– दीपक सिंह
बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के कोटवा इनायतपुर गांव के नागेश पटेल बचपन से दिव्यांग हैं। वर्तमान समय में वह क्षय रोग से भी पीड़ित चल रहे हैं। लेकिन उनका हौसला किसी भी तरह से कम नहीं है। वह विपरीत परिस्थितियों में भी अपने हौसले को बनाए रखे हैं और अपने दिव्यांग साथियों के लिए कई कल्याणकारी कर रहे हैं।
दिव्यांगों को पेंशन दिलाना हो, बस में नि:शुल्क सफर के दौरान आने वाली समस्या का निस्तारण करना हो, दिव्यांगों की समस्या के लिए अधिकारियों से मिलना हो या फिर दिव्यांग लोगों को सरकार द्वारा मिल रही योजनाओं के बारे में जागरूक करना हो, वर्ष 2010 से वह लगातार दिव्यांगों की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने बाराबंकी के बाहर बहराइच,आजमगढ़ और गोंडा जैसे जिलों में भी अभियान चलाकर दिव्यांगों को जागरुक किया है। इसके लिए उन्हें कई जगहों पर सम्मानित किया गया है। अब हरियाणा सरकार उन्हें सम्मानित करने जा रही है।
नागेश पटेल को हरियाणा सरकार द्वारा ने ‘दिव्यांग रत्न पुरस्कार’ से नवाजने का फैसला किया है। उन्हें हरियाणा के कैथल में सम्मानित किया जाएगा। नागेश पटेल ओमान में दिव्यांगों की एक वर्कशॉप में भी प्रतिभाग कर चुके हैं। 30 वर्षीय नागेश पटेल अपने जन्म के एक वर्ष बाद ही पोलियो से ग्रसित हो गए थे।
सरकारी विद्यालयों से एमए तक की उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद वह समाज सेवा से जुड़ गए। अपनी आजीविका चलाने के लिए उन्होंने कई दैनिक समाचार पत्रों में भी लेखन कार्य किया।
वह कहते हैं, “एक दिन मैं सरकारी बस से जा रहा था। बस में एक दिव्यांग बैठा हुआ था, जिसके साथ बस के परिचालक ने काफी दुर्व्यवहार किया। जिसे देख कर मुझे काफी तकलीफ हुई और उसी घटना से मुझे एक प्रेरणा मिली कि अब मुझे अपने दिव्यांग साथियों के लिए लड़ना चाहिए। इनके अधिकारों के लिए आगे आना चाहिए।”
वह आगे कहते हैं, “विकलांगों के लिए मैं वर्ष 2010 से लगातार लड़ाई लड़ रहा हूं। यूडीआईडी अभियान चलाकर 1 जुलाई 2019 से 31 जनवरी 2020 के बीच मैंने 10 हजार से ज्यादा दिव्यांगों का दिव्यांग कार्ड (यूडीआईडी) आवेदन करवाया, जो कि एक रिकॉर्ड है।”
हरियाणा सरकार द्वारा मिल रहे दिव्यांग रत्न पुरस्कार पर नागेश पटेल कहते हैं, “यह सम्मान हमारे दिव्यांग समाज व देश की बेटियों का है। मैं ‘बेटी बढ़ाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के लिए भी काम कर रहा हूं, जिनकी बदौलत मुझे यह सम्मान मिल रहा है।”