लखनऊ। पिछले एक साल से परिणाम का इंतजार कर रहे 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों का इंतजार पूरा होने वाला है। मंगलवार को इस मामले में हुई सुनवाई में इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब अभ्यर्थियों की उम्मीद है कि अगली सुनवाई में इस मामले पर कोर्ट अपना फैसला सुना देगी, जिससे इस भर्ती प्रक्रिया पर 14 महीने से लगा हुआ लंबा ग्रहण टूट सकेगा।
अभ्यर्थियों ने ट्वीटर पर इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और खुशी का इजहार किया। उन्होंने गांव कनेक्शन को भी इस मुहिम में लगातार साथ देने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। गौरतलब है कि गांव कनेक्शन शिक्षक भर्ती परीक्षा सहित युवा बेरोजगारों से जुड़े तमाम मुद्दों को लंबे समय से प्रमुखता से उठाता रहा है।
आपको बता दें कि 6 जनवरी, 2019 को 69000 सीटों के लिए आयोजित ‘सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा’ में 4 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा के एक दिन बाद शासन ने इस परीक्षा का कट-ऑफ निर्धारित किया। शासन द्वारा घोषित इस कट ऑफ के खिलाफ कुछ अभ्यर्थी कोर्ट में चले गए। तब से यह मामला लगातार कोर्ट में चल रहा था।
मामले की सुनवाई के दौरान अभ्यर्थी लगातार इस बात से दुःखी थे कि सरकार इस मामले की सुनवाई के प्रति गंभीर नहीं है, क्योंकि सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता (अटार्नी जनरल) बहुत कम ही उपस्थित हो रहे थे। इसको लेकर ये अभ्यर्थी लगातार प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और अन्य प्रमुख अधिकारियों से मिल रहे थे। अधिकारियों और मंत्रियों द्वारा सुनवाई ना होने पर इन अभ्यर्थियों ने दर्जनों बार लखनऊ और प्रदेश के अन्य जिलो में धरना प्रदर्शन और आमरण अनशन किया था। जनवरी, 2019 में इन अभ्यर्थियों ने विरोध का अनोखा तरीका अपनाते हुए प्रोस्टर प्रोटेस्ट किया था।
इन अभ्यर्थियों का कहना था कि अटार्नी जनरल कोर्ट में उपस्थित ना होकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी अवमानना कर रहे हैं। गौरतलब है कि जनवरी, 2019 में जारी इस परीक्षा की अधिसूचना के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभ्यर्थियों को आश्वस्त किया था कि फरवरी, 2019 तक भर्ती की सारी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी भी अभ्यर्थियों को लगातार आश्वास्त कर रहे थे कि अगली आने वाली सुनवाईयों में प्रदेश के महाधिवक्ता जरूर उपस्थित रहेंगे।
प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों की है भारी कमी
बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में एक लाख 43 हजार 926 शिक्षकों की कमी है। शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के अनुसार प्राइमरी स्कूलों में छात्रों और अध्यापकों का अनुपात 30:1 होना चाहिए। सेंटर फॉर बजट एंड गर्वनेंस एकाउंटबिलिटी (सीबीजीए) और चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) के एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में यह अनुपात 50:1 है।
गांव कनेक्शन ने अपने पड़ताल में पाया है कि शिक्षकों की यह कमी ग्रामीण क्षेत्र में अधिक है। जैसे-जैसे आप शहर से दूर गांवों की ओर बढ़ने लगते हैं प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या घटने लगती है। उम्मीद है कि इस शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के पूरे होने से यह कमी पूरी हो सकेगी।
ये भी पढ़ें- शिक्षक भर्ती परीक्षार्थियों का ‘पोस्टर प्रोटेस्ट’, भर्ती जल्द पूरा करने की मांग
यूपी: नौकरी नहीं सुनवाई के लिए भटक रहे हैं 69000 सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थी
उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा: ‘किसी तरह मैनेज हो रहा है’
Frustrated candidates stick posters across Uttar Pradesh, demand a speedy trial