौधरी गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “अभी तक मिट्टी जांच की जो भी तकनीक हैं, उसमें ज्यादा समय लगता है, क्योंकि पहले उसका सैंपल तैयार किया जाता है, उसकी लम्बी प्रक्रिया होती है, लेकिन इस नई तकनीक में हम सूखी मिट्टी इस्तेमाल करते हैं, मिट्टी लेने के बाद उसकी जांच करते हैं। दूसरे तरीकों के घंटों और कई बार दिन भी लग जाता है, लेकिन इस नई तकनीक से कुछ ही सेकंड में जांच हो जाती है।”
भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान पिछले पांच साल से विश्व कृषि वानिकी केंद्र,नैरोबी, केन्या (आईसीआरएएफ) के साथ मिलकर इस तकनीक पर काम कर रहा था। इन पांच वर्षों में एक हज़ार से अधिक नमूनों की जांच के बाद वैज्ञानिक इस नतीजें पार पहुंचे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने भी तकनीक की सराहना की है।
अभी भी किसान मिट्टी की जांच के बिना रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि अलग अलग जगह की मिट्टी में अलग तरह के तत्वों की जरुरत होती है। मिट्टी में जिंक, कार्बन, आयरन, मैंगनीज, नाइट्रोजन, फास्फोरस जैसे पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है, इस नई तकनीक से किसान कुछ ही सेकंड में उनके खेत की मिट्टी में किस तत्व की कमी है आसानी से पता कर लेंगे।
डॉ. चौधरी आगे कहते हैं, “हम पिछले पांच साल से आईसीआरएएफ के साथ मिलकर इस तकनीक का परीक्षण कर रहे थे, इसके लिए देश के अलग अलग हिस्सों से मिट्टी के दो हज़ार से भी ज्यादा नमूने इकट्ठा किये, इसके बाद उनके रसायनिक और भौतिक गुणों की जांच की गई। पहले चरण में मिट्टी की उपजाऊ क्षमता, उसमें मौजूद तत्वों की स्थिति आदि की जांच की गई, जिसके अच्छे रिजल्ट आएं हैं।”
“जैसे की मिट्टी का पीएच कितना है, उसमें जैविक कॉर्बन की मात्रा कितनी है, फास्फोरस, पोटाश जैसे तत्वों की कितनी मात्रा है। साथ ही मिट्टी की जल धारण क्षमता कितनी है, फिर उसका टेक्स्चर कैसा है, ऐसी जानकारी अभी मिल रही है, बाकि और जांच चल रही है। अभी बारह पैरामीटर पर मिट्टी की जांच होती है, इस तकनीक से जांच करने पर अभी दो-चार पैरामीटर काम पड़ रहे हैं, जैसे ही सारे पैरामीटर की जाँच होने लगेगी तब सरकार इसे किसानों के लिए लांच कर सकती है, “डॉ. चौधरी ने आगे बताया।
मिट्टी में कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, मैंगनीज, रेत की मात्रा, लवणता, अम्लीयता, पीएच वैल्यू, मिट्टी की जल धारण क्षमता, टिकाऊपन जैसे बारह पैरामीटर की जांच की जाती है। इस तकनीक के इस्तेमाल से किसानों को मिट्टी जांच रिजल्ट के लिए ज्यादा इंतज़ार नहीं करना होगा। इससे मिट्टी में मौजूद तत्वों की कमी या अधिकता की जानकारी मिल जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में 20 से 30 सेकंड ही लगते हैं। इसमें एक साथ 12 तरह के तत्वों की जांच हो जाती है। जबकि पारंपरिक तरीके में प्रत्येक तत्व की जांच में ना केवल ढाई से तीन घंटे का समय लगता है।