कोरोना से उठ रही आर्थिक संकट के बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने दिहाड़ी और रेहड़ी-पटरी वाले मजदूरों के लिए एक बड़ा ऐलान किया है। प्रदेश सरकार 20.37 लाख निर्माण श्रमिकों और 15 लाख दिहाड़ी मजदूरों को उनकी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए 1000-1000 रुपये प्रति माह का भत्ता देगी। इसके अलावा प्रदेश के 1.65 करोड़ गरीब और जरूरतमंद परिवारों को एक महीने का मुफ्त राशन दिया जाएगा, जिसमें 20 किलो गेहूं और 15 किलो चावल है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह सहायता मजदूरों के सीधे बैंक अकाउंट में जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में भी मजदूरों की मदद करने के लिए उन्होंने स्थानीय प्रशासन से अधिक राशन देने का आदेश दिया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि रेहड़ी और खोमचे वालों को मुफ्त खाद्यान्न दिए जाएंगे। लेबर सेस के माध्यम से यह मदद मजदूरों को मुहैया कराई जाएगी।
योगी सरकार की इस योजना का प्रदेश के मजदूर संगठनों ने स्वागत किया है। अधिकतर मजदूर संगठनों ने इसे श्रमिकों और मजदूरों के हित में योजना बताया, जब दिहाड़ी मजदूर काम के अभाव से जूझ रहे हैं। हालांकि मजदूर संगठनों ने यह भी कहा कि योजना के अंतर्गत आने वाले मजदूरों की संख्या बहुत कम है। प्रदेश में ऐसे मजदूरों की संख्या करोड़ों में है, जो पंजीकृत नहीं हैं।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि खाद्यान योजना के तहत 1.65 करोड़ गरीब मजदूर और जरूरतमंद परिवारों को 20 किलो गेहूं और 15 किलो चावल एकदम मुफ्त दिया जाएगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के दुकानों के माध्यम से ऐसे लोगों को अनाज बांटा जाएगा। योगी सरकार ने यह भी कहा कि गरीब लोगों पर आर्थिक बोझ ना पड़े इसलिए मनरेगा मजदूरों की बकाया राशि का तत्काल भुगतान प्रदेश सरकार करेगी। इसके अलावा वृद्धा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, विधवा पेंशन जैसी तमाम योजनाओं का फायदा उठाने वाले पेंशन धारकों को भी अप्रैल और मई माह के पेंशन को एडवांस में अप्रैल महीने में ही दिया जाएगा।
प्रदेश में ऐसे लोगों की संख्या 83 लाख से ऊपर है। प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में वृद्धावस्था पेंशन के लाभ उठाने वाले लोगों की संख्या 46.97 लाख, दिव्यांग पेंशनधारी लोगों की संख्या 10.76 लाख और विधवा पेंशन धारियों की संख्या 26.10 लाख है। प्रदेश सरकार की ही आंकड़ों के अनुसार श्रम विभाग के अंतर्गत पंजीकृत 20.37 लाख श्रमिकों में सिर्फ 5.97 लाख श्रमिकों के पास बैंक एकाउंट उपलब्ध है। इसके अलावा ऐसे मजदूरों की संख्या भी लाखों में हैं, जो कहीं पंजीकृत नहीं हैं। ऐसे में सभी श्रमिकों को इस योजना का लाभ कैसे मिलेगा, यह एक बड़ा सवाल है।
प्रदेश सरकार ने कहा है कि जिन श्रमिकों के खाते नहीं हैं, उन्हें तुरंत बनवाया जाएगा। इसके अलावा शहरों में घुमंतु प्रकृति के लोगों जैसें- ठेला, खोमचा आदि लगाने वाले लगभग 15 लाख श्रमिकों के बैंक डिटेल का डाटाबेस बनाकर उन्हें एक हजार रूपये उनके बैंक खातों में सीधा भेजा जाएगा। इसके अलावा ऐसे शहरी मजदूरों के पास राशन कार्ड की सुविधा नहीं होती, क्योंकि उनका घर गांवों में होता है। योगी सरकार ने कहा है कि ऐसे लोगों का तत्काल राशन कार्ड भी बनवाया जाएगा ताकि उन्हें मुफ्त खाधान्न योजना का भी लाभ मिल सके।
इससे पहले योगी सरकार ने 18 मार्च को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय एक समिति का गठन किया था, जिसमें इस संकट के समय में दिहाड़ी मजदूरों को कैसे सहायता मुहैया कराई जाए, इस पर फैसला लेना था। इस समिति की सारी सिफारिशें सरकार ने मान ली है।
कई मजदूर संगठनों ने योगी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उत्तर प्रदेश ग्रामीण मजदूर संगठन के अध्यक्ष तुलाराम शर्मा ने गांव कनेक्शन को बताया, “सरकार का यह कदम निश्चित रूप से स्वागत योग्य है क्योंकि मजदूरों ने पहले मंदी की मार झेली और उन्हें काम नहीं मिला। अब कोरोना का डर भी मजदूरों पर है और इस वजह से भी उन्हें काम नहीं मिल रहा है। असंगठित क्षेत्र के मजदूर भुखमरी के कगार पर हैं। ऐसे समय में योगी सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। अन्य राज्यों को भी मजदूरों के लिए जल्द से जल्द ऐसा फैसला लेना चाहिए।”
वहीं भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य सुखदेव प्रसाद मिश्रा ने कहा, “निःसंदेह मजदूरों के लिए यह सराहनीय फैसला है। मगर सवाल यह है कि कितने मजदूरों को धनराशि दी जाएगी क्योंकि असंगठित मजदूरों की संख्या एक करोड़ से अधिक है। एक सवाल यह भी है कि क्या इसमें दिहाड़ी मजदूरों के अलावा लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों के मजदूरों को भी शामिल किया जाएगा, क्योंकि इस आपदा से तो सभी प्रभावित हैं।”
वहीं सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के प्रेमनाथ राय ने भी सरकार के इस कदम का स्वागत किया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि देखने वाली बात होगी कि सरकार इसको लागू कैसे करती है, क्योंकि बहुत सारे ऐसे निर्माण मजदूर हैं जिनका श्रम कार्यालयों में पंजीकरण नहीं है या उनका नवीनीकरण नहीं हुआ है। उन्होंने प्रदेश में ऐसे निर्माण मजदूरों की संख्या 50 लाख से अधिक बताया, जबकि सरकार ऐसे लोगों की संख्या सिर्फ 20 लाख ही बता रही है।
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