शिक्षक भर्ती परीक्षार्थियों का ‘पोस्टर प्रोटेस्ट’, भर्ती जल्द पूरा करने की मांग

8 जनवरी, 2020 को हुए यूपीटीईटी परीक्षा में भी ये अभ्यर्थी बांह में काली पट्टी बांधकर सम्मिलित हुए थे। सरकार के रवैये के खिलाफ यह उनका सांकेतिक विरोध था।
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“हम सब लाचार, बेरोजगारों की यही पुकार, भर्ती पूरी करे सरकार”

“आश्वासन नहीं नियुक्ति चाहिए, मानसिक पीड़ा से मुक्ति चाहिए”

ये कुछ नारे हैं, जो उत्तर प्रदेश के देवरिया स्थित रोडवेज चौराहे पर लगे पोस्टरों में लगे हुए हैं। इन पोस्टरों को लगाने वाले युवक-युवतियां जनवरी, 2019 में हुई 69000 सीटों की शिक्षक भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थी हैं, जो कि पिछले एक साल से इस भर्ती परीक्षा के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। ये युवा अभ्यर्थी हाई कोर्ट में लंबित इस मामले में सरकार की तरफ से हो रही कमजोर पैरवी से परेशान हैं और प्रदेश भर में पोस्टर अभियान के जरिये अपनी मांगों को रख रहे हैं।

अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार इसके सुनवाई के लिए गंभीर नहीं है, इसलिए सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता (अटार्नी जनरल) बहुत कम ही उपस्थित होते हैं। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि वे कई बार इसकी शिकायत प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और अन्य प्रमुख अधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन सरकार भी इसको लेकर गंभीर नहीं है।

6 जनवरी, 2019 को 69000 सीटों के लिए आयोजित ‘सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा’ में 4 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा के एक दिन बाद शासन ने इस परीक्षा का कट-ऑफ निर्धारित किया। शासन द्वारा घोषित इस कट ऑफ के खिलाफ कुछ अभ्यर्थी कोर्ट में चले गए। तब से यह मामला लगातार कोर्ट में चल रहा है।

इन अभ्यर्थियों की मांग है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आश्वासन का पालन करते हुए इस परीक्षा प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। गौरतलब है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस भर्ती प्रक्रिया को 15 फरवरी, 2019 तक पूरा करने का आश्वासन दिया था। प्रदेश के प्राथमिक शिक्षा विभाग के मुताबिक राज्य के प्राथमिक विद्यालय भी शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं और छात्रों की संख्या के अनुपात में प्रदेश में एक लाख से अधिक प्राथमिक शिक्षकों की कमी है।

अभ्यर्थियों की अगुवाई कर रहे मामले के मुख्य याचिकाकर्ता शिवेंद्र सिंह ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, “अब तक इस मामले में 23 बार सुनवाई हुई है, लेकिन महाधिवक्ता कोर्ट में सिर्फ 3 बार उपस्थित हुए हैं। सरकार की गंभीरता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है। हम इसको लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री, बेसिक शिक्षा सचिव और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों, मंत्रियों से मिल चुके हैं, लेकिन कोई भी अधिकारी या नेता इस मामले को लेकर गंभीर नहीं लगता है। इस वजह से हम पूरे प्रदेश भर में पोस्टर अभियान चलाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि लोगों को भी पता चले कि यह सरकार बेरोजगारों को रोजगार देने के प्रति कितनी गंभीर है।”

शिवेंद्र ने बताया कि प्रदेश सरकार के एक अधिसूचना से पता चला है कि सरकार जल्द ही सहायक शिक्षकों की एक नई भर्ती लाने वाली है। प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी भी एक टीवी इंटरव्यू में नई भर्ती कराने के संकेत दे चुके हैं। शिवेंद्र सहित लाखों अभ्यर्थियों की मांग है कि सरकार पहले पुराने भर्ती प्रक्रिया को पूरा कराए, फिर ही नई भर्तियां लाए ताकि सफल अभ्यर्थियों को फिर से परीक्षा फॉर्म नहीं भरना पड़े। वहीं नई भर्ती में नए अभ्यर्थियों को भी पर्याप्त मौका मिल सके।

देवरिया के अभ्यर्थी प्रवीण यादव कहते हैं, “एक साल से अधिक समय होने जा रहा है, लेकिन भर्ती पूरी नहीं हो सकी। हमारे हजारों साथी मानसिक, शारिरिक और आर्थिक तनाव से गुजर रहे हैं। इसके अलावा हमारे ऊपर सामाजिक दबाव भी बढ़ गया है। मुहल्ले के साथ-साथ अब परिवार वाले भी पूछने लगे हैं कि कब नौकरी मिलेगी?”

सरकार द्वारा उचित पैरवी की मांग कर रहे ये अभ्यर्थी राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के कई जिलों में दर्जन भर से अधिक बार धरना दे चुके हैं। 27 अगस्त, 2019 को प्रदेश भर के अभ्यर्थियों ने जब लखनऊ बेसिक शिक्षा विभाग पर धरना दिया था, तब प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी ने आश्वासन दिया था कि आगे की सुनवाईयों में प्रदेश के महाधिवक्ता जरूर उपस्थित रहेंगे। लेकिन उसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी है।

सोशल मीडिया पर भी ये अभ्यर्थी हैशटैग चलाकर और राज्य के मुख्यमंत्री, बेसिक शिक्षा मंत्री को टैग कर अपनी मांगों को रखते रहते हैं। 8 जनवरी, 2020 को हुए यूपीटीईटी परीक्षा में भी ये अभ्यर्थी बांह में काली पट्टी बांधकर सम्मिलित हुए थे। सरकार के रवैये के खिलाफ यह उनका सांकेतिक विरोध था।

शिवेंद्र सिंह ने बताया कि वे कई बार मुख्यमंत्री के जनता दरबार में जाकर उनसे मिलने की भी कोशिश कर चुके हैं, लेकिन अधिकारियों द्वारा उन्हें मिलने से रोक दिया गया है। वह कहते हैं, “अब हमारे पास कोई चारा नहीं है कि हम अपने इस मुद्दे को कैसे उठाएं? इसलिए हम तरह-तरह के रचनात्मक प्रयोग करते रहते हैं। परीक्षा में काली पट्टी लगाकर बैठने के बाद पोस्टर के माध्यम से हम अपनी बातों को मंत्रियों, नेताओं, अधिकारियों और आम जनता के सामने रखने की कोशिश कर रहे हैं।”

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