लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 85 प्राइवेट स्कूलों की मान्यता रद्द हो गई है। यह कार्यवाही जिला बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा की गई। इससे इन विद्यालयों में पढ़ने वाले हजारों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है।
लखनऊ के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. अमर कान्त सिंह ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, “ये 85 विद्यालय या तो बंद थे या फिर निर्धारित नियमों और मानकों के अनुसार चल नहीं रहे थे। इन 85 विद्यालयों में से कुछ विद्यालय ऐसे थे, जो सिर्फ कागजों पर चल रहे थे। इसके अलावा कई ऐसे कॉलेज थे जो विभाग द्वारा निर्धारित मानकों को पालन नहीं कर रहे थे। इसलिए विभाग को मान्यता रद्द करने का कदम उठाना पड़ा।”
अमर कान्त सिंह ने आगे बताया कि अब इन विद्यालयों में शिक्षण कार्य नहीं चलेंगे। अगर कोई भी विद्यालय ऐसा करता हुआ पाया गया तो विद्यालय प्रबंधन पर एक लाख रूपये का जुर्माना लगेगा। इसके बाद भी अगर विद्यालय चलते हुए पाए गए तो आर्थिक जुर्माना प्रति दिन की दर से 10 हजार रूपये लगेगा।
विद्यार्थियों के भविष्य पर नहीं पड़ेगा प्रभाव: जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. अमर कान्त सिंह ने आश्वासन दिया कि इन विद्यालयों में पढ़ रहे किसी भी विद्यार्थी के भविष्य पर कोई भी आंच नहीं आएगा। उन्होंने कहा, “अधिकतर विद्यार्थियों के माता-पिता इतने जागरूक हैं कि वे उनका प्रवेश किसी अन्य स्कूल में करा दें। अगर कोई भी विद्यार्थी या अभिभावक ऐसा करने में असमर्थ होते हैं, तो उन्हें शिक्षा विभाग द्वारा पूरा सहयोग मिलेगा।”
विभाग का तानाशाही भरा फैसलाः शिक्षक नेता
लखनऊ के शिक्षक नेता बाल मुकुंद तिवारी ने शिक्षा विभाग के इस फैसले को तानाशाही से भरा हुआ बताया। लखनऊ के शिक्षक विधान परिषद उम्मीदवार बाल मुकुंद तिवारी ने कहा, “किसी भी विद्यालय की मान्यता रद्द करने की एक प्रक्रिया होती है। प्रत्येक विद्यालय को ‘यू-डायस फॉर्म’ प्रतिवर्ष विद्यालय की तरफ से शिक्षा विभाग को भेजा जाता है। इस मामले में जिन विद्यालयों ने यू डायस फॉर्म को लेट भरा, उसकी मान्यता विभाग द्वारा रद्द कर दी गई।”
शिक्षक नेता तिवारी ने आगे बताया, “मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया और नियम का पालन शिक्षा विभाग द्वारा नहीं किया गया। विभाग ने बिना कोई जमीनी जांच या पूर्व सूचना दिए इन विद्यालयों की मान्यता को रद्द कर दिया गया। जबकि प्रक्रिया यह है कि एक तीन सदस्यीय कमेटी विद्यालय का दौरा करती है। निरीक्षण में नियमों का पालन ना करने पर विद्यालयों को नोटिस दी जाती है। इसके बाद विद्यालय से जवाब मांगा जाता है। जवाब से अंसतुष्ट होने के बाद ही जिला बेसिक अधिकारी के नेतृत्व में एक कमेटी निर्णय लेके प्रदेश शिक्षा विभाग को एक पत्र लिखती है, कि विद्यालय की मान्यता रद्द की जाए। इसके बाद ही किसी विद्यालय की मान्यता रद्द की जाती है। लेकिन इस मामले में इनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया।”
स्कूल प्रबंधकों और अध्यापकों ने कार्यवाही को बताया अन्यायपूर्ण
इंदिरा नगर के रविंद्र नाथ टैगोर पब्लिक स्कूल के अध्यापक देवेंद्र ने विभाग की इस कार्यवाही को समझ से परे बतया। गांव कनेक्शन से फोन पर बातचीत में देवेंद्र ने बताया, “हम ने यू-डायस फॉर्म भी समय से भर दिया था। पता नहीं विभाग ने ऐसा आदेश क्यों दिया?”
देवेंद्र कहते हैं कि उन्हें इसकी जानकारी भी व्हाट्सएप्प के द्वारा मिली, जबकि शिक्षा विभाग द्वारा जारी नोटिस के अनुसार यह नोटिस 2 जुलाई को ही जारी कर दिया गया था। बाल निकेतन विद्यालय कुबेर सिंह यादव ने भी इस संबंध में अनभिज्ञता जताई। वहीं न्यू बाल विद्या मंदिर के प्रबंधक प्रदीप शुक्ला ने बताया कि उन्होंने 15 दिन पहले ही यू-डायस कोड भर दिया था।