कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) ने सीएचएसएल-2018 के दूसरे चरण (टियर टू) की परीक्षा परिणाम में बड़ी संख्या में यूएफएम आए अभ्यर्थियों की शिकायतों को संज्ञान में लिया है। एसएससी ने इस मामले में एक कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है, जो पूरे मामले की जांच करेगी। इससे पहले एसएससी के चेयरमैन ब्रजराज शर्मा ने लॉकडाउन के बाद ही कोई कार्रवाई करने की बात की थी। लेकिन दो दिन बाद ही एसएससी ने यह फैसला बदलते हुए कहा है कि इस मामले में एक कमेटी जांच करेगी।
एसएससी की तैयारी करने वाले छात्रों का आरोप था कि इस बार की परीक्षा में कॉपी की जांच करने वालों ने रैंडमली किसी भी अभ्यर्थी को यूएफएम देकर जीरो नंबर दे दिए थे। छात्रों को नहीं पता कि उन्हें किस गलती की वजह से शून्य नंबर या यूएफएम मिला है। इसके लिए ये छात्र आरटीआई लगाकर अपनी उत्तर पुस्तिकाओं की मांग कर रहे हैं और साथ ही एसएससी पोर्टल पर अपनी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं।
कुछ छात्रों ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Central Administrative tribunal-CAT) में जाकर इस मामले में एसएससी के खिलाफ केस भी दर्ज करवाई है। वहीं एसएससी सीजीएल 2018 टियर थ्री की परीक्षा देने वाले 30 हजार से अधिक छात्रों और एसएससी एमटीएस 2018 की परीक्षा दिए एक लाख से भी अधिक छात्रों को भी एसएससी के इन अस्पष्ट नियमों के तहत यूएफएम होने का डर सता रहा है, जिसका रिजल्ट आना अभी बाकी है। एसएससी के इन लाखों अभ्यर्थियों के लिए निश्चित रूप से यह थोड़ा सी राहत भरी खबर है।
क्या है एसएससी का यूएफएम नियम?
कोई भी छात्र अपनी व्यक्तिगत पहचान और अन्य जानकारी ना जाहिर कर सके, इसके लिए स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (एसएससी) ने यूएफएम (Unfair Means-UFM) नाम से एक नियम बनाया है। इस नियम के अनुसार कोई भी छात्र अपनी उत्तर पुस्तिका में व्यक्ति या जगह का नाम, रोल नंबर, मोबाइल नंबर, पता आदि का प्रयोग नहीं कर सकता है। एसएससी ऐसा करने वाले छात्रों को शून्य अंक देती है और उन्हें यूएफएम के तहत अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। एसएससी का यूएफएम नियम पिछले कई वर्षों से उनकी कई परीक्षाओं मसलन सीजीएल, सीएचएसएल और एमटीएस में लागू होता आ रहा है।
पढ़िए इस मामले में गांव कनेक्शन की विस्तृत रिपोर्ट-
क्या है SSC का UFM नियम, जिससे हो रहा तैयारी करने वाले छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़?